shabd-logo

जाने वो कैसे लोग थे जिनके...

10 अक्टूबर 2015

352 बार देखा गया 352
featured image


(गुरुदत्त की पुण्यतिथि पर विशेष)

 

अगर आप फ़िल्मों में ज़रा भी रूचि रखते हैं तो उम्र आपकी कुछ भी हो, गुरुदत्त का नाम सुनते ही इतना तो यक़ीनन बता देंगे कि ये नाम किसी नामी एक्टर-प्रोड्यूसर-डायरेक्टर का है I और, अगर आप फ़िल्मों में इन्ट्रेस्ट रखते है मगर मिस्टर एंड मिसेज़ 55, प्यासा, कागज़ के फूल, चौदहवीं का चाँद और साहब बीवी और गुलाम जैसी फिल्में नहीं देखीं, तो ये कहिये कि अभी आपने फिल्में नहीं देखीं I

गुरुदत्त की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में ‘बाज़ी’ शामिल नहीं है लेकिन यह फ़िल्म उनके एक लम्बे फ़िल्मी सफ़र के लिए, एक अहम् शुरुआत ज़रूर कही जाती है I यह उनके फ़िल्मी करीअर का शुरुआती दौर था I अभिनेता देव आनन्द ने ‘नवकेतन’ की इस फ़िल्म की ज़िम्मेदारी अपने दोस्त गुरुदत्त को दी थी I इस प्रोजेक्ट में उन दोनों की दोस्ती का वो अटूट बन्धन साथ था जिसकी आज भी मिसाल दी जाती है I एक समय ये कहा जाता था कि ‘बाज़ी’ में देव आनन्द ने गुरुदत्त को स्थापित करने की कोशिश की I इसी के साथ कुछ फ़िल्मी पंडितों ने ये भी माना कि गुरुदत्त ने देव साहब के टैलेंट को निखारकर बतौर हीरो उन्हें एक अहम् मुक़ाम दिलाने की कोशिश की । फ़िल्म ‘बाज़ी’ में इन दोनों उस्तादों का साथ होना, प्रभात स्टूडियो, पुणे में दोनों की हुई दोस्ती का विस्तार था I कहते हैं धोबी की गलती से दोनों की कमीजों की अदला-बदली हो गई और इसी बहाने आपस में दोस्ती हो गई । दोनों ने एक-दूसरे से वायदा किया कि क़ामयाब होते ही एक-दूसरे को मौक़ा देंगे I

देव आनन्द पहले क़ामयाब हुए और उन्होंने गुरुदत्त को नवकेतन बैनर की पहली फ़िल्म ‘बाज़ी’ सौंपी i यह फ़िल्म दोनों के करियर की टर्निंग पॉइंट बन गई । 1951 रिलीज़ ‘बाज़ी’ की शूटिंग फेमस स्टूडियो में हुई और इस फ़िल्म ने जॉनी वाकर और कल्पना कार्तिक को भी ब्रेक दिया । इसकी कहानी गुरुदत्त और बलराज साहनी ने लिखी थी । पटकथा में फ़िल्म के मुताबिक़ कुछ परिवर्तन करने पड़े, जो बलराज साहनी को पसन्द नहीं आए । बाद में वो इस फ़िल्म से अलग हो गए । इसी फ़िल्म के लिए  एस.डी. बर्मन ने कुछ नई धुनें बनाईं । हालांकि, उस वक़्त वो धुनें ज़्यादा पसंद नहीं की गईं लेकिन बाद में उनकी लोकप्रियता ने एस.डी. बर्मन के जादू को सावित कर दिखाया । ‘बाज़ी’ से ही गीतकार साहिर लुधियानवी उस दौर के श्रेष्ठ गीतकार के रूप में जाने गए ।

कहा जाता है कि ‘बाज़ी’ के गीत ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले...’ को देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ती थी । रिलीज़ के पहले इस गीत की कामयाबी के प्रति खुद सचिन दा आश्वस्त नहीं थे । लेकिन, फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद सचिन दा ने कोलकाता में कुछ मछेरे बच्चों को  तोतली जुबान में इस गीत को गाते हुए सुना तो उन्हें देव आनन्द और गुरुदत्त के विश्वास पर सुखद आश्चर्य हुआ । तकनीकी नज़रिए से ‘बाज़ी’ आज भी एक उम्दा फ़िल्म मानी जाती है । वास्तव में यह फ़िल्म देव साहब और गुरुदत्त की सफलता की कहानी है । अफ़सोस ! न वो वक़्त रहा, न ऐसी दोस्ती और ना ही ऐसे समर्पित फ़नकार...     

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

धन्यवाद, चंद्रेश जी !

12 अक्टूबर 2015

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

खोजपरका जानकारी के लिए धन्यवाद ।

12 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

विजय जी, हार्दिक आभार !

12 अक्टूबर 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

वक्त का असर है शर्मा जी लेकिन पहले जैसी कला और समर्पण आज के कलाकारों में कहां । बहुत ही सटीक विषय से संबंधित पोस्ट किया है आप ने ।

10 अक्टूबर 2015

1

...और युसुफ़ बन गए दिलीप कुमार

3 सितम्बर 2015
1
4
1

बहुत से सिने-प्रेमी ये बात जानते होंगे कि ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का वास्तविक नाम है युसुफ़ खान I लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि जनाब युसुफ़ ख़ान को दिलीप कुमार का नाम किसने दिया I 28 फ़रवरी, 1913 को खुर्जा उत्तर प्रदेश में जन्मे हिंदी के प्रसिद्ध कवि, लेखक और संपादक पंडित नरेंद्र शर्मा उन्नीसवीं सदी

2

हम तुम युग-युग से ये गीत...

4 सितम्बर 2015
0
5
3

लिखने वाले ख़ूब जानते हैं कि कितने ही क्षण ऐसे आते हैं जब लिखे बिना रहा नहीं जाता...निर्झर सरिता सा बहता कल-कल प्रवाह फिर रोके नहीं रुकता ! मीमांसा-अभिवेगों से रंगा मन, लिखने का अमल-अभिमाद, व्यक्ति को भीड़ में भी अकेला कर देता है, उसे तब तक चैन नहीं मिलता जब तक उसकी क़लम अपना अंतर्वेग काग़ज़ के पन्नों पर

3

ओ साथी गुनगुनाता चल...

18 सितम्बर 2015
0
6
2

‘सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन’, ‘अखियों के झरोखों से मैंने देखा जो साँवरे’, ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’, ‘जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना’, ‘तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले’, ‘गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल’, ‘सुनयना आज इन नज़ारों को तुम देखो’ जैसे असंख्य गीत, संगीत प्रेमियों के दिलों की धड़कन हैं; और,

4

सुन मेरे बंधु रे...

18 सितम्बर 2015
0
5
1

सचिन देव बर्मन हिन्दी और बांग्ला फिल्मों के ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का स्पर्श था, वहीं वह पाश्चात्य संगीत का भी बेहतरीन मिश्रण करते थे । सचिन देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 को त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ था । प्यार से लोग उन्हें एस डी बर्मन बुलाते

5

जाने वो कैसे लोग थे जिनके...

10 अक्टूबर 2015
0
6
4

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

6

बनिए आवाज़ के जादूगर

23 अक्टूबर 2015
0
8
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML

7

गीत, हमारे मनमीत

3 फरवरी 2016
0
2
0

कितने ही गीत हमारे मनमीत होते हैं ! कितनी ही बार हमारे मन में एक नयी उमंग, एक नयी तरंग जगाते हैं, जैसे थाम के उंगली हौले से हमें लिए जाते हैं, न जाने कौन से उजालों की ओर ! एक ऐसा ही गीत है फिल्म 'गाइड' का जिसके बोल हैं....'आज फिर जीने की तमन्ना है' I ऐसे नग्मात सुनकर ऐसा लगता है मानो ये उम्र और समय

8

प्यार कभी

3 फरवरी 2016
0
2
0

प्यार कभी एक तरफा होता है न होगा... -गीतकार गुलज़ार

9

तेरे जाने के बाद तेरी याद आयी...नादिरा

9 फरवरी 2016
0
2
1

यूँ तो अक्सर किसी के जाने के बाद ही उसकी याद आती है लेकिन दुनिया में कितने ही सितारे हमारे दिलों की ज़मीं’ पर हरदम जगमगाते रहते हैं । हिन्दी फ़िल्मों की ख़ूबसूरत और मशहूर अभिनेत्रियों में से एक ऐसी ही अदाकारा थीं नादिरा । 5 फ़रवरी 1932 को इज़राइल में एक यहूदी परिवार में जन्मी थीं फ़रहत एज़ेकेल नादिरा जिन्

10

कमाल के फ़नकार थे-कमाल अमरोही

10 फरवरी 2016
0
4
0

'चलो दिलदार चलो, चाँद के पार चलो'...जी हाँ, अज़ीम फनकारों के साथ ये अक्सर ही हुआ कि वो जहाँ जिस हाल में जन्मे और पले-बढ़े, दिल से बस यही सदा निकली I उनके बचपन के किस्से सुनो तो हैरत होती है कि फ़र्श से अर्श का ये सफ़र भला कोई कैसे तय लेता है ! एक ऐसी ही बेहतरीन शख्सियत के मालिक थे, गीतकार, पटकथा और संवा

11

ग्लैमरस भूमिकाओं की मल्लिका थीं अभिनेत्री परवीन बाबी

4 अप्रैल 2016
0
2
2

परवीन बाबी सत्तर के दशक के शीर्ष नायको के साथ फिल्मो मे ग्लैमरस भूमिका निभाने के लिए याद की जाती है। उन्होने सत्तर और अस्सी के दशक में बनी ब्लॉकबस्टर फिल्मो मे भी काम किया जिनमें प्रमुख थीं  दीवार, नमक हलाल, अमर अकबर एन्थोनी और शान। वह भारतीय सिनेमा की तमाम खूबसूरत अभिनेत्रियो मे से एक मानी जाती है।

12

फ़िल्म 'द जंगल बुक' रास आ गई लोगों को

9 अप्रैल 2016
0
7
0

हॉलीवुड फिल्म 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की है। जॉन फेवरू की रडयार्ड किपलिंग की किताब पर बेस्ड इस फिल्म का दर्शकों को काफी समय से इंतजार था। फिल्म के हिंदी वर्जन को प्रियंका चोपड़ा और इमरान खान जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी आवाज दी है। 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन

13

ज़बरदस्त अभिनय की मल्लिका : रोहिणी हट्टंगड़ी

11 अप्रैल 2016
0
3
0

11 अप्रैल 1951 को पुणे में जन्मी हिंदी फ़िल्म जगत की ज़बरदस्त अभिनेत्री ने अपने करीअर की शुरुआत मराठी रंगमंच से की थी। बचपन से ही उनकी आत्मा थिएटर में बसी थी और वो सिर्फ एक कलाकार बनना चाहती थीं। उन्होंने फ़िल्मों के बारे में सोचा ही नहीं था इसी लिए उनके FTTI उनके होम टाउन में होने के बावजूद उन्होंने 1

14

फ़िज़ाओं में गूंजता है आज भी इकतारा: गीतकार वर्मा मलिक

13 अप्रैल 2016
0
4
0

'एकतारा बोले, तुन-तुन, क्या कहे ये तुमसे सुन-सुन' गीत लिखने वाले गीतकार वर्मा मलिक जन्मे थे 13 अप्रैल, 1925 को फीरोजपुर (अब पाकिस्तान) में। शुरूआती दिनों में उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भी भाग लिया और अनेक देशभक्ति गीत लिखे। वह बहुत ही सुन्दर भजन लिखते थे और अपने कार्य का आरम्भ किसी भजन

15

कुछ तो है...

21 अप्रैल 2016
0
4
0

जी ! आज जाने-माने फिल्म और टीवी कलाकार शिवाजी साटम का जन्मदिन है। 21 अप्रैल, 1950 को जन्मे शिवाजी साटम, अभिनय के क्षेत्र में आने से पहले बैंक-कैशियर थे। थिएटर करने का शौक़ उन्हें फिल्म और टीवी तक खींच लाया। उन्होंने तमाम फिल्मों में बेहतरीन रोल किये लेकिन ख़ास पहचान बनी मशहूर धारावाहिक सीआईडी के एक अह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए