29 जनवरी 2015
अमर शहीदों को शत –शत नमन... मेरी शहादत की मिट्टी, मेरे गाँव तक आती है, धान के हरे खेत, नीम की छाँव तक आती है, अर्धखुली खिड़की से झाँकती बूढी माँ की नज़र, महुए पर बैठे - कौए की काँव तक आती है, शहीदों की शहादत भी अज़ब जुनून है, तिश्नगी है मौत की,बहता हुआ खून है, केशरिया तिरंगे से लिपटे ये ताबूत – बेटा होता है विदा, माँ ये कैसा सुकून है I
6 जनवरी 2016
अमर शहीदों को शत –शत नमन... मेरी शहादत की मिट्टी, मेरे गाँव तक आती है, धान के हरे खेत, नीम की छाँव तक आती है, अर्धखुली खिड़की से झाँकती बूढी माँ की नज़र, महुए पर बैठे - कौए की काँव तक आती है, शहीदों की शहादत भी अज़ब जुनून है, तिश्नगी है मौत की,बहता हुआ खून है, केशरिया तिरंगे से लिपटे ये ताबूत – बेटा होता है विदा, माँ ये कैसा सुकून है I
6 जनवरी 2016
युद्ध में एक घायल फौजी की करुणगाथा शहीद जवानो को एक कवि का शत शत नमन साथी घर जाकर मत कहना केवल संकेतो से बतला देना माता के समक्ष जलता दीप बुझा देना वह समझ जाएगी इतने पर भी न समझे तो केवल दो आंसू तुम छलका देना मेरी बहना के आगे ....... तो केवल सूनी कलाई दिखा देना या राखी तोड़ गिरा देना मेरी पत्नी के आगे .... मस्तक शीश झुका देना या उसकी मांग का सिन्दूर मिटा देना मेरे पिता के आगे .... उनके हाथो को सहला देना या लाठी तोड़ गिरा देना मेरी बेटी और बेटे के आगे .... उनका शिर सहला देना और सीने से उन्हें लगा लेना मेरा भाई पूछे तो खाली राह दिखा देना और सैनिक का धरम बता देना सब समझ जायेंगे वें सब समझ जायेंगे हिन्द जवान तुम्हे सलाम, तुम्हे सलाम, तुम्हे सलाम ............. संकलित्
6 जनवरी 2016
अति उत्तम
7 मार्च 2015
धन्वाद !सर
31 जनवरी 2015
उत्तम....
31 जनवरी 2015