मैं तुममे, तुम मुझमें समाये है ं
ऐसे जैसे सीप में मोती
दीप में ज्योति
चंदा की चाँदनी जैसे
चाहत की गहराई है
हर तरफ रूसवाई है
मोहब्बत के परवाने
शमां के जलते परवाने
इश्क़ पर मर मिटने वाले
दुनिया -जहाँ के रस्मों- रिवाजों
के नाम पर मिटाये जाने वाले
प्यार के नाम पर जिस्म
के सौदागर
क्या जाने सच्ची मोहब्बत
रूह से रूह में मिल जाने वाले
जन्नत सा सुकून पाने वाले
हर किसी के नसीब में ये मोहब्बत इल्म
नसीब नहीं होता
हर कोई खुदा के करीब नहीं होता
इश्क़, प्यार, मोहब्बत है खुदा की खुदाई
खुदा की रहनुमाई ।
धन्यवाद🙏