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भटकती आत्मा

11 जुलाई 2022

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                  ये कहानी में थोडी बहुत मेरी बचपन की यादों से जूडी है। बचपन में हम एक प्यारे से माहौल में अपने ननिहाल के पास रहते है। नाम बदलकर एक शहर मोहोळ के पास एक गाँव में रहते थे।
                 क्यूंकी मेरे पापा एक सरकारी नोकरदार थे तब जाने कहाँ कहाँ कौन से शहर में हमें घूमना पडता था। तब वैसे ही घूमते घूमते हम मोहोळ के पास आ गये। गाँव के हम बस स्टँण्ड के पास रहते थे।
                 तब करीबन मैं सातवी आठवी में पढती थी। तब की बात है की मेरे बहन की एक सहेली जो की एक दो मजले की इमारत में रहती थी, वहाँ की कहानी मशहूर है, कुछ भूतियाँ टाईप का वह मकान था, पर फिर भी गोकूळ की तरह भरा पूरा था।
                 तो वे लडकी मारवाडी खानदान से थी, पूजा नाम थी उसका, राजस्थान से उसका परिवार यहाँ आया था। उनके हालात वैसे अच्छे ना थे। आर्थिक तंगी के कारण उनका समोसा, कचोरी बनाने का स्टॉल थिएटर के पास लगा हूँवा था, तो रात भर समोेसे, कचोरी बनाकर बेचते थे। कभी कबार हम भी जाते थे मदद करने। तब वो सबको एक एक समोसा, कचोरी दिया करते थे। पाँच छह लोगों की परिवार था वह, पैसे बहुत ना थे, पर दिल बहुत बडा था उनका।
            मेरी बहन की सहेली बहुत प्यारी थी, समोसे के स्टॉल के साथ साथ वे घर पर ही कपडे भी बेचते थे। चनियाँ चोली और अलग अलग तरीके के कपडे उनके बडे बेटी के दुकान से लाकर बेचते थे, जो शादी के बाद राजस्थान गई थी।
               तब जिस मकान में रहती थी, उस मकान मालिक की पहली बिबी की किसी बजह से मौत हो गई थी, उसीकी ममेरे बहन से उसने दुसरी शादी कर रखी थी। तो वो कभी भी मकान दिखाने सिढीयाँ चलकर उपर नहीं जाती थी, सिर्फ चाबी थमाकर मकान की ओर इशारा करकर मकान की नंबर बताती थी, हालांकि निचे का एरिया उनका अच्छा था, पर वहाँ की रुम कभी खाली ही नहीं रहती थी, झट्से मकान में रहने कोई ना कोई आता था। इसलिए वह उपर रहने गई थी।
                वहाँ की एक बात मशहूर थी, की रात को आठ बजे के बाद एक बार दरवाजे बंद करकर सो गये तो कोई किसी भी हालात में चाहे कोई कितना भी आवाज दे देकर दरवाजा ठोके, कोई दरवाजा नहीं खोलते थे।रात को मरी हुँवी उस मालिक की पहली बिबी आवाज दे देकर पूकारती थी, और दूसरी मकान मालिक के बिबी को मार डालने की बात हमेशा करती थी, पता नहीं क्या दुश्मनी थी दोनों के बीच, पर मकान मालिक भी कभी भी मकान की तरफ नहीं भटकता था, उन मकानों से वो कुछ ही दूरी पर रहता था, और वो भी उससे डरता था, एक बार अगर किसीने दरवाजा खटखटाने के बाद दरवाजा खोला तो उसकी मौत निश्चित थी।
                एक बार गलती से उस ईमारत में चोरी करने के खयालात से चोर आया, रात को सबकी लाईट बंद देखते हूँवे वो सिढीयाँ चलकर उपर गया, जैसे ही वो उपर गया, लाईटे अपने आप बंद चालू होने लगी, उसके ये नजारा देखकर पसीने छूटने लगे। तब अचानक से पिछे से उसके कंधे पर हाथ रखा, उसने पिछे मूडकर देखा तो वो डर के मारे चिखने लगा, एक औरत बडी भयानक दिख रही थी,उसकी ओर देखकर वह विचित्र तरीके से हस रही थी, सुबह देखा तो ने चोर मरा पडा था, ऐसा लग रहा था की कई साल पहले मर गया है वह, उसका सारा खुन सुक गया था, चेहरे की हालात ऐसी हो गई थी की पहचान में भी ना आता था।
                   ये नजारा देखकर सारे घबरा गये, जितना जल्दी हो सके सब मकान छोड जाना चाहते थे। एक दिन एक किरीयेदार के छाती में दर्द होने लगा, पर आत्मा के डर के बजह से वे बाहर ना निकले, तो कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई।
                    रात को जोरों जोरों से दरवाजे खटखटाकर वो आवाजे देती थी, अपने पती और उसके दुसरी बिबी का नाम पूकारती रहती थी, बहुत डर लगता था उस ओर रात को जाने में। जितना उसका निचे से उपर तक और आजू बाजू का एरीया था तो वहाँ तक घूमती, पर मकान मालिक के यहाँ भगवान का मंदिर होने से वहाँ की ओर वो ना जा पाती, दूर से ही आवाज लगाती, पर मजाल है की वे बाहर निकले।
             कुछ ही दिन बाद मकान मालिक की भी बडे ही संजिदे तरह से मौत हो गई, पुलिस तो खैर डॉक्टर भी आज तक ना पता लगा पाये की उनको क्या हो गया था, तो उनके दुसरे बिबी ने मकान छोडकर चली गई।
                 आज कल बताया जाता है की दोनों ही पती पत्नी हाथों में हाथ डालकर घूमते दिखाई देते है। सोचा था की मकान मालिक के मौत के बाद वो औरत शांत होगी, पर अब तो दोनों ही भूत बनकर सबको डराते है, रात में खाली रास्तों पर भटकते रहते है, हर आने जानेवालोम को डराते रहते है। पूजा,अर्चा का भी कोई असर नहीं।
               अब हवेली सुनशान मशाण हो गई है, ना तो कोई वहाँ रहता है, ना कोई उस ओर जाने की कोशिश करता है। खंडहार अब भी अपनी जगह वैसे का वैसे ही खडा है, जो आते जाते डराने का काम करता है। उसकी दुसरी बिबी और बच्ची कभी भी नहीं आती है।
                    बस कोई सरकारी अधिकारी भी उस ओर नहीं भटकता, शहर के बिचो बिच बस स्टँण्ड के पास वो हवेली डरावनी सी सुरत में खडी है। पता नहीं क्यूँ ही वे आदमी और औरत घूमते रहते है। लोग कहते है की दुसरी बिबी से बदला लेना चाहती है। सुनी सुनाई खबर है की उसीकी बजह से सिढीयों पर जलाकर पहली बिबी ने सुसाईड किया था, और वे उससे बदला लेना चाहती थी। जो वो जिंदा रहकर ना कर पाई वो मौत के बाद करना चाहती है।
                आज उनकी दुसरी बिबी भी जिंदा नहीं पर तब भी दोनों को मुक्ती ना मिल पाई है। लोग यहीं दूँवा माँगते है की कभी उनसे आमना सामना ना हो। पर कभी ना कभी दिखाई देते है और जिनको दिखते है वो बताने के  लिए जिंदा ही नहीं बचता है। ये थी मेरी आज की कहानी।

            
             

                 
            
                
                  


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