पॉलिटेक्निक कॉलेज की छुट्टी हुई रेखा बाहार ही आयी थी के सूरज बाइक पे सामने खड़ा था दोनों एक दूसरे को बस देख्ते ही रहे फ़िर क्या था सूरज ने बाइक स्टार्ट की और घर को निकल गया. ये तो उसका रोज़ का काम ठ रेखा को बहोत पसंद कर्ता था शायद रेखा भी उसे काफ़ी पसंद करती थी पर अपने पापा के गुसेल स्वभाव से अच्छे से परिचित थी रेखा और सूरज दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे पर कभी एक दूसरे से अपने दिल आई बात कभी कह नही सके रेखा पॉलिटेक्निक कर रही थी और सूरज ने अपना स्नातक कर रहा था दो साल से वो रेखा को पसंद कर्ता था पर हिम्मत नही हुई कभी ये कहने की अब तो घरवाले भी सूरज की शादी के बारे में सोचने लगे थे यही सोच कर की कही उसके घरवाले कही और बात ना चला दे उसने घर में अब बता दीया घरवाले भी खुश थे उसके सच बोलने से अगले ही दीन सूरज के घरवाले उसकी शादी की बात करने रेखा के घर पहुँचे रेखा के पापा -आइए कैसा आना हुआ आज पूरे परिवार के साथ हमारे घर सूरज के पापा - पहले मुह मीठा तो कीजिए आपकी लड़की हमारे सूरज को बहुत भा गयी है हम भी उसे अपने घर की बहु बनना चाहते है यही बात करने आए है आपसे रेखा के पापा -हाहा ये कैसि बात कर दी आपने पहले ये सोच तो लेते की सूरज नौकरी क्या कर्ता है मैंने तो सोच रखा है की अपनी बेटी की शादी किसी सरकारी नौकरी वाले के साथ ही करूँगा और मुझे नही लगता सूरज मेरी रेखा के लायक है रेखा के पिता की एसी बातें सुन कर सूरज का परिवार बहुत शर्मिन्दा हुआ और बीना कुछ कहे ही वह से चल पड़ा परंतु सूरज को अपने परिवार की बेज्जती अच्छी कैसे लगती उसने गुसे में रेखा के पिता से कहा सूरज - ठीक है आपको यही मंजूर है तो मैं सरकारी नौकरी पा के दिखाऊँगा ये मेरा वादा है आपसे. और ये कह कर वो वह से चल दिया दो साल बाद :- सूरज फ़ौजी बन गया था अब तो बाइक भी बुलेट ले ली थी सरकारी नौकरी का ऋआब ही अलग होता है सूरज की छुट्टी मंजूर हुई और वो घर पहुँचा ही था की अगले दीन रेखा के पापा सूरज के घर आए रेखा के पापा -वाह भइ सूरज मान गये तुम्हें अपने प्यार को पाने के लिए सरकारी नौकरी पा ही ली जो कहा वो कर ही दिखाया सूरज - हाँ जी आप भी तो यही चाहते थे की आपको सरकारी नौकरी वाला जनवाइ मिले रेखा के पापा -कोई बात नही जी अब बात पक्की कर लेते है हमने तो तुम्हें अपना जनवायी मान लिया सूरज - ठीक है