मेरे मुरार(ग्वालियर) के क्लिनिक पर एक बहुत बुजुर्ग सज्जन उस समय आये जब में सब मरीज निपटाकर घर जाने की तैयारी में था जब मैंने उनसे आने का कारण पूछा तो उनकी आँखों से आँसू झरने लगे वे बोले, सुबह जब नाती पर डाँट पडती है तो मुझे बहुत बुरा लगता है तब मै चौंका और मैंने कहा साफ साफ बताइये बात क्या है वे बोले कि क्या बताऊँ आपको मुझे इस बुढापे में बिस्तर गीला करने की बीमारी हो गई हैं इसलिये एक नाती को मैं अपने साथ सुला लेता हूँ मैंने उनसे पूछा आप क्या काम करते हैं तो उन्होने कहा कि छत्री बाजार लश्कर में मेरी टेलरिंग की दुकान है-
आपको बता दूँ कि बिस्तर गीला करने के प्राय: तीन कारण होते है-
पहला कारण- नर्वस सिस्टम की कमंजोरी के कारण इसमें बच्चा जैसे ही गहरी नींद मेँ जाता है उसका नर्वस सिस्टम पर से कन्ट्रोल हट जाता है और पेशाब छुट जाती है-
दूसरा कारण- पेशाव की थैली,यूरीनरी ब्लेडर,की कमजोरी के कारण - जब थैली पेशाब से भर जाती हे तो वह कमजोरी के कारण उसे धारण नहीं कर पाती और बिस्तर खराब हो जाता हैं - यह रात्री के अंतिम भाग में होता देखा गया हैं-
तीसरा कारण- पेट में कीडों की बजह से होता है इसमे कोई समय निश्चित नहीं होता क्योंकि जब भी कीडों की बजह से पेशाब या उसके निकटवर्ती अंगों में खुजली या सुरसुराहट होती हे-पेशाब निकल जाती है इस प्रकार की समस्या लडकियों में अधिक देखी जाती हैं क्योंकि कीडे मल मार्ग से मूत्र-मार्ग में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं-
उपरोक्त बुजुर्ग के केस में बुढापे के कारण उनका नर्वस सिस्टम कमजोर हो गया था जिसे 'कास्टीकम30' व 'वेलाडोना 30' की दो-दो खुराकें प्रति दिन देने से एक माह में लाभ हो गया-
डबरा में भी एक ऐसा केस आया था जिसे यहाँ लिखना आवश्यक प्रतीत होता हैं वह केस एक नव-विवाहिता का था जब वह पृथम-बार ससुराल से वापिस आई तो उसे देख कर सारे घर वाले चिन्ता में पड गये -वह वहुत ही कमजोर ओर दुबली हो गई थी -आँखों के चारों ओर काले घेरे आदि देख कर तो यों लगा कि वो न जाने कितने दिन से बीमार है- चिकित्सा के लिये उसे मेरे पास लाया गया - उसे विस्वास में ले कर जब पूछा गया तो उसने बताया कि ससुराल में उसे किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी -उसने आगे बताया कि 15 दिन मै वहाँ रात को सोई ही नहीं क्योंकि उसे डर था कि नीद में अगर पेशाब निकल गई तो मेरी क्तिनी बेइज्जती होगी-
यहां तो सब चल जाता था- मैंने उसकी माँ को डाँटा ओर पूछा कि शादी के पहिले इलाज क्यों नहीँ करवाया उन्होने कहा कि ऐलोपैथिक इलाज तो करवाया था पर कोई लाभ नहीं हुआ- बदनामी का भी डर था- मैंने उनसे कहा कि अब वे जब तक पूरी तरह ठीक न होजाये तब तक इसे ससुराल नहीं भेजना-
यह केस यूरीनरी ब्लैडर की कमजोरी का था इस लिये लक्षणों के आधार पर दवा के तौर पर 'सीपिया1000' की दो खुराकें -आधे-आधे घन्टे से सप्ताह में केवल एक दिन तथा 'कास्टीकम30' व 'वेलाडोना 30' की दो-दो खुराकें प्रति दिन देने की व्यवस्था कर दी -एक महिने में यह समस्या समाप्त ही गई-
आज कल यह समस्या बच्चों में शाम तौर पर पाई जा रही है - खासतौर पर वे बच्चे जो चंचल और चतुर भी है बच्चों के मामले में पेट के कीडों पर विशेष ध्यान देना चाहिये -दाँत किटकिटाना,सोते समय मुंह से लार बहना ,पेट में दर्द, भूख बहुत कम या बहुत अधिक लगना, गुदा में खुजलाहट आदि लक्षणों मैं सिना, सेन्टोनाइन, टूकूकैटाम ट्र्युकियम अदि से लाभ उठाना चाहिये-