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शरद ऋतु

25 नवम्बर 2022

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 जगत त्रस्त किरण रविताप से तप तपाकर तृप्त अतृप्त सी
 मनहरण शशिशीतसमा सुखद शरद व्योम धरा पर छा गयी
 सरसती सरसर वहती पवन अतिमनोज्ञ प्रशान्त सभीत सी
 हृदय तंत्र विमर्दित अंग सब जनु अनंग उमाह उछाह में

 पवन वेग लिए हिमकंण चली सघन शीत दिगन्त प्रसारती 
 व्यथित चित्त प्र कम्पित तन्त्रियाॅ जगत जीव अनन्दित हो रहे
 नग्न वस्त्र न तन पे ऋतु ग्रीष्म मेंनववधू पितु गृह जनु रह रही
 शरद सास दिखी परिधान से कस रही तन को प्रिय जनु मिले

 विविधता  नवरंग लिए गगन धुल गया मल धूल सिरा गयी
 मलिन चित्त लिए दुरवृत्त जनु शठ हठात गया बन सन्त हो
 महल तिनकों के खगवृन्द सब कर विनिर्मित पोषण वालहित 
 तरूशिखर और अम्बर भूमि बिच लटकते तरू डाल हैं घोंसले

तट सरोवर खंजन घूमते उड रहीं नभ बीच भमीरियाॅ 
वरसता घन गर्जन थम गयाजलद वर्ष हुए बलहीन अब
कृषक बीज प्रसाधन में लगे उर्वरा कर भूमि प्रशन्न हैं
तंत्र पटपीत लजा रहींझुक गयीं अब धान की वालियाँ 

मधुर शीत लिए हिमनद उठी नवलहर मन सौध निशीथ में
अति अलौकिक आनन्द मग्न हो श्रमित हो पर्यंक शयन किये 
थक गया जग भानुकिरण थकी तपन रश्मि शरद लख शान्त है
बदन पर ढलती अति स्वेद कीटपकती अब बूॅद कहाॅ निढल

हृदयताप मिटा नर नारि काजग गयीं अब काम प्रवृत्तियां 
सुघर सौध सुघर गृह वीथियाॅ थिरकतीं कर केलि मगन सभी
प्रकृति कृत अभ्यंतर श्रृष्टि के अति प्रहर्षित लोक समस्त है
सुखद जीवन के क्षण पा मनुज प्रभु कृपा धरती पे बरस रही
 तरूलता बनभूमि धरा गगन भर गये शरदार्द्र मग्न सभी
 मग्न मोहन मानिनि शरद काहृदय  से अभिनन्दन है यहाॅ

आचार्य राममोहन मिश्र की अन्य किताबें

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रचनाएँ
आचार्य राममोहन मिश्र की डायरी
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ऑखों के असंख्य रंगों। को कविता के माध्यम से दर्शाया गया है प्रकृति की इस अनुपम देन को घनाक्षरी छन्दों के द्वारा वर्णित किया गया है आध्यात्मिक पुस्तकें 1, परशुरामर्चनम भगवान परशुराम की स्तुतियाॅ एवम प्रार्थनायें 2 रेणुकार्चनम मांगेगा की स्तुतियाॅ एवम प्रार्थनायें
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आडम्बर

24 नवम्बर 2022
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काव्य शास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम _____________सत्ता की कुर्सी पर निगाह को गड़ाए जग सूझता न और कुछ सदियाँ छली गयींचाटुकार चापलूस धन पद के लालचियों कीबेटियाॅ जमीर बेच मुगलों संग चली गय

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प्रभात

24 नवम्बर 2022
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साहित्य मन्दाकिनी। पभात वर्णन __________________निशिगते मुदिता अतिशोभिता प्रमुदिता बन कानन वल्लरी लसित पुष्प अनेक मनोहरा नवधरा नवरूप सहेजती सरसि सरसिज श्वेत कुम

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ब्रह्मसन्धि। संध्या सुन्दरी

24 नवम्बर 2022
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जल्द मेघ समान कला कलित नयनकोर खिची रमणीय है अर्ध इंदु लसित नथनासिका कर्णफूल नक्षत्र लटक रहे प्रकृति की हॅसती खिलवेलियाॅ बनवसन परिधान हरीतिमा सज संवर नभ से जगमग सहम उतर

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ब्रह्मसन्धि। संध्या सुन्दरी

24 नवम्बर 2022
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जल्द मेघ समान कला कलित नयनकोर खिची रमणीय है अर्ध इंदु लसित नथनासिका कर्णफूल नक्षत्र लटक रहे प्रकृति की हॅसती खिलवेलियाॅ बनवसन परिधान हरीतिमा सज संवर नभ से जगमग सहम उतर

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शरद ऋतु

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जगत त्रस्त किरण रविताप से तप तपाकर तृप्त अतृप्त सी मनहरण शशिशीतसमा सुखद शरद व्योम धरा पर छा गयी सरसती सरसर वहती पवन अतिमनोज्ञ प्रशान्त सभीत सी हृदय तंत्र विमर्दित अंग सब जनु अनंग

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वसन्त

25 नवम्बर 2022
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परम शीतल स्नेह स्वरस सरस सर सरोवर शान्त सुगम घना अतिमना विमना निशि चंद्र लख कमलिनी कर केलि मुदित हुई जगत जिष्णु सहिष्णु हो उष्णजब भुवनभास्कर भोरउदित हुआ परम पावन पीतमयी किरण जगत श्रृष्ट

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वसन्त

25 नवम्बर 2022
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पात पात पंकज पखेरू पवि पावन पे पीत पट पावनपटीन दुपटीन पैछाई पीतिमा है पग पग जग नग मग पादप पिपीलिका पुनीत पातकीन पैपैंजनी पिनहाय पुनि पायन पलोटे जनु पीत परिधान पट लिपटे सुतीन्ह पैपुलकि प

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वसन्त

25 नवम्बर 2022
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पात पात पंकज पखेरू पवि पावन पे पीत पट पावनपटीन दुपटीन पैछाई पीतिमा है पग पग जग नग मग पादप पिपीलिका पुनीत पातकीन पैपैंजनी पिनहाय पुनि पायन पलोटे जनु पीत परिधान पट लिपटे सुतीन्ह पैपुलकि प

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वसन्त घनाक्षरी छन्द

25 नवम्बर 2022
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वसन्त घनाक्षरी छन्द

25 नवम्बर 2022
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वसन्त घनाक्षरी छन्द

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वसन्त घनाक्षरी छन्द

25 नवम्बर 2022
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वर्षा ऋतु

26 नवम्बर 2022
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दादुर को शोर कहुॅ गावत चकोर मोर मेघन की कारी कारी कोर कोर देखि के प्रेम मे विभोर भूलि भेद तोर मेर केर करि किलकोर झूमैं हॅ

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