पसंद है मुझे
गुढ़ की डेली खाना
खा तो ली है
पर, परोसी गई मिठास
खाने से कहीं अच्छी है
ये बता नहीं सकता
बेजुबान जो हूँ
इस मिठास के चक्कर में
कई दफा
चाबुक की मार पड़ी है
क्यूंकि मुझे गुढ़ पसंद है
- संगम वर्मा
25 अक्टूबर 2015
पसंद है मुझे
गुढ़ की डेली खाना
खा तो ली है
पर, परोसी गई मिठास
खाने से कहीं अच्छी है
ये बता नहीं सकता
बेजुबान जो हूँ
इस मिठास के चक्कर में
कई दफा
चाबुक की मार पड़ी है
क्यूंकि मुझे गुढ़ पसंद है
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सहायक प्राध्यापक, स्नातकोत्तर हिंदी विभाग, सतीश चन्दर धवन राजकीय महाविद्यालय, लुधियाना, पंजाब, ई मेल - sangamve@gmail.com, चलभाष - 094636-03737D
खूबसूरत नज़्म !
2 नवम्बर 2015
शुक्रिया वर्तिका जी
28 अक्टूबर 2015
आभार आपका अवधेश सिंह जी
25 अक्टूबर 2015
, परोसी गई मिठास खाने से कहीं अच्छी है ये बता नहीं सकता, बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति !बधाई !
25 अक्टूबर 2015