सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, ... मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे |
पीहर आयी थी एक बहन,मनाने त्योहार रक्षाबन्धन,गाँव पहुँचने का न था कोई साधन,चल दी पैदल एक राहगीर बन।सावन का था महीना,पर चिलचिलाती धूप से था सामना,दो छोटे बच्चे साथ थे पैदल,और एक को था गोद में थामा।वो सड़
दोस्तों आप सभी लोग जानते हैं कि अयोध्या में हिंदू मानते हैं वहां 1528 के पहले रामचंद्र जी का मंदिर था लेकिन बाद में मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद बना दिया गया मंदिर तोड़कर मस्जिद का रूप देने में कुछ मंदि
Hello friendsरक्षाबंधन का त्यौहार एक भाई और एक बहन के लिए बहुत ही खास होता है । ये एक ऐसा बंधन होता है , जिसमें एक भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देता है और उसे हर पल पूरा करने की कोशिश करता है ।
रेशम के डोर से बना ,एक अटूट बंधन , इस बंधन का नहीं है कोई मोल , ये राखी का बंधन है अनमोल । सदियों से चली आ रही है , भाई - बहन में रखी का प्रचलन , इस दिन की खुशियों का नहीं है
जय श्री कृष्णा 🙏 मैने रक्षा बन्धन पर लेख तो क ई लिखे है पर कविता लिखने का कभी मन में विचार ही नही आया आज जब विषय सामने आया तो एक कोशिश की है कितना सफल हुआ यह तो आप गुणी जन ही बतायेंगे । रक्षा बन्धन क
बड़ा प्यारा है मेरा भाई, जैसी कोई परछाई,दूर तक जैसे साथ निभाती सागर की गहराई,खुद हस देता है जब गम की हो कभी बरसात,कहा मुझ तक आने देता दर्द भरी मनहूस रात।सीधा साधा दिल का बेहत साफ़ है मेरा भाई,दुनियादा
आय रक्षा पर्व आस,एक दूजे से परिहास।पावन पर्व यह मास,मन से होते ये पास।।समय के होते दास,दूर रह होता हास।पास हो तो उल्लास,एक दूजे से उपहास।।डाक भेजे तो संत्रास,दूर रह होकर पास।आय मायके परिहास,यादे रचे इ
आया राखी का त्योहारहर तरफ रंग बिरंगे धागों की बौछारभाई बहन का अटूट प्यारकितना सुंदर ये त्योहारसज धज बहनें चलीं भाइयों के घरभाई हैं रक्षक तो बहनें निडरहर तरफ छाई मौज बहारआया राखी का त्योहारये धागे रिश्
रिमझिम सावनी फुहार-संग पावन पर्व रक्षाबंधन आया है घर-संसार खोई बहिना को मायके वालों ने बुलाया है मन में सबसे मिलने की उमंग धमा-चैकड़ी मचाने का मन है पता है जहाँ सुकूं भरी जिंदगी वह बचपन
रेशम की डोरी का ये त्यौहार, भाई बहन का रिश्तों का अटूट प्यार , सभी धर्मो और वर्गो के लोग इसे मानते है । सामाजिक एकता की मिसाल है त्यौहार , रक्षा बंधन का है पवित्र त्यौहार, हमारी संस्कृति यही सिखा
राखी नहीं है कच्चा धागा,भाई बहन ने प्यार से पागा।बहन ने बड़े प्यार से देखो,भाई की कलाई पर बाँधा।।भाई करता है इन्तज़ार,कब आएगा राखी का त्योहार।बहना बांधेगी राखी कलाई पर,मैं दूँगा उसको प्रिय उपहार।।बहना अ
तुम मेरे अग्रज हो सबसे प्यारे,मेरे बचपन के साथी हो।एक आंगन क्रीड़ा कर पले,मेरे जीवन के हिमायती हो।।जीवन में हर खुशी मुझे दी,संग-संग मुझको बड़ा किया।माता-पिता के संग-संग अग्रज,मुझे असीम तूने प्यार दिया
कल राखी है आप आ रही हो न आने का तो है पर तेरे जीजू से पूछकर बताऊंगी तुम मेरे हो प्यारे भाई , कोरोना के काल में भी में राखी बांधने आयी तो इस बार कैसे भूल पाऊंगी चाहे हो जाए शाम पर राखी बांधने जरू
नारी रूप होती देवी का, अलग-अलग चरित्र में होती है।कभी बहिन कभी मां बनकर, हमको जन्म यह देती है।।ममता की बन मूरत माता, पुत्र जन्म को देती है।बहिन-भाई का प्रेम है अनुपम,प्रेम का बंधन रखती है।।रक्षाबंधन प
बात बहुत पुरानी है ।शायद किंवदंती है ।पर पता नही क्यों जब भी कोई मुंहबोली बहन के विषय मे बात आती है तो जेहन मे नरसिंह का भात आ जाता है ।आज के विषय पर ये कहानी बिल्कुल सटीक है नानही बाई के कोई भाई
हमारी भारतीय संस्कृति में अलग-अलग प्रकार के धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों के अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार हैं, जिन्हें वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने क
भाई की कलाई परअपना प्यार बांधुअपने जैसा भाई औरहर जगह ढूंढो सब रक्षाकरे अपनी और हम सबबहनों की इस रक्षाबंधनऐसा भाई रब से हर किसीके लिए मांगु.......
बचपन की यादों का त्यौहार है राखी घर घर में खुशियों का उपहार है राखी भाइयों का सम्मान है राखी दिलों का पवित्र विश्वास है राखी लड़ते झगड़ते मीठी नोकझोंक है राखी मीठी मीठी शरारतों का जोड़ है राखी भा
रेशम के धागे से बंधा,भाई बहन का प्यार।आया रक्षा बंधन देखो,राखी का यह त्यौहार।।प्यार देखो ऐसे संजोए,ये भाई और बहन का।करता वादा भाई ऐसे,बहन की रक्षा करने का।।मोल नहीं कोई भी देखो,इस प्यार भरे रिश्ते का।