‘सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन’, ‘अखियों के झरोखों से मैंने देखा जो साँवरे’, ‘गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा’, ‘जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना’, ‘तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले’, ‘गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल’, ‘सुनयना आज इन नज़ारों को तुम देखो’ जैसे असंख्य गीत, संगीत प्रेमियों के दिलों की धड़कन हैं; और, इन खूबसूरत गीतों के रचनाकार को हम जानते हैं ‘गीतकार, संगीतकार और गायक रवीन्द्र जैन के नाम से ! रवीन्द्र जैन हिन्दी फ़िल्मों के जाने-माने संगीतकार और गीतकार हैं। इन्होंने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत फ़िल्म सौदागर से की थी जिसमें आपने गीत भी लिखे थे और उन्हें संगीतबद्ध भी किया था। आपको वर्ष 1985 में फ़िल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया । रामरिख मनहर के माध्यम से राजश्री प्रोडक्शन के ताराचंद बड़जात्या से रवीन्द्र जैन की भेंट बहुत महत्वपूर्ण रही । अमिताभ बच्चन, नूतन अभिनीत 'सौदागर' में गानों की गुंजाइश नहीं थी। इसके बावजूद रवीन्द्र जैन ने गुड़ बेचने वाले सौदागर के लिए ऐसी मीठी धुनें बनाईं, जो यादगार हो गईं। यहीं से रवीन्द्र जैन और राजश्री की सरगम का कारवाँ आगे बढ़ता गया। 'तपस्या', 'चितचोर', 'सलाखें', 'फ़कीरा' आदि फ़िल्मों के गाने लोकप्रिय हुए और फिल्म जगत के संगीतकारों में रवीन्द्र जैन का नाम स्थापित हो गया। एक महफिल में रवीन्द्र जैन और पार्श्व गायिका हेमलता गा रहे थे। श्रोताओं में राज कपूर भी थे। 'एक राधा एक मीरा दोनों ने श्याम को चाहा' गीत सुनकर राज कपूर झूम उठे, और बोले- 'यह गीत किसी को दिया तो नहीं?' पलटकर रवीन्द्र जैन ने कहा, 'राज कपूर को दे दिया है।' बस, यहीं से उनकी संगीत-यात्रा राज कपूर के साथ शुरू हो गई। फ़िल्म 'राम तेरी गंगा मैली' का संगीत रवीन्द्र जैन ने दिया । फ़िल्म भी हिट रही और संगीत भी बेहद लोकप्रिय हुआ ! रामानन्द सागर कृत मेगा-सीरियल ‘रामायण’ में रवीन्द्र जैन के गीत-संगीत और स्वर-लहरियों ने दर्शकों को मन्त्र-मुग्ध कर दिया । फ़िल्म संगीत के क्षेत्र में श्रेष्ठ योगदान के लिए वर्ष 2015 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है !
(18 सितम्बर, 2015)