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भाग-3

23 अक्टूबर 2024

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लड़की का यह अचानक फूट पड़ा गुस्सा उस अजनबी व्यक्ति के दिल में और गहरे सवाल खड़े कर गया। अब यह स्पष्ट हो गया था कि लड़की किसी गंभीर संकट में थी, और वह अपनी जिंदगी और भविष्य को लेकर एक खतरनाक सीमा तक पहुँच चुकी थी। वह व्यक्ति अपनी जगह पर स्तब्ध बैठा रहा, उसके सामने से गुज़रती इस लड़की का दर्द अब अनदेखा करना नामुमकिन हो गया था।

उसने देखा कि लड़की का चेहरा गुस्से और निराशा से लाल हो चुका था, और उसके हाथों की कंपन साफ दिखाई दे रही थी। वह किसी और रास्ते पर जा सकती थी, लेकिन शायद उसकी समस्याएं और मानसिक स्थिति उसे कहीं ठहरने नहीं दे रही थीं।

वह व्यक्ति अब सोच रहा था कि उसे क्या करना चाहिए। लड़की ने उसे पहले से मना कर दिया था कि वह किसी मदद की जरूरत नहीं चाहती, लेकिन अब बात सुसाइड और पुलिस तक पहुँच चुकी थी। उसे लगा कि अगर उसने अभी भी कुछ नहीं किया, तो शायद इस लड़की की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है।

वह हिम्मत जुटाकर लड़की की ओर तेज कदमों से बढ़ा। जब वह लड़की के पास पहुंचा, तो उसने गंभीर आवाज में कहा, "बेटी, तुम जो भी कर रही हो, उससे पहले एक बार रुककर सोचो। मैंने सुना कि तुम किस हालात का सामना कर रही हो, और मैं समझता हूँ कि तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी होगी। लेकिन किसी भी समस्या का हल खुद को नुकसान पहुँचाने से नहीं निकलता।"

लड़की ने इस बार उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में पहले की तरह गुस्सा नहीं था, बल्कि कुछ और ही था—एक गहरी थकान, जैसे उसने सबकुछ छोड़ने का फैसला कर लिया हो। उसने बहुत धीमे स्वर में कहा, "अंकल, आप नहीं समझेंगे। आप जैसे लोग बस बातें करते हैं, लेकिन असलियत में कोई मदद नहीं मिलती।"

उस व्यक्ति ने एक गहरी सांस ली और उसके नज़दीक जाकर बैठते हुए बोला, "शायद तुम सही कह रही हो। मैं तुम्हारी स्थिति में नहीं हूँ, और मैं ये नहीं कह सकता कि मैं तुम्हारे दर्द को पूरी तरह समझता हूँ। लेकिन मैं ये जानता हूँ कि ज़िंदगी में हमेशा एक रास्ता होता है, चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो। अगर तुम चाहो तो हम पुलिस या किसी और से मदद ले सकते हैं, लेकिन पहले तुम्हें खुद को संभालना होगा।"

लड़की कुछ पल चुप रही, फिर धीरे-धीरे कहने लगी, "मुझे डर है... लोग मुझे दोष देंगे। मेरे परिवार को बदनाम करेंगे। उस लड़के ने मुझसे सबकुछ छीन लिया और अब वह चाहता है कि मैं बच्चे को गिरा दूं। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती... यह मेरा बच्चा है।"

उसकी आंखों में आंसू फिर से छलक आए, और वह धीरे-धीरे रोने लगी। इस बार वह अजनबी व्यक्ति उसकी पीड़ा को महसूस कर रहा था। उसने नरम स्वर में कहा, "बेटी, तुम्हारा बच्चा तुम्हारा है और तुम जो फैसला करोगी वह सही होगा। पर ये लड़ाई तुम्हें अकेले नहीं लड़नी पड़ेगी। हम कुछ करेंगे, लेकिन पहले हमें किसी सुरक्षित जगह पर चलना चाहिए। यहाँ पार्क में बैठकर तुम खुद को और ज्यादा तकलीफ दे रही हो।"

उस लड़की ने उस अजनबी की बातों पर आंख बंद करके विश्वास कर लिया और वह उसके पीछे-पीछे चल पड़ी। लेकिन वह सुरक्षित जगह कहां हो सकती थी , जहां उसे वह व्यक्ति ले जा सकता था , इस विषय में बेचारी उस लड़की को कुछ भी पता नहीं था । 

कुछ दूरी पर चलने के बाद वह व्यक्ति उसे एक गली में ले जा रहा था । लड़की बड़ी डरी हुई थी, उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह किसी अनजान व्यक्ति पर विश्वास करके इस तरह पीछे क्यों पडी?

उस लड़की के मन में भय उत्पन्न हो गया और वह वहां से पलटकर उल्टे कदम पीछे की तरफ दौड़ पड़ी । व्यक्ति आगे-आगे चला जा रहा था ,उसे इस बात का अहसास ही नहीं हो पाया कि लड़की उसके साथ से कब पीछे रह गई? 

वह वहां से निकलकर ऑटो में बैठीं और अपने घर की तरफ निकल गई, उसने ऑटो में बैठते ही अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था , क्योंकि उसे अपने बॉयफ्रेंड से बातें नहीं करनी थी । मन में घबराई हुई उस लड़की को इस बात का डर था कि कहीं वह व्यक्ति उसके पीछे आ तो नहीं रहा है , इसलिए वह बार-बार पीछे मुड़कर देखा रही थी । 

मन में अशांति और दिल में घबराहट शरीर पूरा पसीने पसीने हो लगा था , उसके मन में शांति उस समय आई थी , जब वह अपने घर पहुंच चुकी थी । 

घर के पास पहुंचते ही वह तुरंत घर के अंदर पहुंच गई। गर्मी पहले से ही पड़ रही थी , उसके बाद उसकी घबराहट.... यही कारण था कि वह पसीने से लथपथ थी।

अरे रोशनी  ! क्या हुआ  ? तुम्हें क्या हो गया है , तुम इतनी परेशान क्यों लग रही हो , वाणी ने हैरानी से देखते हुए पूछा । 

कुछ नहीं मां... मुझे क्या हुआ है ?? 

नहीं रोशनी ? कुछ तो बात है , देखो तो सही ... ऊपर से नीचे तक पसीने से लथपथ हो  और तुम्हारे चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही है । 

कुछ तो बात है , बताओ ना क्या हुआ है ?

नहीं मां ... कुछ भी तो नहीं है , आप मेरे पीछे क्यों लग गई हो ?  आखिरकार मुझे हो ही क्या सकता है ?


अच्छा ! मुझे पागल बना रही हो ! सच  क्यों नहीं बता देती ?! जरा अपना सिर ऊंचा करके घड़ी की तरफ देखिये समय क्या हुआ है ? वाणी ने कहा । 

समय क्या हुआ........?  ऊपर निगाह करते हुए रोशनी की निगाहें घड़ी पर टिकी की टिकी रह गई। 

" बारह बजे है मम्मी ,,, धीमी सी आवाज में रोशनी ने कहा .... इस समय रोशनी शांत सी हो गई ।‌

बता ....बता ना ...   क्या हुआ ?! अब आवाज कमजोर क्यों हो गई ? 

" तू मुझे अब तक पागल बनायेगी , बेटी !! मैं भी तेरी मां हूं , ये बाल ऐसे ही काले हो गये है , जिंदगी का अनुभव रखती हूं ... तुम कुछ भी कहोगी और मैं आसानी से मान जाऊंगी। " 

रोशनी इस समय वह अपनी मां की बातों में फंस चुकी थी। 

क्रमशः 


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गर्भपात
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