मेरे समज नहीं आ रहा था मै क्या करू... हमेशा उसी की याद सताती थी मेरा वह पहला और लास्ट प्यार था... मै अभी ऑफिस से घर लौटा था.. लगता है आज तूफान आने वाला है मैंने उसका चेहरा श्रीफ एक मिरर मे देखा था मुझे आज भी याद है उसके ब्राउन कलर के लंबे झूलते हुए बाल काले काले आँखे लाल गुलाबी गाल लाल गुलाबी होठ और उसी के उपर लम्बासा नाक यह चेहरा मुझे सोने नहीं देता.. कौन जाने वह कहा होंगी.. ओ मेरे दोस्त की एक लौती बहन थी, पता चला था मेरा दोस्त परदेश से इंडिया आ रहा.. उस दिन मै उसे चंदननगर पूना एअरपोर्ट पर लाने गया था मै आपनी पुरानी फोरव्हीलर गाड़ी चालू करके एअरपोर्ट पंहुचा मैंने आपनी गाड़ी पार्क की और अपने मोबाइल के कीबोर्ड पर उंगली रखी और उसका नंबर डायल किया.
"हैलो.. थॉमस कहा हो तुम """
"हाय राजेश.. अरे इधर "" वह स्पष्ट शब्द मे बोला
मैंने पीछे मुड़कर देखा वह तीनो साथ मे थे मै थॉमस को अच्छी तरह से जानता था लेकिन एक दूसरा आदमी और लेडीज़ कौन थी मै अनजाना था.. शायद थॉमस के दोस्त थे.
" कैसे हो दोस्त बहुत दिन के बाद लौटे अपने देश मे..."" मै बोला.
" सब कुछ ठीक है,,, हा राजेश ये मेरा दोस्त है... निपुल इंडिया से है और मेरे साथ ही काम करता है...और ये तेरी होने वाली भाभी..ये भी इंडिया से है....ये भी मेरे साथ काम करती है और अब मेरे साथ ही रहती है.... क्यों की हम जल्दी ही शादी करने वाले है... "" उसने सारी पोल खोल दी.
""हाय निपुल... हाय भाभी,,, जैसे आपका नाम क्या है भाभी " मैंने थॉमस के होने वाले पत्नी से पूछा.
"मेरा नाम रेशमी है और अभी कुछ दिन पहले ही... लंडन गई हु... और तुमारे दोस्त थॉमस से मुलाखत हुई... और प्यार मे फस गई..."" ओ स्माइल देते हुए बोली.
"अच्छा तो आप फस गई..."" मै भी मज़ाक करते हुए बोला.
सब हसने लगे और हसते हसते तीनो गाड़ी मे बैठ गए.. और मै भी अपने शिट पर बैठ गया सामने मेरे बाजूमे निपुल बैठा था और.. और पीछे थॉमस और रेशमा भाभी बैठ गई.... थी मैने गाड़ी की चाबी घुमाई और गाड़ी चालू की..उसी समय किसीने मेरे पीछे की डोर खोली... और ओ अंदर बैठ गई मैंने उसे पहचाना नहीं था और थॉमस ने उसके बारेमे कुछ बताया भी नहीं था..वह इतनी सुंदर थी की मै पीछे मुड़कर देखने मे भी हिम्मत नहीं हो रही थी.. मै उसे गाड़ी के मिरर से देख रहा था... आँखो पर बड़े फ्रेम वाला चस्मा लगा रखा था... मेरी तो बोलती बंद हो गई थी...मैंने उसे देखा और सपनो मे खो गया मेरा दिल धड़कने लगा मै सोच रहा था उपर वाले ने ये सुंदर कली मेरे लिए ही भेजी होंगी...
" राजेश,,,,, "
"अरे... भाई राजेश " वह जोर से बोला मै सपनो से बाहर आ गया
"अरे भाई कहा खो गए हो...." थॉमस जोर से बोला.
"कही भी नहीं " मै शर्माकर बोला.
"अरे भाई ये मेरी छोटी बहन जुली है...,,और ये भी हमारे साथ है...और ये अब यहाँ पूना मे ही रहेगी.. हमारे साथ.." वह अनंदित होकर बोला.
"थॉमस तुमने बताया नहीं..,, की तुम्हारी कोई बहन है..." मैंने शांत स्वर से पूछा.
"अरे भाई.. अब तो बताया ना...." वह बोलते हुए मुस्कुराया.
"राजेश आप क्या करते हो... यहाँ " निपुल ने मुझसे पूछा.
"मै.., मै यहाँ एक कंपनी मे जॉब करता हूँ..." मैंने जवाब दिया
"वैसे पेमेंड कितना मिलता है.." उसने और पूछा
"यही कोई पचास हजार तक " मैंने बता दिया