- गुरुपूर्णिमा
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर ! गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: !!
अर्थात-- गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है । ऐसे गुरु
को मैं प्रणाम करता हूं ।
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इसी दिन व्यास जी का जन्मदिन होने से इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इस दिन गुरु पूजा का विधान है।यह पर्व पूर्ण श्रद्धा विश्वास भक्ति से मनाना चाहिए,
गुरु को ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर रोली चावल पुष्प माला आदि से गुरु की पूजा करके उन्हें यथा योग्य वस्त्र, फल, दक्षिणा आदि अर्पित करना चाहिए।
यदि गुरु की प्रत्यक्ष
संगति ना हो तो उनके चित्र , पादुका आदि प्रतीक चिन्ह की पूजा करनी चाहिए।
गुरु के चरणों में दण्डवत
लेटकर बाएं हाथ से सीधा और सीधे हाथ से बायां पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।