सचिन देव बर्मन हिन्दी और बांग्ला फिल्मों के ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का स्पर्श था, वहीं वह पाश्चात्य संगीत का भी बेहतरीन मिश्रण करते थे । सचिन देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 को त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ था । प्यार से लोग उन्हें एस डी बर्मन बुलाते थे । उन्होंने जिन प्रमुख फिल्मों में संगीत दिया उनमें शामिल हैं मिली, अभिमान, ज्वैल थीफ़, गाइड, प्यासा, बंदनी, सुजाता और टैक्सी ड्राइवर ।
सचिन देव बर्मन के पिता जाने-माने सितारवादक और ध्रुपद गायक थे। बचपन के दिनों से ही उनका रुझान संगीत की ओर था और वे अपने पिता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिया करते थे। इसके साथ ही उन्होंने उस्ताद बादल खान और भीष्मदेव चट्टोपाध्याय से भी शास्त्रीय संगीत सीखा ।
जीवन के शुरुआती दौर में सचिनदेव बर्मन ने रेडियो से प्रसारित पूर्वोतर लोक-संगीत के कार्यक्रमों में काम किया। वर्ष 1930 तक वे लोकगायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे।
वर्ष 1944 में संगीतकार बनने का सपना लिए सचिनदेव बर्मन मुंबई आ गए, जहां सबसे पहले उन्हें 1946 में फिल्मिस्तान की फिल्म 'एट डेज' में बतौर संगीतकार काम करने का मौका मिला । इसके बाद 1947 में उनके संगीत से सजी फिल्म 'दो भाई' के पार्श्वगायिका गीता दत्त के गाए गीत 'मेरा सुंदर सपना बीत गया...' की कामयाबी के बाद वे कुछ हद तक बतौर संगीतकार अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। इसके कुछ समय बाद सचिनदेव बर्मन को मायानगरी मुंबई की चकाचौंध कुछ अजीब-सी लगने लगी और वे सबकुछ छोड़कर वापस कलकत्ता चले आए।
हालांकि उनका मन वहां भी नहीं लगा और वे अपने आपको मुंबई आने से रोक नहीं पाए।
सचिनदेव बर्मन ने करीब 3 दशक के सिने करियर में लगभग 90 फिल्मों के लिए संगीत दिया। उनके फ़िल्मी सफ़र पर नज़र डालने पर पता लगता है कि उन्होंने सबसे ज्यादा फिल्में गीतकार साहिर लुधियानवी के साथ ही की हैं। सबसे पहले इस जोड़ी ने 1951 में फिल्म नौजवान के गीत 'ठंडी हवाएं, लहरा के आए...' के जरिए लोगों का मन मोहा। वर्ष 1951 में ही गुरुदत्त की पहली निर्देशित फिल्म 'बाजी' के गीत 'तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना दे...' में एस डी बर्मन और साहिर लुधियानवी की जोड़ी ने संगीतप्रेमियों का दिल जीत लिया।
एसडी बर्मन की जोड़ी गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी के साथ भी बहुत जमी।
देवानंद की फिल्मों के लिए एस डी बर्मन ने सदाबहार संगीत दिया और उनकी फिल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बर्मन दा के पसंदीदा निर्माता-निर्देशकों में देवानंद के अलावा विमल रॉय, गुरुदत्त, ऋषिकेश मुखर्जी आदि प्रमुख रहे हैं।
संगीत निर्देशन के अलावा बर्मन दा ने कई फिल्मों के लिए गाने भी गाए। इन फिल्मों में 'सुन मेरे बंधु रे, सुन मेरे मितवा...', 'मेरे साजन है उस पार...' और 'अल्लाह मेघ दे छाया दे...' जैसे गीत आज भी सुनने वालों को भाव-विभोर करते देते हैं।
एसडी बर्मन को 2 बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। एस डी बर्मन को सबसे पहले 1954 में प्रदर्शित फिल्म 'टैक्सी ड्राइवर' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म 'अभिमान' के लिए भी वे सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाज़े गए। फिल्म 'मिली' के संगीत 'बड़ी सूनी-सूनी है...' की रिकॉर्डिंग के दौरान एस डी बर्मन अचेतन अवस्था में चले गए। हिन्दी सिने जगत को अपने बेमिसाल संगीत से सराबोर करने वाले सचिन दा 31 अक्टूबर 1975 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।