फ़िज़ाओं में गूंजता है आज भी इकतारा: गीतकार वर्मा मलिक
13 अप्रैल 2016
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'एकतारा बोले, तुन-तुन, क्या कहे ये तुमसे सुन-सुन' गीत लिखने वाले गीतकार वर्मा मलिक जन्मे थे 13 अप्रैल, 1925 को फीरोजपुर (अब पाकिस्तान) में। शुरूआती दिनों में उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भी भाग लिया और अनेक देशभक्ति गीत लिखे। वह बहुत ही सुन्दर भजन लिखते थे और अपने कार्य का आरम्भ किसी भजन से ही करते थे।
गीतकार वर्मा मलिक को हिंदी फ़िल्मों में लाने का श्रेय प्रसिद्ध संगीतकार हंसराज बहल को जाता है। बहल की उनसे गहरी दोस्ती थी, और उन्हीं के कहने पर वर्मा मलिक सन 1949 में बम्बई आए थे और बहल के घर ही रहते थे। वर्मा मलिक को फ़िल्मों में पहला मौक़ा हंसराज बहल ने ही दिया था, वो फ़िल्म थी 'जग्गू' और वो साल था '1952' I
1970 में, फिल्मों में उन्हें एक बड़ा ब्रेक मिला मनोज कुमार की फिल्म 'यादगार' में I उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फ़ेयर पुरस्कार भी मिला इसी साल, फिल्म थी पहचान और गाना था, 'कौन-कौन कितने पानी में'। इसके बाद उन्हें 1972 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फ़ेयर पुरस्कार मिला, फिल्म थी 'बेईमान' और गीत था, 'जय बोलो बेईमान की'।
गीतकार वर्मा मलिक को उनके जन्म दिवस पर पुण्य स्मरण !
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D