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हिन्द जवान,तुम्हे सलाम

29 जनवरी 2015

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हिन्द जवान तुम्हे सलाम ,तुम्हे सलाम सौफ दिए है ये अनमोल रत्न हमारे हाथ हमारा फर्ज इसकी रक्षा करना दिन रात जगत में सीना ताने जीता रहेगा हिन्दुस्थान आओ यारो चलो मिलकर सब करले प्रन अब नही बनेगा ये वतन किसीका गुलाम हिन्द जवान तुम्हे सलाम ,तुम्हे सलाम असिम बलिदानोंसे मिली है अमर नौजवानी याद करो उन्ह वीर शहीदोंको क्यों दी क़ुरबानी चले हो किसी पथ स्वतंत्रःता सभी का लक्ष था न मुड़े न थके ,थमे हर कदम जोशीला था इंकलाब जिंदाबाद की बोली गूँजउठी थी हर धाम हिन्द जवान तुम्हे सलाम तुम्हे सलाम हर्षित है वतन उन्हजैसे सपूत पाकर जो परवशताके पग जमींसेउखाड़कर आझादी पायी है मातृभूमिकी फाँसीपे चढ़कर अब बढ़े जो बुरी कदम इस धरती पर कसम उन्ह शहीदोंकी वो कदम काट लेंगे हम हिन्द जवान तुम्हे सलाम ,तुम्हे सलाम हमसे ना कोई छीन सकेगा हिन्दुस्थान हमारा हर दिल में फहरायेंगेविजयी ध्वज प्यारा इस मिटटीसे तिलक करो सर पर बांधे कफन वतन शीश झुकाये जो उसे करे जमीनमे दफ़न उन्ह रावण को मिटाने सबको बनना है राम हिन्द जवान तुम्हे सलाम तुम्हे सलाम अमन चैन की जहाँमे हर वक्त वो करते बात आखोंमे धूल झोककर करके विश्वासघात हमारे मुल्क में धर्मोके नाम मचाये आंतक बेगुनाह जीव यहाँ मरते रहे कब तक अब नही सहेंगे हम हाथ में ले शस्त्र थाम हिन्द जवान तुम्हे सलाम,तुम्हे सलाम

हिराजी विट्ठल नैताम की अन्य किताबें

मदन पाण्डेय 'शिखर'

मदन पाण्डेय 'शिखर'

अमर शहीदों को शत –शत नमन... मेरी शहादत की मिट्टी, मेरे गाँव तक आती है, धान के हरे खेत, नीम की छाँव तक आती है, अर्धखुली खिड़की से झाँकती बूढी माँ की नज़र, महुए पर बैठे - कौए की काँव तक आती है, शहीदों की शहादत भी अज़ब जुनून है, तिश्नगी है मौत की,बहता हुआ खून है, केशरिया तिरंगे से लिपटे ये ताबूत – बेटा होता है विदा, माँ ये कैसा सुकून है I

6 जनवरी 2016

मदन पाण्डेय 'शिखर'

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अमर शहीदों को शत –शत नमन... मेरी शहादत की मिट्टी, मेरे गाँव तक आती है, धान के हरे खेत, नीम की छाँव तक आती है, अर्धखुली खिड़की से झाँकती बूढी माँ की नज़र, महुए पर बैठे - कौए की काँव तक आती है, शहीदों की शहादत भी अज़ब जुनून है, तिश्नगी है मौत की,बहता हुआ खून है, केशरिया तिरंगे से लिपटे ये ताबूत – बेटा होता है विदा, माँ ये कैसा सुकून है I

6 जनवरी 2016

प्रद्युमन कुमार जैन

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युद्ध में एक घायल फौजी की करुणगाथा शहीद जवानो को एक कवि का शत शत नमन साथी घर जाकर मत कहना केवल संकेतो से बतला देना माता के समक्ष जलता दीप बुझा देना वह समझ जाएगी इतने पर भी न समझे तो केवल दो आंसू तुम छलका देना मेरी बहना के आगे ....... तो केवल सूनी कलाई दिखा देना या राखी तोड़ गिरा देना मेरी पत्नी के आगे .... मस्तक शीश झुका देना या उसकी मांग का सिन्दूर मिटा देना मेरे पिता के आगे .... उनके हाथो को सहला देना या लाठी तोड़ गिरा देना मेरी बेटी और बेटे के आगे .... उनका शिर सहला देना और सीने से उन्हें लगा लेना मेरा भाई पूछे तो खाली राह दिखा देना और सैनिक का धरम बता देना सब समझ जायेंगे वें सब समझ जायेंगे हिन्द जवान तुम्हे सलाम, तुम्हे सलाम, तुम्हे सलाम ............. संकलित्

6 जनवरी 2016

7 मार्च 2015

31 जनवरी 2015

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हिन्द जवान हिन्द जवान

27 जनवरी 2015
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वन्दे तिरंगा , वन्दे तिरंगा, वन्दे विजयी देखे तुम्हे हर्ष समा रग -रग में मेरी देखुँ ऊंचाई पे लहराते नैनो में तस्वीर तुम्हारी, ना झुकने दू शीश तुम्हारा क्यों न हो प्राण बलिदान तुम्हारे रक्षा खातीर यहाँ हर जवान कुर्बान, तुम तेज ,तुम पथ प्रकाश, सहस्य शामल गंध , तुम ध्येय, शील ,मेरी आबरू, हिन्द दि

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हिन्द जवान,तुम्हे सलाम

29 जनवरी 2015
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हिन्द जवान तुम्हे सलाम ,तुम्हे सलाम सौफ दिए है ये अनमोल रत्न हमारे हाथ हमारा फर्ज इसकी रक्षा करना दिन रात जगत में सीना ताने जीता रहेगा हिन्दुस्थान आओ यारो चलो मिलकर सब करले प्रन अब नही बनेगा ये वतन किसीका गुलाम हिन्द जवान तुम्हे सलाम ,तुम्हे सलाम असिम बलिदानोंसे मिली है अमर नौजवानी याद करो उन्ह

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