समुद्र-मंथन से जो चौदह रत्न निकले उनमें एक कामधेनु थी। सभी गौएं कामधेनु ही की संतानें हैं। सभी कामनाओं व सुखों को देने वाली होने के कारण गाय कामधेनु कहलाती है । गाय का रोम-रोम सात्विकता और पवित्रता से भरा हुआ है इसीलिए गाय के शरीर में सभी देवताओं और तीर्थों का निवास माना गया है और वे भगवान को सबसे अधिक प्रिय हैं।
यही कारण है कि गाय एक चलता-फिरता मन्दिर है । गाय की एक परिक्रमा करने से तैंतीस कोटि देवताओं की परिक्रमा हो जाती है । गाय जीते हुए और मर कर भी मानव का कल्याण ही करती है ।
विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्ति के लिए करें गाय के साथ ये अचूक उपाय
गाय के साथ किए गए छोटे-छोटे उपाय हमारे जीवन की विभिन्न प्रकार की समस्याओं का निवारण शीघ्र ही कर देते हैं । जैसे—
— पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बहुत संघर्षमय होता है । इस दोष की समाप्ति के लिए गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाना चाहिए ।
— यदि जन्मकुण्डली में सूर्य और चन्द्र कमजोर हों तो नित्य गाय के नेत्रों का दर्शन करना चाहिए क्योंकि गाय के दोनों नेत्रों में सूर्य और चन्द्र का निवास माना गया है।
— यदि किसी की जन्मकुण्डली में सूर्य या केतु के कारण परेशानियां आ रही हों तो गाय की पूजा करने व चारा खिलाने से ये दोष समाप्त हो जाते हैं क्योंकि गाय में सूर्य-केतु नाड़ी होती है।
— यदि रात्रि को सोते समय बुरे स्वप्न दिखाई देते हों तो सोते समय गोमाता का नाम-स्मरण कर सोने से बुरे स्वप्न दिखने बन्द हो जाते हैं ।
— प्रात:काल सोकर उठने पर गाय या उसके घी का स्पर्श करने मात्र से मनुष्य घोर पापों से मुक्त हो जाता है ।
— यदि किसी के हाथ में आयु रेखा टूटी हो तो गाय की पूजा करने और गाय का दूध-घी प्रयोग करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है क्योंकि गाय के घी का एक नाम ‘आयु’ है ।
— देसी गाय की पीठ पर कूबड़ को ‘बृहस्पति’ का रूप माना गया है । यदि कुण्डली में बृहस्पति अशुभ स्थिति में हो तो देशी गाय के कूबड़ के दर्शन कर गुड़ व चने की दाल खिलानी चाहिए ।
— नित्य सफेद रंग की गाय को रोटी खिलाने से शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं ।
— जिस घर में गाय पाली जाती है वहां सभी वास्तुदोष दूर हो जाते हैं । महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि गाय जहां शान्ति से बैठकर सांस लेती है तो उस स्थान के सारे पापों को खींच लेती है ।
— जिस भूमि पर भवन निर्माण होना हो, वहां बछड़े सहित गाय को लाकर कुछ समय के लिए बांध देना चाहिए । जब गाय अपने बछड़े को दुलार कर चाटती है तो उसके मुख से जो फेन भूमि पर गिरता है, उससे वहां की भूमि के सभी दोषों का निवारण हो जाता है।
— संतान प्राप्ति के लिए गाय की नित्य सेवा करना सर्वोत्तम माना गया है । गाय के पैर धोकर उसके ललाट पर रोली का टीका लगायें, अक्षत चढ़ायें । फिर कुछ भोजन लड्डू, बतासा या गुड़ खिलाकर पुत्र प्रदान करने की प्रार्थना करें । एक वर्ष तक नियमित ऐसा करने पर संतान सुख अवश्य मिलता है ।
— जिस घर में गाय पाली जाती है या गाय की सेवा की जाती है, वहां पुत्र, पौत्र, धन, विद्या आदि सभी सुख अपने-आप आ जाते हैं । उस घर के बच्चों में कोई भय नहीं रहता । पूतना वध के बाद गोपियों ने श्रीकृष्ण के ऊपर गाय की पूंछ घुमाकर उनकी नजर उतारी और उनका भय दूर किया।
— यात्रा पर जाते समय यदि गाय आती दिखाई दे तो उसे दाहिने हाथ से जाने देना चाहिए । ऐसा करने से यात्रा सफल होती है ।
— गाय की सेवा करने से जीते-जी तो हर प्रकार का सुख, संतोष और शांति प्राप्त होती ही है, गोदान करने से मरने के बाद यमराज का भय नहीं रहता है ।
— गाय के खुर की धूल का भी बहुत महत्व है । इसे अपने अंग में लगाने से सारे पापों का नाश हो जाता है । भगवान श्रीकृष्ण अपनी प्रिय गायों की सेवा कर प्रतिदिन उनकी खुर की धूलि को मस्तक पर लगाते थे—‘गायन के संग धावै, गायन में सचु पावै, गायन की खुर रेनु अंग लपटावै है।’ (छीतस्वामी)
— प्रात:काल उठते ही गोमाता का स्मरण करने से मनुष्य का बल बढ़ता है और शरीर पुष्ट बनता है ।
— यदि मनुष्य किसी विषम स्थिति में फंस गया है तो महाभारत के अनुशासन पर्व में एक मन्त्र दिया गया है । उसका जब भी समय मिले, स्मरण करते रहने से सब भय दूर हो जाते हैं—
गा वै पश्याम्यहं नित्यं गाव: पश्यन्तु मां सदा ।
गावोऽस्माकं वयं तासां यतो गावस्ततो वयम् ।।
अर्थ—‘मैं सदा गौओं का दर्शन करूँ और गौएं मुझ पर कृपादृष्टि करें । गौएं हमारी हैं और हम गौओं के हैं । जहां गौएं रहें, वहीं हम रहें, चूंकि गौएं हैं इसी से हम लोग भी हैं ।’
गाय के साथ भूलकर भी न करें ये गलतियां!!!!!!
— गाय साक्षात् जगदम्बा है अत: कभी भूल कर भी गाय को जूठी वस्तु न खिलाएं ।
— यह याद रखें कि गाय को कभी लांघना नहीं चाहिए ।
— गाय यदि घर पर रखी है तो कभी भी उसे भूखा प्यासा न रखें, न ही उसे धूप में बांधे । गाय के लिए पर्याप्त चारे, पानी व सर्दी-गर्मी से बचाव का ध्यान रखना चाहिए ।
— गौओं को लात व लाठी से न मारें । गौओं को जो लाठी से पीटते हैं उन्हें बिना हाथ का होकर यमलोक जाना पड़ता है ।
— किसी भी भयभीत, कीचड़ में धंसी हुई या जल में डूबती हुई गाय को बचाने से स्वर्ग सुख की प्राप्ति होती है ।
— जब गाय चर रही हो, एकान्त में बैठी हो या पानी पी रही हो तब उसे तंग न करें न पानी पीने से हटाएं । प्यासी गाय जब क्रोध में देखती है तो उस व्यक्ति को नरक का भागी होना पड़ता है।
— गोबर और गोमूत्र में लक्ष्मी का वास होता है, अत: इनसे घृणा करने पर अलक्ष्मी आती है।*