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कलियाँ है क्यूँ मुरझाई सी

29 फरवरी 2020

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कलियाँ है क्यूँ मुरझाई सी


ये कलियाँ है क्यूँ मुरझाई सी,

है गर्म उदासी छायीसी|


बचपन है पर कोई खेल नहीं,

ये चमन है कोई जेल नहीं|


मन किंचित भी मुस्काता नहीं,

सब पाकर भी कुछ पाता नहीं|


याद है मुझको-

कुछ फूल हैं और कुछ काँटे हैं,

जो तक़दीर ने बाँटे हैं|


गर काँटे मुझको मिल जाएँ,

तो कलियाँ फ़िर से खिल जाएँ||

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