ऐसा एक स्वप्न था|
आँख खुला तो सुबहहुवा था,आँख भीगा था दुःख में रोया,सुखमे रोया ऐसा एक स्वप्न था| तकिया गीला थादिल की धड़कन कितनी तेज था मन भारी भारी थाअनहोनी से गुजरें कैसी चोट था| तड़प दिखी थी साथनिभाई थी हकीकत है येआवाज दी थी हाथबढ़ाई थी मुहब्बत है ये सच होते स्वप्नकभी डर है सच न हो जाये खोना नहीं चाहतेजिसको सचमें