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चुडैल

9 जुलाई 2022

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                वैसे तो भूतों की कहानियाँ बता रही हूँ आपको तो बहुत कुछ मुझे भी याद आता जा रहा है, हालांकि सच में मैं इतनी भाग्यशाली तो नहीं की भूतों से आमने सामने का परिचय लेकर उनसे मुलाकात कर पाऊ ,पर खैर छोडिये, मैं तो सिर्फ उनसे इतना ही पूछना चाहती हूँ की आखिर क्या बात है की वो यहाँ से मौत के बाद भी मुक्त ना हो पाते।
              कौन सी। ऐसी ख्वाईशें होती है की जो आधी अधूरी रह जाती है, की जवान तो खैर बूढे भी लोग भूत यौनी में प्रवेश कर जाते है, एक बार कभी मिल जाये ना मुझे तो जरुर उनका लाईव्ह इंटरव्हयू लु मैं, पता तो चले ऐसे कौनसे समय उनकी मौत होती है की वे यहीं भटकते रहते है। चलो जाने दो, आज मैं आपको वो कहानी बताने जा रही हूँ जिनमें उनका चूडेल होना तो लाजमी है।
          पिछडे कहानी में मैने जिक्र किया था की हमारी एक रिलेटीव्ह जिनकी हत्या उसीके पागल पती ने की थी, आज मैं आपको उसीकी कहानी सूनाने जा रही हूँ आय होप आपको पसंद आयेगी।
             किसी कारण नाम बदलकर बताया है सभी का। तो हमारे ननिहाल में जहाँ हम बाबा के गाँव से भी ज्यादा जाया करते थे, उनके पास ही मेरे बाबा के नोकरी के कारण हम रहते थे, और हर शनिवार, ऐतवार को वहीं हम डेरा जमाये रहते थे, तो उसी गाँव की कहानी, मेरे ननिहाल पिंपरी की कहानी सूनाने जा रही हूँ  जो गाँव में बहुत फेमस है, आप तो जानते है लोगों की आदत को मिर्च मसाला डालकर सुनाने की, फिर ये कहानी तो मैनें जब बचपन में हम सारे भाई बहन ननिहाल जाते तब मेरे माँ और माँसी से सूनी है, तो हुबहु आपको वैसे ही सुनाती हूँ।
           तो मेरे माँ का दूर का भाई और उसके बिबी की कहानी है, जो आज भी हर किसीको दिखती है, और गाँव से बाहर जाने का रास्ता पूछती रहती है, वैसे आज उस बात का सबको  अफसोस होता है की काशहम उसको रास्ता बता देते तो आज वो जिंदा होती क्या मालूम होता है की कुछ भूले जबरदस्त किंमत माँगती है।
             मनू काका का परिवार काफी अमीर परिवार था, मनू काका सबसे छोटे थे परिवार में , सबके लाडले थे वह। बचपन से ही पापा ने उन्हें बहुत ही लाड प्यार के साथ पाला । सोलापूर में रहते थे उस वक्त। आज की तरह उनको भी काफी पढे लिखे होने पर भी सरकारी नोकरी ना मिल पाई, उनके सारे दोस्त सरकारी नोकरी में गये, घर में भी सब ऊँची पोस्ट पर नोकरी कर रहे थे, तब के ये पदविका पूरी की थी। धीरे धीरे करके उनके दिमाग पर परिणाम हो गया, वो पागलों जैसी हरकतें करने लगे।
                  उनके पापा को समझ ना आ रहा था की आखिर क्या करे, डॉक्टर को भी दिखाया पर वो पहले जैसे ठीक हो इससे पहले ही उनकी शादी सोलापूर के ही लडकी से करा दी गई, शादीे बाद उनकी खेती बाडी देखने के लिए मनू काका अपने पत्नी और पापा के साथ गाँव आ गये।
                 गाँव में सब जानते थे की ये पागल है तो कोई अपनी बेटी ना देना चाहते थे, मनू काका के पापा ने खेतों की देखभाल के लिए आदमी रखे हूँवे थे, मनू काका की पत्नी गाँव की सबसे सुंदर लडकी थी, पर क्या करे उसकी माँ बचपन में ही गूजर गई थी, पापा ने शादी करके सौतेली माँ लाई थी, बिना कुछ छान बिन के इनसे शादी करा दी गई थी, तब खुशी से अपनी बहू को सबसे मिलाया था।
                पर शायद उस लडकी के किस्मत में भगवान ने खुश होना लिखा ही ना था, शादी के दिन ही बिचारी शायद आखरी बार खुश हूँवी होगी, उसके बात तो नरक उसका इंतजार कर रहा था।
                  शादीे के दुसरे दिन से ही उस पागल ने मार पिट करना शुरु कर दिया था, चेहरे को ब्लेड से वार करता, हाथों को सिगरेट से जलाता रहता, वो सारी बातें  अपने ससुर को बताता तो वो उसे चूप कराता, खाना भू ठीक से खाने ना देता, हर वक्त उसके पिछे पिछे घूमता रहता था वह।
                एक दिन वो बहाना बनाकर हमारे नानी के घर आई, तब मेरे नानाजी जिंदा थे। नानी से उसने सिर्फ मुझे यहाँ से निकल कर स्टेशन जाने का रास्ता बता दो यहीं माँगा। पर मेरे नाना नानाजी मजबूर थे, रिलेटीव्ह होने के कारण अगर रास्ता बताते तो कहते मिना जो उसकी नाम था, उसको इन्होंने ही भगाया, फिर वो पागल इनके सीथ क्या करता पता नहीं, उसकी हाथों की चोटे देखकर किसीका भी दिल पसीज जाता पर तब भी नाना ने नानी को और बच्चों को रास्ता नहीं बताया।
               वो लडकी मायूस होकर घर से चली गई, जब भी कोई उसको दिखता वो उन्हें रास्ता ही पुछती रहती, पर मनू काका और उनके पापा की बजह से किसीने रास्ता ना दिखाया, फिर अब यहीं से कहानी शुरु होती है उसके चूडेल बनने की।
            भरी दोपहरी का वक्त था, मनू काका के पापा खेत पर गये थे, घर में सिर्फ मनू काका और उनकी पत्नी ही थी, सबका नाष्टा हो गया था, सब काम निपटाकर वह खाना बना रही थी, कुछ वक्त बात उसके ससुर आये तो वो सब खाना खा सके इसलिए, पर क्या बात हूँवी रब ही जाने की पागल मनू काक बडा सा हथियार लेकर आये, और उसका गला ही काँट दिया। तवे के उपर की रोटी वैसे ही जल भूनकर राख हो गई,सब्जी चुल्हें पर वैसी ही पक रही थी, तभी वहाँ से गूजरने वालों की किसीकी चिख सूनाई दी, खिडकी से अंदर झाँका तो मनू काका ने खुन कर दिया था।
                 मनू काका ने दरवाजा अंदर से बंद कर रखा था, वो आदमी वैसे ही चिल्लाते गाँव की ओर भागा, देखते देखते ये खबर आग की तरह गाँव में फैल गई, सारे स्कुल बंद करके मनू काका के घर के तरफ ना सिर्फ टिचर बल्कि बच्चे भी भाँगे पर अंदर का नजारा देखकर सारे हके बके रह गये।
              मिना का शरीर जमीन पर लेटा था, और उसका सर जोर से उपर निचे हो रहा था, मानो फिर से जूडने के लिए बेताब हो, सभी जगह खुन के चिछे उडे थे, मनू काका हथियार लेकर जोर से हस हसकर मेरा खेल देखो, मेरा खेल देखो कल जोर से हस रहे थे। इतने में ससुर आये तो मनू काका उनको मारने को दौडा।
            गाँववालों ने उन्हें बचाया, उसे लाकर हमारे घर के सामने चावडी के यहाँ पेड से बाँधा, लोगों ने उसे पत्थर स् मारा, लेकिन उसपर कोई असर नहीं हूँवा, पुलिस पंचनामे के बाद उसे ले जाया गया, मिना को जलाया गया, पर आज भी वो दिखती रहती है।
            उसके ससुर जो अपने बेटे के डर से भाँगे तो कभी लौटकर वापस ना आये, उसके घर से हर आने जाने वालों को वो दिखती है, कभी कभी रास्ते पर भी वह दिखती है, उसको अब तक शांती ना मिल पाई, अब इतने साल के बाद भी उससे लोग डरते है, कोई बिमार पड जाये पहले उसके नाम से उतारा रखते है, हर उत्सव के लिए उसको दूर से ही उसके नाम का न्योता भेजकर साडी चोली रख आते है, मेरी माँसी को भी वो दिख गई, तो उसका बच्चा ज्यादा दिन तक ना बच पाया, तभी से कोई प्रेग्नेंट औरत वहाँ से ना गूजरती है।
            भगवान करे उसको शांती मिल जाये, जिते जू ना मिला मरने पर मिल जाये, मनू काका भी अब मर गये, पर जाते जाते मिना नाम के चूडेल दे गये।फिलहाल के लिए इतना ही।
        
             

              
           
                

               
         


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