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ज़हाज़ मे बेठू पैसे नहीं

Aasim khan

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मेरे गांव मे , तेरे गांव मे , मेरे कसबे मे तेरे कसबे मे , मेरे शहर मे तेरे शहर मे बहुत लोग होंगे जो कभी जहाज़ मे नहीं बेठे . जहाज़ मे बेठने का किस का मन नहीं करता पर गरीब इंसान कैसे जहाज़ मे सफर करे . कैसे वो भी अमीर लोगों की तरह जहाज़ मे एक शहर से दुसरे शहर जाये .जहाज़ का किराया आम इंसान की हेसियत से कोसो दूर हैं . खुदा ने अमीर लोग इसलिय बसाये ताकि गरीब को वो दे जिसे हासिल करना उसके लिए नामुमकिन हो . गरीब को वो खिलाये जो उसने कभी देखा भी ना हो .गरीब की ज़रूरत पूरी करे . खुदा ने गरीब इसलिय बसाया ताकि अमीर लोगों के काम करे , उनको सलाम करे , उनकी सेवा करे , उनकी ज़िन्दगी को आसान बनाये . उनके सभी काम खुशी खुशी अपना मेहनत का पैसा लेकर करे . जहाज़ से एक जगह से दूसरी जगह जाने और वापिस आने का किराया कम से कम 15 हज़ार लगता हैं . गरीब इंसान इतने पैसो मे अपने घर को चलाता है . वो बेचारा सपने मे भी सोचता की उसे जहाज़ मे भी घूमना है . ज़िन्दगी मे रोज़ मेहनत करते करते एक दिन बिना जहाज़ मे घुमे दुनिया को छोड़ कर चला जाता हैं . कभी बस से सफर ,कभी ट्रक से , कभी साईकिल से , तो कभी पेदल सफर मगर इस सफर मे जहाज़ का सफर अधूरा रह जाता हैं . बेचारा किस्मत का मारा बिना जहाज़ मे घुमे दुनिया को अलविदा कह जाता हैं . कोई किसी जगह जाना चाहता तो कोई किसी जगह जाने और खाने के पैसे नहीं होते तो बेचारा सब्र कर लेता हैं . ना किसी को कहता बस सब्र कर लेता हैं . जितनी पगार या मज़दूरी उसे मिलती हैं उसमे बस घर चलता हैं . गरीब का रब हैं रब उस पर नज़र रखता है . क्यों अमीर लोग गरीब को एक बार जहाज़ मे घुमा देते . उनके लिए बहुत आसान हैं . अमीर लोग चाहे तो गरीब इंसान को घुमा सकते हैं . भारत बहुत बडा हैं बेचारे ऐसे भी लोग हैं जो अपने आसपास ही जाते हैं उनको नहीं पता दूसरी जगह की दुनिया का . गरीब हूँ बस इसलिय नहीं जा पाता , ना मन मर्जी खा पाता , ना मन घूम पाता . गरीब हूँ नसीब मे नहीं बस यह सोचकर सब्र कर लेता हैं . मेरी पुस्तक से जो पैसे आयेंगे तो 100 लोगों को उनकी मर्जी वाली जगह लेकर जाऊँगा , उनकी मर्जी का खिलाऊंगा . उनको वो भी हवा मे एक बार घुमाने का मन करता हैं . हम सब एक दूसरे के लिए ख़ुशी तलाश करे , गम को हलका करे तो ज़िन्दगी सबकी खुशनुमा बन जायेगी .खुदा की रेहमत हम सब पर पड जायेगी . धन्यवाद  

jahaz me bethu paise nahin

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