अपना गम किसी को बता भी नहीं सकते
जख्में दिल किसी को दिखा भी नहीं सकते
ये कैसा अजीब दर्द का मंजर है
जिसे मिटा भी नहीं सकते
दर्दे दिल की ये कैसी सजा है
मीठी सी है चुभन ,जलता है बदन
हवाओं में, फिजाओं में बस तेरा ही है नशा
मदहोश सा छाया है आलम
जुदाई, तन्हाई, खामोशी की है महफिल
नासूर सा है जीवन का हर बंधन हर सबंध
नहीं रहा रिश्तों पर कोई एतबार
जो थे अपने सब बन गये यादों के सपने
तेरे प्यार की प्यासी सी है हवा
तेरी यादों की जलती है चिंगारी
आंँखों से बहते मोती से आँसू
भीग जाते हैं दामन के पल्लू
दर्द भी बेइंतहा है
जिस दर्द की दुनिया में नहीं कोई दवा है।
धन्यवाद🙏