रोशनी के मन में चिंताओं का भयंकर तूफान था , वह उसे कैसे रोकती , उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था , आज उसे इस शांत वातावरण में सांत्वना देने वाला कोई नहीं थी , वह समस्य को छुपाना चाहती थी और अपने उस साथी से उम्मीद रखती थी ,जिसने उन्हें तूफान के लिए मजबूर कर रखा था , अगर वह चाहे और रोशनी के पेट में ठहरने वाले गर्भ के लिए शादी की हां कर दे ,तो उसकी चिंताओं का भंवर खत्म हो सकता है।
लेकिन आज उसे उसके अवचेतन मन में रखी अतीत की वे यादें ताजा हो रही थी ,जो कभी एक सुनहरे पल की तरह उसके इर्द-गिर्द घूमती थी।
आज से एक वर्ष पहले की बात थी , वह गर्मियों का समय था । जैसलमेर के मरूस्थलीय इलाके में चिलचिलाती धूप को देखकर हर व्यक्ति के पसीने छूट जाते हैं। शहर के एक बीचों बीच मै अपने पिता दीपक और माता वीणा के साथ रहती थी।
मैं दसवीं पास करने के पश्चात ग्यारवीं क्लास में गई थी। जुलाई का महीना था , गर्मी की विदाई का समय था । रिजल्ट के आने के बाद से ही मुझे बहुत प्रसन्नता थी, क्योंकि इस समय बच्चों के लिए नई क्लास में जाने का मौका मिलता है , जहां कुछ पुराने दोस्तों के साथ कुछ नये दोस्तों के साथ समय बिताने का अनुपम मौका मिलता है।
बच्चा हो या बडा जब वह अपने जीवन में प्रमोट होकर अगले पायदान पर पहुंचता है तो उसके मन में खुशी का एक अलग ही नजारा होता है।
स्कूलों के चलने पर बच्चे अपने आप को एक बंधन में महसूस करते हैं, लेकिन जब बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत हो जाती है, उस समय बच्चों की स्वतंत्रता खत्म हो जाती है और वे पुनः अपने व्यस्त लाइफ में कदम रखते हैं। बच्चे अपने घरों से बाहर निकलना शुरू कर देते हैं और अपने दोस्तों के साथ जिंदगी के मजे लेना शुरू कर देते हैं।
लेकिन इस युग परिवर्तन की बेला में ,बूढे , बच्चे और जवानों ने अपना रंग बदल लिया है। सब लोगों के हाथ में लेपटॉप, मोबाइल क्या आये कि सब पुरूषों ने सोशल मीडिया पर अपने लिए लेडीज फ्रेंड्स खोजना शुरू कर देते हैं। संस्कृति और संस्कारों की आंखों से आंसू बह रहे हैं , और कुसंस्कारों की दुनिया फलती-फूलती जा रही है।
फेसबुक, इंस्टाग्राम, शेयरचेट , वाट्सएप और टेलीग्राम जैसे हर सोशियल एप्लिकेशन पर लोगों की व्यस्तता इतनी बढ़ चुकी है कि वे घर , परिवार से अधिक अपने गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के साथ बातें करना और उनके साथ घूमना फिरना पसंद करते हैं।
इस समय बच्चों और युवाओं में एक नया ही परिवर्तन हो गया है , हर तरफ जंक फूड, फास्ट फूड , आशिकी और लाइफस्टाइल बीमारियों में कंपीटिशन हो गया है , हर चीज एक-दूसरे से आगे निकल गया । खान-पान और बदलती जीवनशैली ने लोगों के आचरण बदल दिये है।
बच्चों के अंदर के संस्कार और संस्कृति कुछ पशु पक्षियों की प्रजातियां एक भूले हुए सपने की तरह विलुप्त होती जा रही हैं और फैशन का दौर किसी घर में बढ़ने वाले कॉंक्ररोच की तरह निरंतर बढ़ता जा रहा हैं। बच्चे जो माहौल देख रहे हैं उसी के अनुरूप कर रहे हैं और जो कर रहे हैं वह प्रकृति के विरुद्ध है। प्यार मोहब्बत के कारण पति और पत्नी के रिश्ते कलंकित हो रहे हैं , रिश्तों में कड़वाहट बढ़ गई है , कुछ औरतें जो शादी के बाद भी अपने प्रेमी को नहीं छोड़ना चाहती , क्योंकि जाति और धर्म उनके प्रेम के बीच की दीवार बन जाते हैं या कुछ झूठे प्रेमी उन्हें प्रेम के जाल में फंसाकर छोड़ देते हैं।
" मैंने आध्यात्मिक , सामाजिक , पारिवारिक और राजनीतिक साहित्य पढ़ा , लिखना भी उसी पर चाहता था , लेकिन सागर के गहरे पानी की अथाह गहराई की तरह लोगों का वर्चस्व देखते हुए और भविष्य की डिमांड के अनुसार संस्पेंश , रोमांस और प्रेम पर लिखने के लिए कलम चल जाती है , प्रलोभन नाममात्र का नहीं कि मैं कमाई कर लूं लेकिन जमाने ने इस समय लव स्टोरी की दुनिया में एक बहुत बड़ा खजाना भर दिया है, प्रेम के रिश्तों में कड़वाहट और कुछ उदाहरण बने प्रेमी जोड़े लोगों की एक बड़े स्तर पर पसंद बन चुके हैं।"
" बालात्कार , हत्या , मर्डर , प्रेम में धोखाधड़ी और दहेज जैसी घटनाएं लोगों की चरित्रहीनता का चलचित्र साहित्य के पटल पर एक गहरी छाप छोड़ रहे हैं।"
रोशनी के सुंदरता और उसके प्रति आकर्षण उसका दुश्मन हो गया , क्योंकि उसके जीवन में बस यही तो कारण था कि उसका बायफ्रेंड उसका दीवाना बना गया। नासमझ था वह बचपन जो कुछ भी नहीं समझा और एक सीमा के बाद वह प्रेम की दुनिया को समर्पित हो गया।
युवा अवस्था का परिवर्तन और बदलता हुआ व्यवहार मुझे उस तरफ कब खींच ले गया , मुझे पता ही नहीं चला।
क्या कहूं उन फूलों की खुशबू और उपवन की बहारों की जो मुझे जिंदगी के परिवर्तन की तरफ खींच ले गई , मुझे इस दुनिया का नहीं पता था कि इन फूलों पर बैठे हुए भंवरें कली के खिलने के बाद खेलकर मकरंद चूसकर बाहर निकल जायेंगे।
मन उस तरफ जाता था , दिल मना करता था , अपने आप पर बहुत नियंत्रण किया , लेकिन नियंत्रण की एक सीमा होती है ,जो पार हो जाती है , भावनाओं की एक पतली दीवार के बाद ...... मेरा अतीत क्या था ? जिसने मुझे कुछ समय तक असीमित खुशियां दी और मुझे नहीं पता था कि कुछ समय बाद ये खुशियां हमेशा के लिए एक पीड़ा बनकर दिल में चुभती रहेगी।
मेरे अतीत की यादें मुझे बहुत ही सता रही थी , मर्जी मेरी नहीं थी , लेकिन मैं दृढ़ संकल्प वाली दीवार से कब विचलित हो गई , मुझे पता ही नहीं चला ।
जब डरती थी तो विश्वास की पतली लकीर को तोडकर उस पार नहीं जाना चाहती थी, जब तोड़ने लगी तो हमेशा के लिए उस पार चली गई , जहां बैचेनियां और बेताबियां बढ़ती चली गई।
कुछ समय के लिए मेरा अतीत मुझे स्वर्ग की वह अनुभूति बन गया , जिसका वर्णन नहीं कर सकती थी , लेकिन कुछ समय ऐसा नर्क बनकर मुझे परेशान कर रहा था , जहां मेरे जीवन का चैन सुकून गायब हो गया था ।
क्रमशः