गोवंशसंवर्धन राष्ट्रसंवर्धन
दूध में तत्व :--
विटामिन -- छः प्रकार के
प्रोटीन -- आठ प्रकार के
खनिज तत्व -- पच्चीस प्रकार के
एमिनो एसिड -- इक्कीस प्रकार के
नाइट्रोजन -- उनत्तीस प्रकार के
किण्वन -- आठ प्रकार के
फास्फोरस यौगिक -- चार प्रकार के
शर्करा -- दो प्रकार की
सेरिब्रोसाइडस ( बुद्धि स्मृतिवर्द्धक )
स्ट्रोनटाइन ( रेडियोधर्मी नाशक )
एम• डी• जी• आई• ( कैंसरनिरोधक )
केरोटीन ( स्वर्णमय तत्व )
चूना - सोडियम - गंधक ।
गोबर में तत्व :--
नाइट्रोजन -- फाॅस्फोरस -- पोटेशियम -- लोहतत्व
जस्ता -- मैगनीज -- ताम्रतत्व -- बोरोन -- मोलीब्डेनम
बोरेक्स -- एकोयाल्ट सल्फेट आदि ।
गोमूत्र में तत्व :--
पोटेशियम - कैल्शियम -- मैग्निशियम -- फ्लोराइड -- यूरिया -- फाॅस्फोरस -- अमोनिया -- क्रिएटिनीन -- लोहतत्व -- ताम्रतत्व -- सल्फर -- स्वर्णक्षार -- लेक्टोज -- जलतत्व आदि ।
ये तो बात हुई तत्वों की -- अब गोमाता की महिमा जानते हैं :---
१ -- गोधूली मनुष्यों को पवित्र करती है और पातकों को नष्ट करती है ।
२-- गोधूली का समय विवाह के लिए सर्वोत्तम माना गया है ।
३-- जिस घर गाय होती है - उसमें वास्तुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं ।
४-- जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राशि कन्या पर हो - शुक्र की दशा चल रही हो या शुक्र अशुभ भाव ( ६-८-१२ ) में स्थित हो तो प्रातः काल के भोजन में से एक रोटी सफेद देशी गाय को खिलाने से शुक्र का नीचत्व एक शुक्र सम्बन्धी कुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है ।
५-- पितृदोष से मुक्ति -- सूर्य - मंगल - चन्द्र - या शुक्र की युति राहु से हो तो पितृदोष होता है --
प्रतिदिन या अमावस्या को गाय को रोटी - गुड चारा नहीं आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है ।
६-- किसी की जन्मपत्री में सूर्य नीच राशि तुला पर हो या अशुभ स्तिथि में हो अथवा केतु के द्वारा परेशानियां आ रही हो तो गाय में सूर्य - केतु नाडी में होने के फलस्वरूप गाय की पूजा करनी चाहिए - दोष समाप्त हो जायेंगे ।
७-- यदि रास्ते में गाय जाते समय गोमाता आती हुई दिखाई दे तो उन्हें अपने दाहिने से जाने देना चाहिए - यात्रा सफल होगी ।
८- यदि बुरे स्वप्न दिखाई दें तो मनुष्य गोमाता का नाम ले - बुरे स्वप्न दिखने बंद हो जायेंगे ।
९-- गाय के घी का एक नाम आयु भी है --" आयुर्वै घृतम् " -- अतः गाय के घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है ।
१०- देशी गाय की पीठपर जो ककुद ( कूबड ) होता है -- वह # बृहस्पति # है -- अतः जन्मपत्री में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में हो या अशुभ स्तिथि में हो तो देशी गाय के इस बृहस्पतिभाग या शिवलिंग रूपी ककुद के दर्शन करने चाहिए -- गुड तथा चने की दाल रखकर गाय को नित्य रोटी खिलाएं ।
११-- गोमाता के नेत्रों में प्रकाशस्वरूप भगवान सूर्य तथा ज्योत्स्ना के अधिष्ठाता चन्द्रदेव का निवास होता है- कुण्डली में यदि सूर्य - चन्द्र कमजोर हों तो गोनेत्र के दर्शन करें लाभ होगा ।
१२-- विष्णुपुराण में कहा गया है कि भगवान् श्री कृष्ण पूतना के दुग्धपान से डर गये तो नन्दबाबा ने गाय की पूँछ घुमाकर उनकी नजर उतारी और भय का निवारण किया तो बच्चों पर गाय की पूँछ घुमाने से वह नजर आदि दोषों से बचे रहते हैं ।
महाभारत के अनुशासनपर्व में कहा गया है कि --
" निविष्टं गोकुलं यत्र श्वासं मुञ्चति निर्भयम् ।
विर्जयति तं देशं पापं चास्यापकर्षति ।। "
गाय जहाँ बैठकर निर्भयता पूर्वक साँस लेती है तो उस स्थान के सारे पापों को खींच लेती है ।
यह भी कहा गया है कि जिस घर में गाय की सेवा होती है - वहाँ पुत्र - पौत्र - धन - विद्या आदि सुख जो भी चाहिए मिल जाता है ।
यही अत्रि संहिता में भी कहा गया है -- जिस घर में सवत्सा धेनु नहीं हो - उसका मङ्गल - माङ्गल्य कैसे होगा?
किसी भी उच्च अधिकारी से मिलने जायें या किसी भी शुभ कार्य के लिए जायें तो उस समय गाय के रँभाने की ध्वनि कान में पडना शुभ है वह गौमाता के दर्शन करके घर से निकलें शुभ होगा ।
गाय को झूठे हाथ से ना छुएं - ना ही किसी प्रकार की झूठन खिलाएं ।
गाय को कभी ना लांघें - पैर से तो कदापि ना छुएं ।
गाय का पञ्चगव्य सर्वारिष्ट नाशक है ।
सरकार देश में गोहत्या पूर्णतः बंद करे