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इस्तीफा पत्र

4 जनवरी 2017

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मंजूर कर दो इस्तीफा मेरा,

हुस्नपरस्ती की चाकरी से

अच्छी तो खूब लगती है,

पर अब होती नहीं मुझसे !

.

और ले जाओ ये पुलिंदा

कागजात का, जिसमें

लिखा है सारा हिसाब

तेरा-मेरा और हमारा का !

.

खून-ए-दिल से भरी

ये दवात भी ले जाओ

जो एक भी हर्फ़ नहीं

लिखती किसी और को !

.

और हिसाब कर दो

पूरा मेरे मेहनताने का,

बची-खुची मेरी ज़िंदगी

मुझको आज़ाद दे दो !

.

मंजूर कर दो इस्तीफा मेरा..


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