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चुड़ेल के साथ संसार

20 जुलाई 2022

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          सोच रही हूँ आज में आपको कौन सी कहानी सुनाऊ भूतों की कहानी के पोटली में से, वैसे तो मैनें बचपन में अनगिनत भूतों कहानियाँ सुनी है, उनमें कितनी सच और कितनी झूठ मैं सच में नहीं जानती हूँ। कितनी कहानियाँ तो बनी बनाई होती थी और कितने जाने नई नई रेसिपी की तरह उसी समय बूनकर हमें सुनाई जाती थी।
        वैसे मैं मूव्ही की ज्यादा दिवानी नहीं पर पुरानी बहुत सारी मूव्ही देखी है मैनें, तो मैं बात कह रही हूँ अॉल एव्हर हिट मूव्ही शोले की, उसमें एक डॉयलॉग बडा फेमस है, जो माँ अपने बच्चे को सुलाने के लिए कहती है, 'सो जा नहीं तो गब्बर आ जायेगा।'
      वैसे ही हमें डराने के लिए बचपन में बडे कहते थे की जिद ना करो वरना भूतों की कहानियाँ सुननी पडेगी, बचपन में भूतों में बडी दिलचस्पी थी मुझे, हमें भूतों की मालिका देखने की इजाजत ना थी तब भी चूप चूपके हम आहट और जिजिहर्षो देख ही लिया करते थे, भले हमें ताकझाँकी करनी पडे। तो मुद्दे की बात ये है की, भूतों से लगाव बचपन से ही थी, हांलाकि हमने उन्हें कभी देखा नहीं फिर भी एक रिश्ता सा लगता है डर का, बचपन के साथ का।
             बचपन में ही सुनी सुनाई कहानी सुनाने जा रही हूँ सुना था पहले के लोग भूतों से आमने सामने बातें करते थे। वो अपना काम करते करते कुँवे पर, खेतों में बातें करते थे, और कुछ तो किस्से हैरान कर देने वाले मैनें सुने है।
             मैनें सुना है की वे इतने साहसी थे की चेटकीन के साथ संसार कर लिया करते थे। ऐसी ही एक कहानी मैनें
सुनी है की एक आदमी ने जिससे शादी की थी वह चेटकीन थी। अब सातवी आठवी में सुनी कहानी है तो इतना याद तो नहीं पर जितना याद है उतना ही सुनाने की कोशिश कर रही हूँ।
               तो पहले गाँव आज के जैसे ज्यादा तरक्की से जूडे ना थे, सबके हिस्से अंधेरा ही आ रहा था। कोई टेक्नॉलॉजी तो नहीं थी, खेत में काम करकर खाना खाकर जल्दी सोते और जल्दी उठ जाते थे , तो उनकी दुनिया बस खेत हरियालों तक ही सिमीट थी।
              तो रामू नाम का आदमी था, वैसे तो उसके घर में कोई ना था, बस अकेला ही रहता था, तो अचानक उसके दिन एक काम करने के लिए औरत आई, सुजाता नाम था उसका, थोडा थोडा याद है मुझे। तो उसके भी घर काम करने के लिए कोई ना था, तो उसने उसे काम पर रख लिया, गाँव के पास ही झोपडी में रहती थी वह।
         पर वो कहाँ से आई थी किसीको पता ना था, अपना गूजारा वह घर घर जाकर काम करके ही होता था , तो जिन घरों में कोई औरत ना होती थी वह वहीं जाकर काम करती थी।
         वो रामू के घर में काम करती थी,  देखते देखते रामू को वो अच्छी लगने लगी, वैसे वो बहुत ईमानदार थी। तो कोई शक करने जैसी भी बात ना थी, तो कुछ दिनों बाद रामू ने शादी कर ली, रामू बहुत अच्छा था, तो वह उसके साथ अच्छे से रहती थी जैसे की कोई आम सी औरत संसार करती है।
              कुछ दिनों बात वो अजीब सा बर्ताव करने लगी, एक दिन एक साधू उसके घर कुछ माँगने आया था, तो वह उसे अंदर से ही खाना और बाकी की चीजे़ देने लगी, पर साधू ने कहाँ की बाहर आकर झोली में खाना दो, उसने मना कर दिया, वो वैसी ही चली गई।
           साधू को उसपर शक हूँवा उसने ये बात रामू को बताया। रामू ने उसपर नजर रखना चालू किया, तो वो रात बेरात ही पूजा की थाली लेकर कौनसी जगह तो पूजा करने जाती थी।
          वो कभी भी भगवान के मंदिर ना जाती थी, भगवान का प्रसाद ना खाती थी ना ही भगवान की आरती गाती थी, उलटा जब कहीं भी भगवान की आरती बजती वो अपने कान बंद कर लेती थी। एक दिन चूप चूपके रामू ने उसका पिछा किया, वो शैतान की पूजा करने जाती थी।
        बडी ही विचीत्र ढंग से पूजा करती थी वो, ये सब देखकर वो चौक गया, भागते भागते वो उसी साधू के पास चला गया, उसने सब कुछ बता दिया, तो साधू ने कहाँ जब वो सो जाये तब चूपके से उसके साडी का एक कोना काँटकर कहीं ऐसी जगह छिपा देना की उसे कभी ना मिले तब वो ठीक से संसार कर लेगी।
          वो हर दिन अब यहीं सोचता था की कैसे ये सब पॉसिबल हो पाएगा। पर एक दिन चूपके से उसने साडी का एक कोना काँटकर अपने यहाँ जो लकडी का टेकू लगाया था वहीं छिपा कर रखा, अब वह फिर से औरत बन चूकी थी, पर नाजाने क्यूँ चेटकीन कहाँ एक जगह ठहरती है, कुछ उद्देश्य को लेकर आई थी, और अब वो पूरा होने के बाद वापस जाना चाहती थी, पर जब तक उसके साडी का कोना ना मिले वो फिर से चेटकीन ना बन पा रही थी, तो वो हर दिन वहीं ढूँढती रहती थी, पर हर दिन वह नाकामयाब होती थी।
            ऐसे में कई साल बित गये, रामू को एक बेटी और एक बेटा हो गया, वो लगबग भूल गया था की सुजाता एक चेटकीन है वह निश्चित हो गया, वो भूल गया की उसने कोना भी छिपा कर रखा है। पर एक दिन साफ सफाई कर रही थी।
        दीपावली का त्योहार आया था। घर की साफसफाई चल रही थी, वो अच्छे से साफ सफाई कर रही थी, दिवारों पर रंग लगा रही थी, बर्तन साफ कर रही थी, कपडों के धो रही थी, उसके इस काम में रामू और उसके बच्चे भी खुशी से हाथ बटा रहे थे।
        पर जब रामू ने उपर की सफाई चालू की तब उससे गलती से साडी का छिपाया कोना निचे गिर गया उसी कोने  पर सुजाता की नजर गई, वो उसे लेकर चिल्लाती हूँवी घर से भाग कर कहाँ चली गई किसीको पता नहीं।
         रामू ने अपने बच्चों के साथ बहुत ढूँढा पर वो किसीको ना मिली, कहाँ से आई थी ये भी ना किसीको पता और कहाँ गई वो भी ना पता। आज इस कहानी को कई साल हो गये, रामू के बच्चों की शादी हो गई, रामू भी गूजर गया पर रामू को कहानी पिढी दर पिढी सुनाई जाती है। रामू के हौसलों को सलाम करना चाहिये की चेटकीन के साथ संसार खाने का काम थोडे ही है। कितनी हिमत चाहिये, सुजाता के जाने के बाद रामू ने शादी ना की वो सुजाता से प्यार करता रहा, बच्चों को बडा कर शादी कर दी। ये थी चेटकीन के साथ रामू के शादी की कहानी। आशा करती हूँ आपको अच्छी लगे।
      

         
          
             

 
           


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