ग़ज़ल
चाँद ने दे दी है अब इजाज़तसबको सबका चाँद मुबारकमाथे पे बिंदी होंठों की लालीचूड़ियाँ बुलाएँ, चाँद मुबारकदेहरी के भीतर झाँकती आँखेंआएँ तो कहेंगी, चाँद मुबारकदिल के कोने से निकली आहहै निकला चाँद, चाँद मुबारकप्रेम की छननी से निहारूँ तुझेतो चाँद भी कहे चाँद मुबारकतेरे हाथों से पानी का घूँट पिऊँव्रत खोलूँ