उस पार्क में दोपहर के बारह बजे तेज़ धूप को सहने का शौक कोई नहीं कर सकता , क्योंकि पहले से ही इस क्षेत्र में पारा बहुत ही उच्च होता है , सर्दी का वह समय नहीं , कि लोग धूप सेंकने के लिए पार्क में भीड़ लगाकर बैठे रहे।
उस बैठी हुई लड़की के स्मार्टनेस और सुंदरता एवं कम उम्र को देखते हुए भी यह नहीं लगता कि वह जिम्मेदारियों के कारण परेशान हो ।
स्कूल की वेशभूषा और साथ में स्कूल का बैग देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है कि उसके माता-पिता को भी इस बात का पता नहीं था कि वह घर से जाने के बाद क्या कर रही थी?
वह अजनबी व्यक्ति चुपचाप उसकी हरकतों को देख रहा था । कभी गुस्से से फोन पर बातें करना और फोन कॉल समाप्त होने पर रोना शुरू कर देना उसके लिए बहुत अजीब सा लग रहा था , आखिरकार वह व्यक्ति काफी समय से इस हलचल को देख रहा था , मगर किसी परायी लड़की और स्त्री से एकदम बातें शुरू कर देना आसान नहीं था ।
उस व्यक्ति के मन में इस बात का भय था कि वह अकेली बैठी हुई लड़की किसी के शोषण का शिकार ना हो जाये । इस समय पार्क में एकदम सन्नाटा छाया हुआ है , आसपास कुछ नजर नहीं आ रहा है फिर भी उसे इस ज़माने का खौफ क्यों नहीं है?
उस अजनबी व्यक्ति की आंखों में चिंता और असमंजस साफ दिखाई दे रहे थे। वह सोच में पड़ गया कि इस लड़की की क्या समस्या हो सकती है। एक स्कूल की उम्र की बच्ची, जो इतनी सुंदर और स्मार्ट दिख रही थी, वह इस धूप में, इस सुनसान पार्क में बैठी हुई क्यों है? उसके गुस्से भरे फोन कॉल्स और अचानक फूट-फूटकर रोने ने उस व्यक्ति को और भी बेचैन कर दिया था।
वह जानता था कि आज के समय में किसी परायी लड़की से बिना कारण बात करना जोखिम भरा हो सकता है, खासकर तब जब समाज में इतनी तरह की बातें होती हैं। फिर भी, वह लड़की जिस स्थिति में थी, उसे अनदेखा करना भी उसके लिए मुश्किल था। वह अब तक अपने को रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब उसके कदम खुद-ब-खुद लड़की की ओर बढ़ने लगे।
वह धीरे-धीरे उसके पास पहुंचा, लेकिन इतना पास नहीं कि उसे असहज लगे। वह लड़की सिर झुकाए, सिसकियाँ भरते हुए, अपने आंसुओं को पोंछने की कोशिश कर रही थी। उस व्यक्ति ने कुछ देर तक इंतजार किया, फिर हल्की आवाज़ में बोला, "बेटा, क्या तुम्हें किसी मदद की जरूरत है? तुम इस समय यहाँ अकेली क्यों बैठी हो?"
लड़की ने पहले तो घबराकर ऊपर देखा, उसकी आंखों में आंसू थे और चेहरे पर बेबसी का भाव। वह कुछ बोलने वाली थी, लेकिन फिर खुद को रोक लिया। उसने अपने आंसू पोंछते हुए कहा, "नहीं, मुझे किसी मदद की ज़रूरत नहीं है। आप जाएं, मैं ठीक हूं।"
उसकी आवाज में कमजोरी और दर्द था, लेकिन साथ ही वह किसी से बात करने को तैयार नहीं थी। अजनबी व्यक्ति समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन शायद लड़की किसी डर या शर्म की वजह से कुछ नहीं कह पा रही थी।
वह कुछ क्षणों तक वहीं खड़ा रहा, फिर धीरे से बोला, "अगर तुम्हें किसी से बात करनी हो, तो मैं पास ही बैठा हूँ। आजकल के समय में किसी भी परेशानी को अकेले नहीं सहना चाहिए।" इतना कहकर वह थोड़ा दूर एक बेंच पर जाकर बैठ गया, लेकिन उसकी नजर अब भी लड़की पर टिकी हुई थी, उसकी हर हरकत को ध्यान से देख रहा था।
लड़की ने उसकी बातों को अनसुना करने की कोशिश की, लेकिन उसके शब्द जैसे उसके दिल में उतर गए थे। वह जानती थी कि वह अकेली इस स्थिति का सामना कर रही है, और शायद उसे किसी की मदद की जरूरत थी। पर क्या वह इस अजनबी पर भरोसा कर सकती थी?
मन में उठते सवालों के बीच, उसकी आंखों से फिर आंसू बहने लगे।
उस व्यक्ति ने फिर से पूछा , " बेटी तुम मुझे बताओ या ना बताओ , लेकिन मैं तुम्हारे चेहरे पर परेशानियां देख रहा हूं , आखिरकार बात क्या है ?
लड़की कुछ ना बोली ," कुछ पल के लिए दोनों के बीच खामोशी थी , लेकिन चार-पांच मिनट बाद उस लड़की ने कहा ।
" अंकलजी , आप मेरे लिए इतना परेशान क्यों हो रहे हो ? प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ दीजिए । मेरी समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है।"
उस अजनबी ने कहा , " देख बेटी , तुम्हारी जो भी समस्या है , उसका निपटारा मैं नहीं कर सकता , लेकिन तुम इतनी तेज धूप में यहां बैठी पसीना-पसीना हो रही हो। यहां से खड़ी होकर कहीं छाया में क्यों नहीं बैठ जाती । "
अजनबी की बात सुनकर लड़की कुछ क्षणों तक चुप रही, जैसे वह खुद से लड़ रही हो। फिर उसने गहरी सांस ली और बोली, "आप सही कह रहे हैं, लेकिन मेरे पास अब कहीं और जाने की हिम्मत नहीं है। मुझे ऐसा लगता है कि मेरी सारी समस्याएं मुझे यहाँ इसी जगह तक ले आई हैं, और अब मुझे समझ नहीं आता कि मैं आगे क्या करूं।"
अजनबी व्यक्ति उसकी बातों से और भी चिंतित हो गया। उसने देखा कि लड़की की स्थिति गंभीर है और उसे कुछ करना होगा, भले ही वह अजनबी हो। उसने नरम स्वर में कहा, "बेटी, कभी-कभी हम जो समस्याएं अपने सामने देखते हैं, वे उतनी बड़ी नहीं होती जितनी हमें लगती हैं। अगर तुम मुझसे खुलकर बात कर सको, तो शायद तुम्हें हल्का महसूस हो।"
लड़की ने उसकी ओर देखा, उसने अपना बैग उठाया और वह वहां से खड़ी होकर चल दी ।
व्यक्ति इस बात से हैरान था कि वह लड़की समस्याओं से घिरी होने के बाद भी किसी से हेल्प नहीं चाहती है । वास्तव में आजकल के लड़के-लड़कियां किस नेचर की हो गई है।
वह थोड़ी सी दूर पहुंची होगी , तब तक उसके पास पुनः फोन आ गया । उसने गुस्से से दांत पीसते हुए कॉल अटेंड किया और कहने लगी ।
" जोर चिल्लाते हुए ..... तुम क्या चाहते हो ? तुम मानते हो या नहीं , अगर नहीं मानते हो तो मैं अपने प्राणों की आहूति दे दूं, जिससे तुम्हारे दिल को ठंडक मिल जाये । "
फिर कुछ समय खामोश हो गई।
अगले ही पल , एक हाथ से मोबाइल थामे हुए , जोर जोर से चिल्लाने लगी , नहीं करवाऊंगी ..... नहीं करवाऊंगी , तुम चाहे कितनी कोशिश कर लो , मैं अबार्शन नहीं करवाऊंगी।
अब तुम्हें क्या करना है ,तुम देख लीजिए, कल तक सोचकर बता देना नहीं तो मैं उसके बाद पुलिस के पास चली जाऊंगी या सुसाइड नोट लिखकर मर जाऊंगी ।
उसने झटके से कॉल काटा और मोबाइल को स्विच ऑफ कर लिया ।
क्रमशः