डायरी दिनांक ०८/०२/२०२२
शाम के तीन बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं ।
कभी कभी छोटी छोटी बातें बड़ी बड़ी बातों से बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। अक्सर जिन छोटी बातों पर मनुष्य का ध्यान नहीं जाता है, वे ही मुख्य बातें होती हैं।
आज मैं अपने एक मित्र और विभागीय साथी का धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने कल मुझे कुछ छोटी छोटी बातों पर ध्यान दिलाया। वास्तव में पढे लिखे और समझदार होने का भ्रम करना ही गलत है। इतनी महत्वपूर्ण बातों पर न तो मेरा ध्यान था और न ही मम्मी का। जब विचार करता हूं तो लग रहा है कि उनका कथन हर तरीके से ठीक है।
कल मेरे मित्र ने मुझे ऐसी भूलों की तरफ ध्यान आकर्षित किया जो कि अभी तक मेरी अस्वस्थता का कारण हो सकती हैं। हालांकि अभी रिपोर्ट नहीं आयी है। फिर भी गलतियों को सुधारना आवश्यक है।
टूथ ब्रूश जिसकी तरफ हम बहुत कम ध्यान देते हैं, कोरोना के वायलस को बार बार फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसलिये जरूरी है कि एक दो दिनों बाद टूथ ब्रूश को गर्म पानी में आधे घंटे डुबो रखना ताकि वायरस की चैन को रोका जा सके। मरीज के बिस्तरों को बदलकर उन्हें धूप लगाना भी आवश्यक है।
आज अपनी भूलों को सही किया। तथा आगे भी इन बातों पर ध्यान रखूंगा।
कई बार मनुष्य पिछली गलतियों से सबक लेने के बजाय और भी दूसरी गलतियां दुहराता जाता है। पर हर बार उसका अहंकार उसे अपनी गलती मानने से रोकता रहता है।
कब किस व्यक्ति के जीवन में क्या घटित जाये, कहा नहीं जा सकता। किसी मनुष्य का कौन सा कदम उसे प्रसिद्धि दिला देगा, यह भी कहना असंभव है।
श्री प्रवीण कुमार एशियाई खेलों में चार पदकों के विजेता रहे। उन्हें उनके खेल के कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। बोर्डर सुरक्षा बल में नौकरी भी की। फिर कई फिल्मों में नकरात्मक भूमिकाएं भी निभायी। पर उन्हें प्रसिद्धि मिली - बी आर चौपड़ा निर्देशित महाभारत में भीम का किरदार निभाने से।
कल दिनांक ०७ फरवरी को भारत वासियों के मन में भीम की छवि रखने बाले प्रवीण कुमार पंचतत्वों में विलीन हो गये। बताना जाता है कि प्रसिद्धि के शिखर पर रहे श्री प्रवीण कुमार का अंतिम समय खराब आर्थिक हालातों में गुजरा।
किसी बड़े चरित्र का निर्माण कभी भी एक दिन में नहीं हो जाता। लगातार बड़ा सोचते रहने बाले ही महान बनते हैं। इस विषय में बोद्ध धर्म का प्रसार करने बाली जातक कथाओं के अनुसार भगवान बुद्ध अनेकों जन्मों के प्रयास के बाद बुद्ध बन पाये। भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों को जातक कथाओं में बोधिसत्व कहा है। बोधिसत्व के रूप में पशु, पक्षी से लेकर सामान्य मनुष्यों का भी उल्लेख है। असमान्य बनने की प्रक्रिया सामान्य से ही आरंभ होती है। किन्हीं सामान्य परिस्थितियों में कौन किस तरह का आचरण करता है, वही उस व्यक्ति की विलक्षणता का द्योतक है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।