दिल से मजबूत होते हैं ।
परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों,
धीर खोते नहीं हैं ।
उन्हें बचपन से सिखाया जाता है,
वो लड़के हैं
और लड़के रोते नहीं हैं ।
बोझ जितना भी हो दिल पर,
ढोते रहते हैं ।
आँखें भले ही शुष्क रहती हैं।
लेकिन दिल ही दिल में,
रोते रहते हैं ।
अगर आँसू निकल आए,
तो लोग हँसेंगे।
ये बात हमेशा इनके ,
मन में बैठा दी जाती है ।
लड़के हैं,कठोर होने चाहिये।
इनकी जिंदगी से कोमलता,
हटा दी जाती है ।
इन्हें भावनाएँ जाहिर करने का,
हक नहीं होता।
हर बात दिल में दबाकर रखते हैं।
जी इनका भी करता होगा,
कभी जी भर के रो लें।
मगर कोई रोते न देख ले,
इसलिए आँसू छिपाकर रखते हैं ।
जिंदगी इन्हें भी दर्द देती है,
मगर कभी जाहिर नहीं होने देते ।
हर तकलीफ खुद तक,
सीमित रखते हैं ।
कभी किसी दुख को,
बाहर नहीं होने देते।
ये सबको खुश रखते हैं ।
कभी खुद की खुशियों की,
परवाह नहीं करते।
ये लडके हैं जनाब!
दुख का पहाड भी टूट जाए,
तब भी आह नहीं करते।
निकलते हैं खुशियाँ कमाने,
खुशियों को छोड़कर ।
अकेले ही निकल पड़ते हैं
सफर में ,
सभी रास्तों को मोड कर।
वो भी अपनों को याद करते हैं ।
कभी बताते नहीं है ।
कभी तो थकान इन्हें भी होती होगी,
मगर जिम्मेदारियां हैं सिर पर
इसलिए जताते नहीं हैं ।
कभी तो इनको लगता होगा,
कोई इनको भी समझे।
मगर अक्सर ऐसा कोई,
मिलता नहीं है ।
इनकी मजबूती,इनकी कठोरता
दिखती है सबको।
सीने में इनके भी एक दिल है,
ये किसी को लगता नहीं है ।
माना समझदार हैं, मजबूत हैं,
मगर थोडे मासूम और अंजान भी तो हैं ।
लड़के हैं तो क्या हुआ जनाब!
इंसान भी तो हैं ।।
- संध्या यादव " साही"