अंग अंग में गौ माता के ,
सब देवों का धाम है में ,
बारम्बार प्रणाम है ॥
नेत्रों में हैं सूर्य चंद्र ,
मस्तक में रहते हैं ब्रम्हा ,
सींगों में विष्णु महेश हैं ,
गऊ मूत्र में जगदम्बा ,
मुख में चारों वेद विराजें ,
भजते आठों याम हैं ,
गौ माता के श्री चरणों में ,
बारम्बार प्रणाम है ॥
रोमकूप में ऋषिगण रहते ,
यक्ष महाबली बायें हैं ,
गरुण दाँत में सर्प नाक में ,
वरुण कुबेर जी दायें हैं ,
कानों में अश्वनीकुमार ,
महिमा की सुनें बखान हैं ,
गौ माता के श्री चरणों में ,
बारम्बार प्रणाम है ॥
थनों में सागर मूत्र स्थान में ,
रहतीं गंगा महरानी ,
गुदा में सारे तीर्थ बसें और ,
गोबर में लक्ष्मी रानी ,
वर्णन करना बहुत कठिन है ,
अभी करोङों नाम हैं ,
गौ माता के श्री चरणों में ,
बारम्बार प्रणाम है ॥
पृष्ठभाग यमराज विराजें ,
रम्भाने में प्रजापति ,
उदर में हैं कार्तिकेय और ,
जिह्वा में हैं सरस्वती ,
तैतीस कोटि देवों को मन से ,
सुमिरे ‘परशुराम’ है ,
गौ माता के श्री चरणों में ,
बारम्बार प्रणाम है ॥
अंग अंग में गौ माता के ,
सब देवों का धाम है ,
गौ माता के श्री चरणों में ,
बारम्बार प्रणाम है ॥
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम् ।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम् ॥
अर्थ ;- जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं ॥
गाय का करो सम्मान ,
*गाय है मां के समान ,*