shabd-logo

बेटी

18 जनवरी 2022

60 बार देखा गया 60
मां कुंठित है, 
पिता ने सिर पकड़ लिया।
दादी दुखित है,
दादा को सोच ने जकड़ लिया।
पर क्यों?
क्या बेटी को जन्म लेने का हक नहीं?
क्या उसकी क़िस्मत में खुशियों की महक नहीं?
क्यों भूल जाते हैं हम,
चाहें खुशी हो या गम,
बेटियां सहती हैं हर सितम ,
फिर भी चुप क्यों हैं हम?
अपने चंचल मुस्कान से,
जो महकाती है घर- आंगन,
उसी नन्हीं परी के लिए,
क्यों सिमट जाता है मां का दामन?
जो करे घर को सुसज्जित,
भाव जिसका प्यार है ,
उसी सुता के जन्म से ,
क्यों हमें इनकार है?
पिता की इज्ज़त, मां के तन की परिधान हैं
सच मानिए ये बेटियां भगवान का वरदान हैं।

Pragya pandey

Pragya pandey

Very nice 👌👌

28 जनवरी 2022

8
रचनाएँ
काव्य - कुंज
0.0
इस पुस्तक में मेरे द्वारा लिखी कुछ कविताएं हैं ।
1

कसक

18 जनवरी 2022
3
3
4

चांदनी रात में तारों को कौन पूछेगा?थक गई निगाहें तो नजारों को कौन पूछेगा?चांदनी रात में तारों को कौन पूछेगा?नाम है शाहजहां- मुमताज का,ताजमहल के अंदरहाथ काटे गए मासूमों के,जेल के अंदरउन मासूम कारीगरों

2

बेटी

18 जनवरी 2022
3
3
1

मां कुंठित है, पिता ने सिर पकड़ लिया।दादी दुखित है,दादा को सोच ने जकड़ लिया।पर क्यों?क्या बेटी को जन्म लेने का हक नहीं?क्या उसकी क़िस्मत में खुशियों की महक नहीं?क्यों भूल जाते हैं हम,चाहें खुशी ह

3

हे कृष्ण!तुम्हें क्या कहूं?

18 जनवरी 2022
2
3
2

हे कृष्ण! तुम्हें क्या कहूं?कैसे कहूं, कितना कहूं?रहोगे अव्यक्त फिर भी,चाहें तुम्हें जितना कहूं।ज्ञानियों का ज्ञान कहूं,या मनीषियों का मनन कहूं?प्रेमियों का प्रेम,या ऋषियों का चिंतन कहूं?रहोगे अव्यक्त

4

कौन हो तुम!

18 जनवरी 2022
3
3
2

कैसे कहूं तुम कौन हो?क्या बताऊं तुम कौन हो?मेरे हृदय की तान तुम,सांसों की हो झंकार तुम,काशी भी तुम,काबा भी तुम,सावन भी तुम, मल्हार तुम,जो तप्त मन को छांव दे,तुम वही पारिजात हो।कैसे कहूं तुम कौन हो?क्य

5

जब उठती है कलम

21 जनवरी 2022
5
3
2

कलम जब उठती हैशासन हिल जाता है,तानाशाहों का सिंहासन डोल जाता है,राजनीति पलट देती है।कलम जब उठती है।गरीबों की आवाज हो,या आदमी कोई आम हो,बड़े से बड़ा राज हो ,हर राज़ खोल देती है।कलम जब उठती है।विरह में

6

मां

21 जनवरी 2022
1
2
0

वात्सल्य में डूबता जिसका,मन और गात हैवही तो प्यारी मां हैवही तो प्यारी मां है।जो जीवन की शक्ति है ,मन की अभिव्यक्ति है,जो बच्चों का संबल है,स्वभाव से निर्मल है,जो घर का सम्मान हैवही तो प्यारी मां है।ज

7

मातृभूमि

21 जनवरी 2022
3
3
6

हे मात! रख दे हाथ,दे आशीष यह,देता हूं कह,इस रक्त का कण-कण समर्पित,होगा तेरे नाम पर,दे दे कवच -तलवार,न होगी हार,यह आशीष दे ।लेकर चरण-रज धूल तेरा,करता है प्रण यह पुत्र तेरा,नत न होगा भाल मेरा,हर वेदना,

8

बेबसी

23 जनवरी 2022
3
3
4

मेरा साथी था इक चंदा,मैं उसको पा नहीं पाया,वो नीचे आ नहीं सकता,मैं उस तक जा नहीं पाया।वो ऐसे था, जैसे होकोई बहता हुआ दरिया,ठहरना फ़ितरत नहीं जिसकी,वो ख़ुद रुक नहीं सकता,मैं उसको रोक ना पाया।वो ऐसे था

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए