गुजरते वक़्त के साथ अक्सर,
यह एहसास होता है ।
वो वक़्त जल्दी गुजर जाता है,
जो खास होता है ।
वो लम्हें जिनमें,
सिर्फ खुशी ही खुशी होती है ।
वो लम्हें जिनमें,
न कोई बेरुखी होती है ।
वो लम्हें जिनमें सबके चेहरे,
हँसते-खिलखिलाते हैं ।
ये लम्हें इतनी जल्दी,
क्यों गुजर जाते हैं ।
खुशनुमा लम्हें जिन्हें सदा के लिए,
रोक लेने को जी चाहता है ।
वो खुशियों का समन्दर जिसमें,
डूब जाने को जी चाहता है ।
वो वक़्त रेत की तरह मुट्ठी से,
फिसलता क्यों है?
ये अच्छा वक़्त इतनी तेजी से,
निकालता क्यों है?
वो लोग बिछड जाते हैं अक्सर,
जो दिल के पास होते हैं ।
वो रूला जाते हैं अक्सर,
जो खुशी की आस होते हैं ।
वो मिलते ही क्यों हैं,
जिन्हें जाना होता है ।
क्यों ऐसे ही लोगों का,
दिल में ठिकाना होता है ।
जो आदत होते हैं,
वो अक्सर याद बन जाते हैं ।
जो होठों की हँसी थे कभी,
वो आँखों की बरसात बन जाते हैं ।
जो आज थे कभी,
वो अतीत बन जाते हैं ।
जो खुशियों की धुन थे कभी,
वो गम का संगीत बन जाते हैं ।
क्यों किसी से रिश्ता,
इतना गहरा हो जाता है?
क्यों हर वक़्त दिल पर किसी याद का,
पहरा हो जाता है?
वे लोग मिलते हैं अक्सर,
अजनबी की तरह।
फिर जुड जाते हैं जिंदगी से,
आसमाँ -जमीं की तरह।
खून का रिश्ता नहीं होता,
फिर भी अपने से लगते हैं ।
उनके साथ गुजारे हुए लम्हे,
सपने से लगते हैं ।
जिंदगी में हर खुशी से ज्यादा,
अजीज होते हैं ।
ये कमीने दोस्त भी ,
क्या चीज़ होते हैं!!
-संध्या यादव "साही"