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भुतिया गाँव

21 जुलाई 2022

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             आज की कहनी शायद मेरी आखिरी कहानी होगी, वैसे उम्मीद करती हूँ मेरे साथ आपने भी भूतों का सफर एजॉय किया होगा, मैं ये नहीं कहती की मेरी कहानी बेस्ट है पर ये ज़रुर कहूँगी, ये उनके बोल है जो मेरे आसपास रहते आये है, जिनसे मेरा कुछ रिश्ता था।
         कुछ डरावने, कुछ जान लेनेवाले अनुभव उनके आये थे जो उन्होने शेयर किये थे आज मैनें आपके साथ शेयर किये बस, जब मैनें टायटल में देखा की हॉरर कहानी तब लगा की आपको बताना चाहिए ये सब। मेरी छोटी सी कोशिश थी ये बताने की भूतों की सिर्फ रात ही नहीं दिन भी डरावने हो सकते है।
              आज मैं मेरे मामा और उसके दोस्त की कहानी सुनाने जा रही हूँ, अब बहुत दिनों पहले मैनें ये कहानी सुनी थी तब वो कौनसे गाव में गये थे ये तो मैं भूल गई, इसलिए मैं अपने हिसाब से गाँव का नाम रखती हूँ, अगर किसीके गाव से नाम मिलता हो तो बूरा मत मानना, ये तो सिर्फ मेरा सोचा हूँवा गाव होगा।
                  मेरे मामा की शादीे के लिए लडकी देखने जाना था, लडकी जान पहचान की थी और हमारे घरवालों ने ही लडकी देखी हूँवी थी तो इस कारण मेरे मामा और उसका जिगरी यार लडकी देखने गये। मेरे मामा का नाम गजानन और उसके दोस्त का नाम सुधीर था।
              उन्हें आगडगाव के आगे छोटे से गाव जाना था, ढोलेवाडी नाम का गाव में, पर जाते वक्त सारे के सारे रास्ते ही आगडगाव से होकर जाते थे। वहाँ के लोगों को और आसपास के गाव के लोगों को पता था की आगडगाव रात में सारे आने जाने वाले लोगों के लिए खतरनाक है।
            तो मेरे मामा और उसके दोस्त सुबह जल्द ही निकल गये, तब वहाँ आज के जितने प्रगत ट्रांन्सपोर्ट सिस्टम ना हुँवा करती थी, मेरे मामा से वो गाव लगबग पाच से छह घंटे की दूरी पर था, ट्रेन और एसटी बदलकर जाते जाते उन्हें काफी देर हो गई।
             सुबह निकले थे पहुँचते पहुँचते चार पाँच बजे, फिर लडकी देखने में छह से सात बज गये, खाना खाकर वे जल्दी से निकलना चाहते थे। लडकी बहुत प्यारी थी, तो मामा और उसके दोस्त ने उसे पसंद कर लिया। पर दुसरे दिन ज़रुरी काम था तो रुकना वहाँ मुमकिन ना था, तो वो जल्दी से निकल गये।
         रास्ते में फिर से आगडगाव आनेवाला था, की रात होने से पहले ही वो गाव से पार होना था। तो वे जल्द जल्द जाने लगे, काफी देर उन्होंने इंतजार किया पर कुछ ना मिल पाया। तो वे दोनों पैदल ही निकल गये, पर चलत चलते अंधेरा हो गया।
        रास्ता भी घने जंगल से होकर जाता था तो वहाँ अब आगे जाना सेफ ना था, तो तब करीबन आठ से नऊ बजा था। तो वो वहीं रुक गये, बडे भले मानस ने उन्हें सलाह दी की यहाँ ना रुके पर क्या करे रुकना ज़रुरी था क्यूंकी आगे खतरा था जाने में तो वे वहीं रुक गये।
       अब चलके जाने से ज्यादा खतरा तो उस जगह रुकने में था। तो वो एक जगह गये, उनसे उनकी कुछ जान पहचान निकली तो उन्होनें रात को ठहरने का इंतजार किया। ना चाहते हुवे उनके आग्रह पर मामा और उनके दोस्त ने खाना खाया और वो एक रुम में सोने चले गये।
        करीबन रात के 12बजे होंगे की तब अचानक मामा की आँख खुली, तो उनके उपर छत ना थी, वो अचानक चौंक गये, उन्हें लगा की वो कोई ख्बाब देख रहे है, पर उन्होने अपनी आँख मली और फिर देखा की भरा पूरा गाव अचानक शमशान घाट बन चुका था।
       उसने अपने दोस्त को जगाया, सारी हकीकत बताई, वो डरने लगे तो वो जल्दी से उठकर वहाँ से भागे, तो आसपास के सारे गाववाले भूत बन चुके थे, नॉर्मल दिख रहे लोग अचानक भूत बन चुके थे, रात को सारा गाव भूतियाँ बन चुका था, और रात को सोने के बजह काम कर रहा था, ये नजारा देख मेरे मामा और उसके दोस्त डर गये।
          अब उनको लगा बचना नामुमकिन है तो उनको सामने एक मंदिर दिखाई दिया, तो वो जल्द जल्द वहाँ से भागकर बचने के लिए मंदिर में छिपना चाहते थे, पर जाये कैसे सामने ही भूतों की डेरा बैठा था।
          उन्हें वे सारे अपने तरफ आते दिखाई दिये तब उन्होनें मरने का नाटक किया, उन सारों ने मिलकर मामा और उसके दोस्त को घेर लिया था। आजूबाजू घूमने लगे, मामा और उसके दोस्त की धडकन तेज होने लगी उन्होने घूम घूमकर चारों तरफ देखा तब क्या हूँवा वो सारे वहाँ से अचानक चले गये। सारा गाव भूत बना देख डर के मारे दोनों की हालात खराब हो रही थी।
            पूरी रात बाकी थी और आजूबाजू सारे लोग भूत बन चुके थे जिंदगी का कुछ भरवसा ना था, तो वे जान मुठी में लेकर मंदिर की तरफ भागे। अब उनके जान में जान आ गई।
          पुरी रात उन्होने मंदिर में जाग जागकर बिताई, वे सुबह होने की राह देख रहे थे, रात बितने का नाम ही नहीं ले रही थी, तब रात चली गई, सुबह के पहले किरण के साथ फिर से सारा गाव पहले जैसा था वैसा हो गया, सारे भूत लोग फिर से इंसान बन गये थे। फिर से शमशान गाव बन गया था।
           जिस मंदिर में वे छिपे थे वहाँ की जगह ही पहली जैसे थी मंदिर बदला नहीं था, तब अचानक उन्हें किसकी आवाज सुनाई दी, वे ही लोग पुकार रहे थे, जिनके घर में वे ठहरे थे। मामा और उसके दोस्त को फिर से उनके साथ जाने में डर लग रहा था, पर कुछ बोलना तो था ही।
           तो डर डरके वे चले गये, चाय पानी पिकर वे निकल गये, पर वो डरावना म़ंजर वो भूला नहीं पा रहे थे। दुसरे गाव जाकर पता चला की उस गाव को किसीका शाप लगा था की पूरा गाव रात में भूतिया बन जायेगा, सारे गाववाले भूत बन जायेंगे, सिर्फ बाहर से आनेवाले छोड, और बेचारे गाववालों को पता ही ना था ये बातें।
           आसपास के गाववाले जब उनके बारे में बताते थे तो सारे गाववालों को लगता था ये मजाक कर रहे है, वैसे कैसे हो सकता है की सारा गाव भूत बन जायेगा, जिसने ये देखा था वो देखने के लिए जिंदा ना बचे थे।
            मेरे मामा और उसका दोस्त वहाँ से आने के बाद बिमार हो गये, सारे इलाज नाकाम हो रहे थे, किसीको पता ही ना चला की इन्हें क्या हो गया है, बस बिमारी में वहीं गाव का नाम ले रहे थे।
           गाव में एक चमत्कारी बाबा आये थे,उनके व्दारा देखने पर पता चला की ये सब हुवा है, उस बाबा के इलाज करने पर वे दोनों ठीक हो गये। तब मामा ने उस लडकी से शादी करने से ही मना कर दिया, पर आज भी मेरे मामा उस भूतिया गाव को नहीं भूला पाये है।
      ये थी आखरी कहानी मेरी , आप सबको जरुर पसंद आयेगी मेरी कहानियाँ। जरुर बताना अच्छा लगे तो कमेंट के साथ स्टीकर भी जरुर देना।
        

          

        
                
         

        
  
       
               

             
        


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