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हदें

15 नवम्बर 2015

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हदें तो हदें ही होती हैं जब सरहदें बन जाएँ तो बेहदें हो जाती हैं संगम वर्मा
संगम  वर्मा

संगम वर्मा

शुक्रिया वर्तिका जी

18 नवम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

गहरी बात, संगम जी!

16 नवम्बर 2015

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रचनाएँ
kavysavvy
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मेरा कुछ सामान
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ममता

25 अक्टूबर 2015
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गोदलू -सा मेरा काकू  क्या चाहिए? बोल, "हाँ! बोल" माँ की ऊँगली पकड़ मुँह में  दाबे गोदलू चूसने लगा  माँ बिन कहे समझती है माँ तुझे सलाम संगम वर्मा

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मिठास

25 अक्टूबर 2015
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पसंद है मुझे गुढ़ की डेली खाना खा तो ली है पर, परोसी गई मिठास खाने से कहीं अच्छी है ये बता नहीं सकता बेजुबान जो हूँ इस मिठास के चक्कर में कई दफा  चाबुक की मार पड़ी हैक्यूंकि मुझे गुढ़ पसंद है संगम वर्मा

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ग़ज़ल

1 नवम्बर 2015
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चाँद ने दे दी है अब इजाज़तसबको सबका चाँद मुबारकमाथे पे बिंदी होंठों की लालीचूड़ियाँ बुलाएँ, चाँद मुबारकदेहरी के भीतर झाँकती आँखेंआएँ तो कहेंगी, चाँद मुबारकदिल के कोने से निकली आहहै निकला चाँद, चाँद मुबारकप्रेम की छननी से निहारूँ तुझेतो चाँद भी कहे चाँद मुबारकतेरे हाथों से पानी का घूँट पिऊँव्रत खोलूँ

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है तो है

5 नवम्बर 2015
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'लफ्ज़', तीन हैं और काफ़ी हैं जेहन में उतरने के लिए दिल के धड़कने के लिएसुरों में बाँधने के लिएताल में बैठाने के लिएगीत गुनगुनाने के लिएमिसरा बनाने के लिएग़ज़ल गाने के लिएहर नए तराने के लिए हर अफ़साने के लिएमुस्कुराने के लिए गुदगुदाने के लिए फुसफुसाने के लिएहक़ जताने के लिए रूठे को मनाने के लिए जोरों

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हदें

15 नवम्बर 2015
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हदें तो हदें ही होती हैं जब सरहदें बन जाएँतो बेहदें हो जाती हैंसंगम वर्मा

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नया साल

1 जनवरी 2016
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31 ने 1 का हाथ पकड़ कर यूँ इज़हार किया तेरे बिन मैं नहीं...1 ने  फिर हाथ थामते हुए इख्तियार किया हाँ !....तुम्हारे बिन मैं नहीं और मेरे बिन तुम नहीं  

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धड़कन

13 जनवरी 2016
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है---- मेरा----- दिल----- मोम----- सा तू---- धड़के---- उसमे----- ॐ---- सा #संगमवर्मा 

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