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Hindikavita

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तुझ में उलझा हूँ इस कदर केअब कुछ भी सुलझता नहीं हर तरफ एक धुंध सी हैजो तेरे जातेकदमो से उठी है इसमें जीने की घुटनको मैं बयां कर सकता नहींहर जरिया बंद कर दियातुझ तक पहुंचने कापर एक तेरे ख्यालको कोई दरवाज़ारोक पाता नहींमैं जानता हूँ के तून आएगा अब कभीमेरा हाल भी पूछने क

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