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भाग 1

15 अक्टूबर 2021

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लखनऊ मर्डर केस। भाग-1


लखनऊ, उत्तर प्रदेश
फैजाबाद रोड (जंगल एरिया)
20 जुलाई 11:00 सुबह

"हटिए हटिए...... चलिए दूर होइए आप लोग।" कहते हुए कांस्टेबल चहल भीड़ को लाश से दूर हटाने लगा। इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री, कांस्टेबल चहल और एक लेडी कॉन्स्टेबल प्रीति पाटिल के साथ मौका-ए-वारदात पर मौजूद थे।
ये इलाका फैज़ाबाद पुलिस के अंतर्गत आता है इसलिए फैज़ाबाद पुलिस वहाँ उपस्थित थी।
कंट्रोल रूम में किसी व्यक्ति का सुबह 10:30 बजे फोन आया था की उसने फैज़ाबाद के जंगल में एक महिला की लाश देखी है, जिसके आधे घंटे बाद फैज़ाबाद पुलिस मौका-ए-वारदात पर जाँच पड़ताल के लिए उपस्थित थी।
इंस्पेक्टर खत्री और दोनों कॉन्स्टेबल नाक और मुँह पर रूमाल रखे..भौहें सिकोड़ते हुए..उस महिला की लाश और वारदात की जगह को देख रहे थे।
क़ातिल ने महिला के चेहरे को बिगाड़ दिया था जिससे वो पहचान में नहीं आ रही थी। उसके पेट पर कई सारे वार करने की वजह से अब तक काफी खून बह चुका था। एक कार थी लाल रंग की जो पेड़ में घुसी हुई थी। शायद पेड़ से टकराने की वजह से उसका एक्सीडेंट हो गया था। कार के शीशे वगैरह टूट चुके थे।
इंस्पेक्टर खत्री ने भीड़ की तरफ देखते हुए पूछा "फोन किसने किया था..?" लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।
खत्री ने सवाल दोहराया तो भीड़ में से ही एक आदमी बोला
"साहब.. जब मैं यहाँ आया था तब मैंने एक आदमी को बाइक ओर यहाँ से जाते देखा..!! हो सकता है फोन उसने किया हो.?"
खत्री ने एक दम से उस आदमी की तरफ बढ़ते हुए पूछा "मतलब सबसे पहले लाश तुमने देखी थी..?"
"हाँ..साहब ऐसा कह सकते हैं..क्योंकि सबसे पहले तो मैं ही पहुंचा था पर जैसे ही मैं इस ओर बढ़ रहा था दो तीन आदमी मेरे पीछे पीछे ही आ गए थे और फिर हम सबने एक साथ ही इस ओर कदम बढ़ाये।" उस आदमी ने डरते डरते कहा।
"तुमने उस बाइक वाले कि शक्ल देखी थी..?" खत्री ने उसी आदमी से पूछा।
"नहीं साहब.. मैंने सिर्फ उसकी पीठ देखी..!" वो आदमी कुछ घबराते हुए बोला।
"हम्म...ठीक है!!" खत्री ने गहरी साँस लेते हुए कहा।
"तुम में से कोई पहचानता है इस औरत को?" खत्री ने भीड़ की तरफ देखते हुए पूछा।
"नहीं साहब...हममें से कोई इस औरत को नहीं पहचानता!" भीड़ में से आवाज़ आयी।
"चहल जाओ तुम उधर जा कर देखो..कुछ मिलता है तो..!!" खत्री ने झाड़ियों की तरफ इशारा करते हुए चहल से कहा।
"पाटिल मैडम..आप एम्बुलेंस और फॉरेंसिक टीम को बुलवाईये..!!" खत्री ने कॉन्स्टेबल प्रीति पाटिल से कहा और लाश के सामने जाकर पैरों पर बैठ गया।
जब तक एम्बुलेंस और फॉरेंसिक टीम वाले आ रहे थे तब तक खत्री महिला की लाश को अच्छे से देखने लगा और अपनी डायरी में कुछ नोट करने लगा।
"इसके गले को देख कर लगता है कि इसके गले से चैन खींचीं गयी है।" खत्री ने एकदम से पाटिल की ओर देखते हुए कहा।
"जी सर..और इसके हाथों और कानों पर भी ज्वेलरी खींचने के निशान हैं।" प्रीति पाटिल ने लाश के नज़दीक आते हुए उन निशानों की ओर इशारा किया जो उसने बहुत पहले ही देख लिए थे।
इतने में सायरन बजाती हुई एम्बुलेंस वहाँ आ गयी। उसमे से सफेद कपड़े पहने दो आदमी उतरे और स्ट्रेचर पर उस महिला को लेटा कर एम्बुलेंस में रख दिया और खुद भी बैठ गए। एम्बुलेंस वपास चली गई।
इसी बीच फॉरेंसिक टीम भी आ चुकी थी और अपनी जाँच शुरू कर चुकी थी।
"सर..यहाँ कुछ नहीं है, सिवाय इस कार की चाबी के। मैंने सब तरफ अच्छे से तलाशी ले ली है, पर लगता है क़ातिल कोई भी सुबूत छोड़ कर नहीं गया है। न सुबूत और न ही इस महिला का पर्स वगैरह..!!" चहल ने झाड़ियों के पीछे से खत्री की तरफ आते हुए कहा।
"चहल..तुम इतने कॉन्फिडेंट कैसे हो कि इस महिला के पास पर्स था ही..!! ऐसा भी तो हो सकता है न कि ये पर्स साथ में न लायी हो.?" खत्री ने सवाल किया।
अब तक भीड़ भी काफी कम हो चुकी थी और बचे हुए लोग भी धीरे धीरे घटना स्थल से जा रहे थे।
"अरे सर..आजकल सभी महिलाएं पर्स रखती हैं..!! चाहे सस्ता रखे या महंगा। अब मेरी ही पत्नी को ले लीजिए..मेरी इतनी तनख्वाह नहीं है..पर फिर भी वो पर्स एक से बढ़कर एक रखती है..!!" चहल ने दांत दिखाकर हँसते हुए कहा तो खत्री ने उसे उसकी इस बेवकूफी के लिए घूरा।
अपनी बेवकूफी को सुधारते हुए चहल हड़बड़ाते हुए फिर बोला "अं..मेरे कहने का मतलब है कि सर...आप ने उस महिला के कपड़े देखे..और ये महँगी कार! इन सबको देख कर ये नहीं लगता कि वो महिला हाई सोसायटी से बिलोंग करती है..तो उसके पास पर्स तो होगा ही..और जरूर पर्स भी महंगा ही तभी तो क़ातिल ने पर्स तक भी नहीं छोड़ा। उसमें जरूर कैश और मोबाइल तो होगा ही। पर कार क्यों नहीं लेकर गये..ये समझ नहीं आ रहा?" चहल ने सिर खुजाते हुए कहा।
"चहल...तुम्हें जय लगता है..ये मर्डर क्यों हुआ होगा..?" खत्री ने पूछा।
"सर..देख कर तो यही लगता है कि किसी ने उस महिला को लूटने की कोशिश की होगी और उस महिला जे उनसे छूटने की..!! और लगता है इसी जद्दोजहद में वो मारी गयी।" चहल ने कहा।
"हम्म..हहो सकता है। कातिल ने इसे लूटपाट की वारदात बनाने की कोशिश तो की है।"
"तो सर..आपको क्या लगता है..ये जानबूझकर किया गया एक प्लान मर्डर है..?"  पाटिल ने चोंक कर पूछा।
"चलो..चलते हैं! अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।" खत्री ने चलते चलते कहा।
सब गाड़ी में बैठ गए और थाने आ गए। फॉरेंसिक वाले अभी भी सेम्पल ले रहे थे।
इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री थाने पहुँचा और अपने केबिन में गया। साथ ही चहल को भी आने का बोला।
"लाश का फोटो सारे न्यूज़ पेपर में दे दो, देखते हैं अगर कोई कपड़े या किसी और चीज़ से विक्टिम की पहचान कर ले। और हाँ साथ ही उस कार का फोटो भी दे देना। सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों की भी मदद लो, हमें जल्द से जल्द विक्टिम की इन्फॉर्मेशन पता करनी है।" खत्री ने चहल से कहा तो उसने हाँ में सिर हिलाया और वहाँ से चला गया।

21 जुलाई
फैज़ाबाद रोड़ पुलिस थाना
समय 12:00 एएम

"सर...!!" चहल ने खत्री के केबिन का दरवाजा नॉक करके अंदर आने की परमिशन माँगी।
"हाँ..चहल! आओ।" खत्री ने कहा।
"सर..पोस्टमार्टम रिपोर्टस आ गयी है।" चहल ने अंदर आते आते कहा।
"लाओ लाओ चहल..इसी का तो मुझे इंतज़ार था..!!" खत्री ने आँखों मे चमक लाते हुए कहा।
खत्री ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी और एक गहरी सांस लेकर फाइल को टेबल पर पटक दिया।
"क्या हुआ सर...क्या लिखा है रिपोर्ट्स में..?" चहल ने पूछा।
"वही जो हमें देख कर लग रहा था। जैसे विक्टिम के पेट में किसी धारदार हथियार से चार बार वार किए गए और अत्यधिक खून बह जाने की वजह से विक्टिम की मौत हो गयी। और जो नई बातें रिपोर्ट्स से पता चली है..वो ये हैं..
विक्टिम की उम्र, मौत का समय और सेक्सुएलिटी!
विक्टिम की उम्र 30 से 32 के बीच है। और मौत का समय 36 घंटे पहले यानी कि 19 जुलाई की रात को 11 से 12 के बीच का है। और विक्टिम सेक्सुअली एक्टिव थी।" खत्री ने गंभीर आवाज़ में कहा।
"चहल तुम 18 जुलाई से लेकर 20 जुलाई तक कि ऐसी मिसिंग रिपोर्ट्स देखो जिनमें गुमशुदा औरतों की उम्र 28 से 35 के बीच हो।" खत्री ने चहल की ओर देखते हुए आदेशात्मक लहजे में कहा।
"ठीक है सर।" चहल ने कहा और सेल्यूट ठोंक कर बाहर आ गया।
थोड़ी देर बाद एक दूसरा कॉन्स्टेबल श्याम खत्री के केबिन में आया और बोला "सर...बाहर एक आदमी आया है जो आपसे मिलना चाहता है।"
"कौन है श्याम..?" खत्री ने अपनी फ़ाइल में देखते देखते ही पूछा।
"सर ये तो नहीं बताया उसने पर..वो बस यही कह रहा है कि इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री से मिलना है मुझे।" श्याम ने कहा।
"ठीक है...भेज दो उसे।" इस बार खत्री ने श्याम को देखते हुए कहा।
श्याम चला गया और तुरंत ही उस आदमी को भेज दिया। जैसे ही वो आदमी अंदर आया, खत्री ने उसे बैठने को कहा और बोला "हाँ..क्यों मिलना चाहते थे तुम मुझसे..?''
"सर ये फोटो...!!!" उस आदमी ने अपने मोबाइल में एक फोटो दिखाते हुए कहा।
"तुम जानते हो इसे..?" खत्री ने चोंकते हुए पूछा।
"हाँ..सर..!!!" उस आदमी ने कहा।


विष्णुप्रिया

विष्णुप्रिया

अच्छी शुरुआत 👌💐

15 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
लखनऊ मर्डर केस
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एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जिसने पुलिस को नाको चने चबा दिए।

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