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हास्य

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डायरी सखि, आज तक तो हमने क्वीन , ब्यूटी क्वीन,  मैलॉडी क्वीन और ट्रेजेडी क्वीन का ही नाम सुना था । मगर अब एक और प्रकार की क्वीन देखने सुनने में आ रही है । उसे "कैश क्वीन" कहा जा रहा है । सुन

सखि, कुछ सालों पूर्व एक फिल्म आई थी जिसमें एक गाना था "हाय हाय गर्मी,  उफ्फ उफ्फ गर्मी" । पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि अब वह गाना कुछ लोगों द्वारा कुछ इस तरह से गाया जा रहा है ह

डायरी सखि, एक बच्चा वो भी कट्टर ईमानदार, अगर बाहर घूमने जाना चाहता है तो इसमें क्या हर्ज है ? आखिर वह चाहता क्या है ? इतना ही ना कि उसका बनाया हुआ मॉडल सब देखें । तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं

डायरी सखि, यूं तो इस देश में अनेक धाम हैं जैसे उत्तराखंड में चार धाम , दक्षिण में रामेश्वर धाम , पूर्व में जगन्नाथ पुरी धाम , पश्चिम में द्वारिका धाम । इनके अलावा भी देश के कोने कोने में अनेक धाम

आज सुबह जगा तो देखा कि आसमान पर काली काली घटाएं छा रहीं हैं । रिमझिम रिमझिम फुहारें पड़ रहीं हैं । हवा भी बड़ी तेज चल रही है । रह रहकर बिजली कड़क रही है । पेड़ पौधे सब मौसम की सुर-ताल के साथ लय बद्ध त

भाग 3लड़की ने रामखिलावन की सारी पीएचडी झाड़ दी थी,पर रामखिलावन भी कहा पीछे हटने वाला था ,!!वह कहता है ,*" कतना समझदार चाहिए , अरे हम पीएचडी किए हैं , डॉक्टरेट किए हैं , *"!!लड़की कहती है ,*" हम भी&nbs

हास्य-व्यंग्य : बरसातबरसात का जिक्र होते ही मन मयूर नाच उठता है । ऐसा लगता है कि जैसे जीवन में खुशियों की बहार आ गई है । पर ये बरसात भी बड़ी अजीब है । कहीं ज्यादा तो कहीं कम । कहीं बाढ़ ला देती है तो

अमोलक जी कब से इंतजार कर रहे थे कि लाजो फोन पर बात करना बंद करे तो वे "घाट की राबड़ी" का सेवन करें । जब से चौधराइन जी ने घाट की राबड़ी भेजी है तब से उनका मन उसी में अटका हुआ है । इस चक्कर में तो उन्हो

कोरोना वारियर्स को सलाम की श्रंखला में मेरा अगला सलाम है भरभूती जी और तिवारी जी जैसे पड़ौसियों को । कितना विशाल हृदय है होता है ऐसे लोगों का । इस हृदय में चाहे पत्नी के लिए कोई जगह हो अथवा ना हो लेकि

हरिवचन - 1 साथियो, कोरोना संकट में हम लोगों के लिए युद्ध स्तर पर जुटे समस्त डॉक्टर, मेडिकल टीम, सर्वे टीम, सफाई कर्मी , पुलिस प्रशासनिक अधिकारी , राजनेता, स्वयंसेवी संगठन आदि के अनथक परिश्रम , सेवा भा

प्रतिलपि सखि, पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है । चारों ओर चीख पुकार हो रही है । दरबारी "रूदाली" बनकर जार जार रोये जा रहे हैं ।  चापलूस और चाटुकार आंखों में ग्लिसरीन डाल डालकर नौ नौ आंसू बहाकर

सखि, आज ये मैं क्या सुन रहा हूं ? कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा है । वो जो ढोल नगाड़े बजा बजाकर , चीख चीखकर कहते थे कि इस देश में इकलौते ईमानदार केवल वही हैं । बाकी सब बेईमान हैं । इस देश में द

हास्य-व्यंग्य ऐसी शादी से भगवान बचाए 1980 की बात है। हमारे गांव में एक लड़की को देखने के लिए कुछ लड़के वाले आये । पहले घरों में बहुत सारा सामान नहीं होता था । मौहल्ले से ही अच्छे अच्छे बर्तन

रितिका ने ब्रेड पिज्जा सर्व किया । प्रथम ने तो बिना चखे ही ब्रेड पिज्जा का बखान करना शुरू कर दिया । यह देखकर लाजो जी से जब रहा नहीं गया तो वे तपाक से बोली "हां, ब्रेड पिज्जा तो आज पहली बार ही बना है न

"आज नाश्ते में क्या बनाऊं,मम्मी" लाजो जी जैसे नींद से जाग पड़ी । इतनी मीठी आवाज ! उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि यह आवाज उसकी बहू रितिका की है । उसने कन्फर्म करने के लिये अपना चेहरा आवाज की ओर घुमाया । सा

सखि, अभी कल परसों ही माननीय उच्चतम न्यायालय ने एक बहुत जबरदस्त फैसला सुनाया है । वेश्यावृति के पेशे में लिप्त समस्त औरतों में जश्न का माहौल है । आखिर उनकी "तपस्या" रंग लाई है सखि । तपस्या तो रंग

आज शीला चौधरी के अहाते में "लेडीज क्लब" का मेला लग रहा था । कई दिनों के बाद आज लेडीज क्लब सरसब्ज हुआ था । इसलिए सब महिलाओं के चेहरे चमक रहे थे । कुछ तो गपशप करने के कारण और,कुछ मेकअप करने के कारण । कु

कोई जमाना था जब पत्रकारिता एक जुनून हुआ करती थी । लोगों तक "खबर" पहुंचाना बहुत कठिन काम हुआ करता था । अंग्रेजों का राज था आखिर । ऐसे में कल्पना ही की जा सकती है कि "अखबार" निकालना और उसे लोगों तक पहुं

सखि, मुकद्दर भी बड़ी गजब की चीज है । सबका मुकद्दर एक सा नहीं होता बल्कि हर आदमी का अलग अलग मुकद्दर होता है । आदमी तो आदमी , कुत्तों का भी अलग अलग मुकद्दर होता है । कुछ कुत्ते तो सड़कों पर ही पैदा

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