लड़के हैं वो तो,
शैतान होते हैं ।
तुम लड़की हो,
नजरअंदाज करो।
क्यों ध्यान देती हो?
कुछ कहते हैं
एक कान से सुनो,
दूसरे से निकाल दो।
वो कुछ भी कहें,
कभी पलटकर मत जवाब दो।
लड़के हैं ,
बदमाश होते ही हैं ।
तुम लड़की हो, सुशील रहो।
उनकी बातों से,
तुम्हारा क्या बिगड़ता है?
थोडा सहन करो,
सहनशील रहो।
लड़कियाँ ज्यादा बोलती नहीं हैं,
बदनामी होगी ।
तुम्हारी ही जिंदगी खराब,
आगामी होगी।
तुम लड़की हो,
तुम्हारा काम ही सहना है ।
जमाना कुछ भी कहे,
तुम्हें खामोश रहना है ।
आखिर कब तक??
कब तक हमें,
आदर्शों का पाठ पढाओगे?
कब तक पुरुषत्व के नीचे,
हमें दबाओगे?
हाँ! लड़कियाँ हैं हम,
जनाब! अपराधी नहीं हैं ।
हमें भी गुस्सा आता है,
हम हमेशा सहने की आदी नहीं हैं ।
कोई गलती नहीं हो हमारी,
फिर भी हमें सहना पड़ता है ।
जानते हैं दूसरा गलत है,
मगर खामोश रहना पडता है ।
कब तक हमें,
ये झूठे आदर्श सिखाओगे?
कब अपने गिरेवान में झांकोगे,
कब खुद में सुधार लाओगे?
लडके हो।
इसका मतलब यह तो नहीं,
व्यर्थ का रौब जमाओगे।
हम लड़कियाँ हैं,
तो कुछ भी कहके निकल जाओगे।
हम लड़की हैं
तो क्या यह हमारी गलती है?
हमेशा लड़की ही,
क्यों सबको गलत लगती है?
चलो आज आपसे ,
एक सवाल करती हूँ ।
कब तक लडकियों के साथ,
यह अन्याय होगा?
कौन से न्यायालय में आखिर,
हमारे साथ न्याय होगा?
हम भी इंसान हैं ।
पता नहीं यह समाज,
कब समझ पायेगा?
फिर भी इंतजार है उस दिन का,
जब बदलाव आएगा।
-संध्या यादव "साही"