जिंदगी के शिखर पर वो चढ़ने लगी थी
उतार- चढ़ाव की सीढ़ियां वो गढ़ने लगी थी
कभी- कभी वो सफर के मोड़ पर
कहीं -कहीं ठिठकने लगी थी
वो खुशी में खिलखिलाने लगी थी
वो गम में भी मुस्कराने लगी थी
उदासियों में भी लवों पर हंसी सजाने लगी थी
जब वो दर्द के हद से गुजरने लगी थी
वो जोर से हंसने लगी थी
पलकों पर नमीं, आँखों में आँसुओं की झड़ी
जिंदगी की वो न जाने कैसी घड़ी थी
हर मंजर पर उसके कहकहे कानों में गूँजने लगे
थे
वो हर पल जिंदगी की राहों में टूटकर बिखरने लगी थी ।
धन्यवाद🙏