पीहर आयी थी एक बहन,मनाने त्योहार रक्षाबन्धन,गाँव पहुँचने का न था कोई साधन,चल दी पैदल एक राहगीर बन।सावन का था महीना,पर चिलचिलाती धूप से था सामना,दो छोटे बच्चे साथ थे पैदल,और एक को था गोद में थामा।वो सड़
गरीब दा मुंह गुरू दी गोलकएक व्यक्ति पैदल घर जा रहा था। रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था उसने पास जाकर देखा तो उस पर लिखा हुआ था कि इस रास्ते पर मेरा कल एक 50₹ का नोट गिर गया है। मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता। जिसे भी मिले कृपया इस पते पर दे सकते हैं। यह