डायरी दिनांक ०४/०२/२०२२ - आयुर्वेद की शरण
सुबह के दस बजकर पचास मिनट हो रहे हैं ।
हमारे बुजुर्गों और ऋषि मुनियों द्वारा इजाद पद्धतियां आज भी उस समय याद आती हैं जबकि सारे आधुनिक तरीके निष्फल हो जाते हैं। आयुर्वेद चिकित्सा की सबसे प्राचीन पद्यति है। देव वैद्य धन्वंतरि को आयुर्वेद के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है।चिकित्सक को भगवान का रूप कहा जाता है। तथा धन्वंतरि जी को भी भगवान का अवतार कहा जाता है।आयुर्वेद का उल्लेख अथर्व वेद में भी मिलता है।
मैं मम्मी से पूर्व बीमार हुआ। कह सकते हैं कि मेरे संपर्क में आने से ही मम्मी बीमार हुई थीं। आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करने से मम्मी बहुत पहले स्वस्थ हो चुकी हैं। जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदत्त तथा जीजा जी द्वारा बतायी दवाओं का लगातार सेवन करने पर भी अभी मै पूरी तरह स्वस्थ नहीं हूं।
आज बहन निधि सहगल ने उन दवाओं की फोटो मुझे भेजी जो उन्होंने सैनेगल में ली हैं तथा वह स्वस्थ हुई हैं। ये अधिकांश वही दवाएं हैं जो कि मैं ले रहा हूं।
कल से एक बदलाव किया है। अब स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदत्त एलोपेथिक दवाओं के अतिरिक्त आयुर्वेदिक दवाओं आनंद भैरव रस, कफ केतु रस और सितोपलादि चूर्ण का भी सेवन करना आरंभ कर दिया है। विश्वास है कि आयुर्वेद का प्रयोग जल्द स्वस्थ करेगा।
आज सीएमओ ओफिस से विशेष हिदायत भरा फोन आया। किसी भी स्थिति में घर से बाहर न निकलना तथा परेशानी होने पर संपर्क करने का निर्देश दिया है। निम्न संकेतों की स्थिति में आपातकालीन सेवा के लिये फोन करने को कहा है।
(१) सीने में दर्द
(२) सांस लेने में परेशानी
इनमें से कोई भी परेशानी अभी नहीं है और विश्वास करता हूं कि नहीं होगी।
बिना लिखे और पढे चैन नहीं पड़ता है। आज उपन्यास वैराग्य पथ का ३४ वां भाग लिखकर प्रकाशित कर दिया है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।