डायरी दिनांक ०९/०२/२०२२ - सुबह की राम राम
सुबह के छह बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।
कभी कभी जरा सी बात मन में नकारात्मकता भर देती है। इसी तरह जरा सी बात मन को सकरात्मक दिशा में मोड़ देती है।
१५ जनवरी को मेरा स्वास्थ्य खराब हुआ था। उसी समय से कोरोना की जांच में मैं बराबर पोजिटिव आ रहा था। मन ज्यादा अधीर हो रहा था। कल रात जांच का परिणाम आया है तथा मुझे कोरोना से मुक्त पाया गया है।
आज मन बहुत प्रसन्न है। जैसे कि कोई जंग जीत ली हो। आज रात नींद भी बहुत अच्छी आयी तथा सुबह भी समय से आंख खुल गयीं।
अभी भी शरीर में काफी थकावट जैसी रहती है। मुझे लगता है कि आज मुझे नवजीवन मिला है। तथा इस जीवन का कारण भी कोरोना की दोनों वैक्सीन समय से ले लेना भी हो सकता है।
वैक्सीन जरूर लगवायें। वैक्सीन लगे होने पर संक्रमण के बाद भी शरीर वायरस की प्रतिक्रिया करने में सक्षम होता है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।
दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'