पिता वो सच्चाई की मूरत ह
जिसकी कोई नहीं सूरत है
पिता तपस्या की वो अनमोल कड़ी है
जिसकी नहीं कोई घड़ी है
हर कदम पर परिश्रम की मजबूत छड़ी है
पिता एक ऐसा ऊँच शिखर है
जिसका जीवन पथ परहर तरफ प्रखर है
जिसके पाँव न कभी टिके, कभी रूके
जो पथ पर कभी न थके
हर पल, हर लम्हा, हर डगर
पद चिन्हों को छोड़ता चले
सिर्फ अपने नन्हें परिजन के लिए
पिता अपने बच्चों का माली है
बच्चे उसके बगिया के सुंदर- सुंदर फूलों
की अद्भुत फुलवारी है ं
पिता अपने नन्हें परिदोंका वो आसमां है
जिसकी छाँव में हर उड़ते परिंदों की आँखों में
सजता ख्वाबों का जहाँ है।
धन्यवाद🙏