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ओ साथी गुनगुनाता चल...

18 सितम्बर 2015

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‘सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन’, ‘अखियों के झरोखों से मैंने देखा जो साँवरे’, ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’, ‘जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना’, ‘तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले’, ‘गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल’, ‘सुनयना आज इन नज़ारों को तुम देखो’ जैसे असंख्य गीत, संगीत प्रेमियों के दिलों की धड़कन हैं; और, इन खूबसूरत गीतों के रचनाकार को हम जानते हैं ‘गीतकार, संगीतकार और गायक रवीन्द्र जैन के नाम से ! रवीन्द्र जैन हिन्दी फ़िल्मों के जाने-माने संगीतकार और गीतकार हैं। इन्होंने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत फ़िल्म सौदागर से की थी जिसमें आपने गीत भी लिखे थे और उन्हें संगीतबद्ध भी किया था। आपको वर्ष 1985 में फ़िल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया । रामरिख मनहर के माध्यम से राजश्री प्रोडक्शन के ताराचंद बड़जात्या से रवीन्द्र जैन की भेंट बहुत महत्वपूर्ण रही । अमिताभ बच्चन, नूतन अभिनीत 'सौदागर' में गानों की गुंजाइश नहीं थी। इसके बावजूद रवीन्द्र जैन ने गुड़ बेचने वाले सौदागर के लिए ऐसी मीठी धुनें बनाईं, जो यादगार हो गईं। यहीं से रवीन्द्र जैन और राजश्री की सरगम का कारवाँ आगे बढ़ता गया। 'तपस्या', 'चितचोर', 'सलाखें', 'फ़कीरा' आदि फ़िल्मों के गाने लोकप्रिय हुए और फिल्म जगत के संगीतकारों में रवीन्द्र जैन का नाम स्थापित हो गया। एक महफिल में रवीन्द्र जैन और पार्श्व गायिका हेमलता गा रहे थे। श्रोताओं में राज कपूर भी थे। 'एक राधा एक मीरा दोनों ने श्याम को चाहा' गीत सुनकर राज कपूर झूम उठे, और बोले- 'यह गीत किसी को दिया तो नहीं?' पलटकर रवीन्द्र जैन ने कहा, 'राज कपूर को दे दिया है।' बस, यहीं से उनकी संगीत-यात्रा राज कपूर के साथ शुरू हो गई। फ़िल्म 'राम तेरी गंगा मैली' का संगीत रवीन्द्र जैन ने दिया । फ़िल्म भी हिट रही और संगीत भी बेहद लोकप्रिय हुआ ! रामानन्द सागर कृत मेगा-सीरियल ‘रामायण’ में रवीन्द्र जैन के गीत-संगीत और स्वर-लहरियों ने दर्शकों को मन्त्र-मुग्ध कर दिया । फ़िल्म संगीत के क्षेत्र में श्रेष्ठ योगदान के लिए वर्ष 2015 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है !

(18 सितम्बर, 2015)
उषा यादव

उषा यादव

प्रसिद्ध संगीतकार रवीन्द्र जैन पर बहुत ही सुन्दर आलेख !

19 सितम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

प्रसिद्ध संगीतकार रवीन्द्र जैन के बारे में जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद!

18 सितम्बर 2015

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...और युसुफ़ बन गए दिलीप कुमार

3 सितम्बर 2015
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बहुत से सिने-प्रेमी ये बात जानते होंगे कि ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का वास्तविक नाम है युसुफ़ खान I लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि जनाब युसुफ़ ख़ान को दिलीप कुमार का नाम किसने दिया I 28 फ़रवरी, 1913 को खुर्जा उत्तर प्रदेश में जन्मे हिंदी के प्रसिद्ध कवि, लेखक और संपादक पंडित नरेंद्र शर्मा उन्नीसवीं सदी

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हम तुम युग-युग से ये गीत...

4 सितम्बर 2015
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लिखने वाले ख़ूब जानते हैं कि कितने ही क्षण ऐसे आते हैं जब लिखे बिना रहा नहीं जाता...निर्झर सरिता सा बहता कल-कल प्रवाह फिर रोके नहीं रुकता ! मीमांसा-अभिवेगों से रंगा मन, लिखने का अमल-अभिमाद, व्यक्ति को भीड़ में भी अकेला कर देता है, उसे तब तक चैन नहीं मिलता जब तक उसकी क़लम अपना अंतर्वेग काग़ज़ के पन्नों पर

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ओ साथी गुनगुनाता चल...

18 सितम्बर 2015
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‘सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन’, ‘अखियों के झरोखों से मैंने देखा जो साँवरे’, ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’, ‘जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना’, ‘तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले’, ‘गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल’, ‘सुनयना आज इन नज़ारों को तुम देखो’ जैसे असंख्य गीत, संगीत प्रेमियों के दिलों की धड़कन हैं; और,

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सुन मेरे बंधु रे...

18 सितम्बर 2015
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सचिन देव बर्मन हिन्दी और बांग्ला फिल्मों के ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का स्पर्श था, वहीं वह पाश्चात्य संगीत का भी बेहतरीन मिश्रण करते थे । सचिन देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 को त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ था । प्यार से लोग उन्हें एस डी बर्मन बुलाते

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जाने वो कैसे लोग थे जिनके...

10 अक्टूबर 2015
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बनिए आवाज़ के जादूगर

23 अक्टूबर 2015
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गीत, हमारे मनमीत

3 फरवरी 2016
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कितने ही गीत हमारे मनमीत होते हैं ! कितनी ही बार हमारे मन में एक नयी उमंग, एक नयी तरंग जगाते हैं, जैसे थाम के उंगली हौले से हमें लिए जाते हैं, न जाने कौन से उजालों की ओर ! एक ऐसा ही गीत है फिल्म 'गाइड' का जिसके बोल हैं....'आज फिर जीने की तमन्ना है' I ऐसे नग्मात सुनकर ऐसा लगता है मानो ये उम्र और समय

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प्यार कभी

3 फरवरी 2016
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प्यार कभी एक तरफा होता है न होगा... -गीतकार गुलज़ार

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तेरे जाने के बाद तेरी याद आयी...नादिरा

9 फरवरी 2016
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यूँ तो अक्सर किसी के जाने के बाद ही उसकी याद आती है लेकिन दुनिया में कितने ही सितारे हमारे दिलों की ज़मीं’ पर हरदम जगमगाते रहते हैं । हिन्दी फ़िल्मों की ख़ूबसूरत और मशहूर अभिनेत्रियों में से एक ऐसी ही अदाकारा थीं नादिरा । 5 फ़रवरी 1932 को इज़राइल में एक यहूदी परिवार में जन्मी थीं फ़रहत एज़ेकेल नादिरा जिन्

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कमाल के फ़नकार थे-कमाल अमरोही

10 फरवरी 2016
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'चलो दिलदार चलो, चाँद के पार चलो'...जी हाँ, अज़ीम फनकारों के साथ ये अक्सर ही हुआ कि वो जहाँ जिस हाल में जन्मे और पले-बढ़े, दिल से बस यही सदा निकली I उनके बचपन के किस्से सुनो तो हैरत होती है कि फ़र्श से अर्श का ये सफ़र भला कोई कैसे तय लेता है ! एक ऐसी ही बेहतरीन शख्सियत के मालिक थे, गीतकार, पटकथा और संवा

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ग्लैमरस भूमिकाओं की मल्लिका थीं अभिनेत्री परवीन बाबी

4 अप्रैल 2016
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परवीन बाबी सत्तर के दशक के शीर्ष नायको के साथ फिल्मो मे ग्लैमरस भूमिका निभाने के लिए याद की जाती है। उन्होने सत्तर और अस्सी के दशक में बनी ब्लॉकबस्टर फिल्मो मे भी काम किया जिनमें प्रमुख थीं  दीवार, नमक हलाल, अमर अकबर एन्थोनी और शान। वह भारतीय सिनेमा की तमाम खूबसूरत अभिनेत्रियो मे से एक मानी जाती है।

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फ़िल्म 'द जंगल बुक' रास आ गई लोगों को

9 अप्रैल 2016
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हॉलीवुड फिल्म 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की है। जॉन फेवरू की रडयार्ड किपलिंग की किताब पर बेस्ड इस फिल्म का दर्शकों को काफी समय से इंतजार था। फिल्म के हिंदी वर्जन को प्रियंका चोपड़ा और इमरान खान जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी आवाज दी है। 'द जंगल बुक' ने पहले दिन इंडियन

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ज़बरदस्त अभिनय की मल्लिका : रोहिणी हट्टंगड़ी

11 अप्रैल 2016
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11 अप्रैल 1951 को पुणे में जन्मी हिंदी फ़िल्म जगत की ज़बरदस्त अभिनेत्री ने अपने करीअर की शुरुआत मराठी रंगमंच से की थी। बचपन से ही उनकी आत्मा थिएटर में बसी थी और वो सिर्फ एक कलाकार बनना चाहती थीं। उन्होंने फ़िल्मों के बारे में सोचा ही नहीं था इसी लिए उनके FTTI उनके होम टाउन में होने के बावजूद उन्होंने 1

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फ़िज़ाओं में गूंजता है आज भी इकतारा: गीतकार वर्मा मलिक

13 अप्रैल 2016
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'एकतारा बोले, तुन-तुन, क्या कहे ये तुमसे सुन-सुन' गीत लिखने वाले गीतकार वर्मा मलिक जन्मे थे 13 अप्रैल, 1925 को फीरोजपुर (अब पाकिस्तान) में। शुरूआती दिनों में उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भी भाग लिया और अनेक देशभक्ति गीत लिखे। वह बहुत ही सुन्दर भजन लिखते थे और अपने कार्य का आरम्भ किसी भजन

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कुछ तो है...

21 अप्रैल 2016
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जी ! आज जाने-माने फिल्म और टीवी कलाकार शिवाजी साटम का जन्मदिन है। 21 अप्रैल, 1950 को जन्मे शिवाजी साटम, अभिनय के क्षेत्र में आने से पहले बैंक-कैशियर थे। थिएटर करने का शौक़ उन्हें फिल्म और टीवी तक खींच लाया। उन्होंने तमाम फिल्मों में बेहतरीन रोल किये लेकिन ख़ास पहचान बनी मशहूर धारावाहिक सीआईडी के एक अह

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