कोई कहता है समंदर ।कोई कहता है चाँद ।
कोई कहता है,
पहाड़ की चोटी है तू।
सागर सी मेरी जिंदगी में,
मोती है तू।
तू बहुतों का इश्क़ है ।
तेरे दीवाने लाखों में हैं ।
दिल पर नाम लिखा है तेरा,
तेरे ख्वाब आँखों में हैं ।
देर रात तक जगाता है,
ख्वाब तेरा सोने नहीं देता।
जब से तेरे इश्क़ का रंग चढ़ा है,
किसी और से इश्क़ होने नहीं देता।
मुझ पर उठाए गए हर सवाल का,
जवाब है तू।
इस दौडती-भागती जिंदगी का,
एक ठहराव है तू।
मेरी अँधेरी दुनिया का,
अफताब है तू।
इस मुसाफिराना सफर का,
एक पड़ाव है तू।
किसी चीज़ की चाहत नहीं रही,
जब से तुझसे प्यार हुआ है।
तुझसे मिलने की चाहत
और मुक्कमल हो उठी है,
जब से ख्वाब में तेरा दीदार हुआ है ।
रहनुमा है तू मेरा।
मेरी जिंदगी के दरिया का किनारा है ।
वो हकीकत में कितना खूबसूरत होगा,
जिसका ख्वाब इतना प्यारा है ।
अब तलब की ही बात है,
तो जहाँ तक जाना पड़े,
तेरे पीछे दौड़ेंगे हम।
कहता है जमाना, हम जिद्दी कमाल के हैं ।
अगर पसंद आ गया है कुछ,
तो पाकर छोडेंगे हम।।
-संध्या यादव "साही"