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यादों की गुल्लक

30 मई 2022

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आज पुरानी यादों की गुल्लक,
हाथों से छूट गई ।
बहुत कोशिश की बचाने की,
मगर फूट गई ।
बहुत कुछ बाहर निकल पड़ा ।
कुछ सपने थे,
जो बचपन में अधूरे रह गए थे ।
कुछ अधूरे अरमान थे,
जो आँसुओं में बह गए थे ।
कुछ ख्वाहिशें थीं।
कुछ पुरानी तस्वीरें थीं।
कुछ पुराने पन्नों पर,
बेतरतीब खिंची लकीरें थीं।
कुछ पुराने दोस्तों की
हँसी कैद थी।
कुछ पुराने वक़्त की
मस्ती कैद थी।
कुछ नासमझी थी।
कुछ नादानी थीं।
कुछ जिदें बिखरी पड़ी थीं,
जो बचपन में करने की ठानी थी ।
कुछ खुशियों के लम्हे थे।
कुछ गम भी थे।
कुछ चोटें मिलीं,
कुछ मरहम भी थे।
कुछ लोग मिले 
जो उस वक़्त खास थे।
कुछ से आज भी 
मुलाकात होती है ।
कुछ सिर्फ एहसास थे।
कुछ अपनों के दिए जख्म थे।
कुछ गैरों की लगाई दवा भी थी।
कुछ लोगों के श्राप थे,
कुछ लोगों की दुआ भी थी।
कुछ लोग थे,
जिन्होने गिराना चाहा था।
कुछ लोग थे,
जिन्होने सहारा दिया था ।
कुछ लोग थे,
जिन्होने हर मुमकिन मदद की थी।
कुछ लोग थे,
जिन्होने जवाब करारा दिया था ।
कुछ मधुर यादें थीं।
कुछ कड़वी बातें थीं।
कुछ गमों के तोहफे थे,
कुछ खुशियों की सौगातें थीं।
कुछ लोगों के बदलते
चेहरे कैद थे।
कुछ चुभती हुई नजरों के
पहरे कैद थे।
आज वक़्त ने गुजारे हुए वक़्त से,
सामना करा दिया ।
आँखों में नमी थी,
और होठों पर मुस्कुराहट।
लगता था जिससे जीतकर आई हूँ,
उस वक़्त ने मुझे फिर हरा दिया।
समेट ली मैने सारी यादें।
उन्हें फिर से एक डिब्बे में कैद कर दिया।
अजीब सा खालीपन था,
जैसे मैने अपने ही एक हिस्से को
कैद कर दिया।
फिर किसी वक़्त
इन यादों की रिहाई होगी।
फिर मेरे किसी हिस्से की,
मुझसे ही जुदाई होगी।।
   -संध्या यादव "साही"
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रचनाएँ
कलम की बात✍
5.0
बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा था कि एक कलम एक हज़ार तलवारों से भी अधिक शक्तिशाली होती है । कलम की ताकत का अंदाजा लगाना हर किसी के वश की बात नहीं होती ।ये सिर्फ समझदार और विद्वानों के वश की बात है । संसार की कई बुराईयों पर कटाक्ष करते हुए प्रस्तुत है मेरी किताब- कलम के वार ✍ अगर आप भी शामिल हैं समझदार लोगों में पढिए इसे और अंदाजा लगाईये कलम की ताकत का।। धन्यवाद🙏🙏
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लड़के रोते नहीं हैं

22 जनवरी 2022
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दिल से मजबूत होते हैं ।परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों,धीर खोते नहीं हैं ।उन्हें बचपन से सिखाया जाता है,वो लड़के हैं और लड़के रोते नहीं हैं ।बोझ जितना भी हो दिल पर,ढोते रहते हैं ।आँखें भले ही शुष्क र

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वो माँ है मेरी

26 जनवरी 2022
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# वो मेरी माँ है #मैं लाख मुस्कुराऊँ,फिर भी मेरी उदासी पहचान लेती है।वो मेरी माँ है जनाब!मेरी आवाज से मेरा हाल जान लेती है ।मेरी खामोशी उसे बहुत खलती हैएक वो ही है,जो मेरी बकबक से कभी नहीं पकती ह

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स्कूल का जमाना

28 जनवरी 2022
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वो मेरा रूठ जाना, तेरा वो मनाना। टीचर से डांट लगवा कर, तेरा पागलों की तरह खिल-खिलाना। बात-बात पर मेरा मजाक बनाना। अलग -अलग नामों से चिढाना। मुझे दुखी देखकर, तेरा वो उदास हो जाना। किसी से झगड़ा होने पर,

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गुजरता वक़्त•••••••

11 फरवरी 2022
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गुजरते वक़्त के साथ अक्सर, यह एहसास होता है । वो वक़्त जल्दी गुजर जाता है, जो खास होता है । वो लम्हें जिनमें, सिर्फ खुशी ही खुशी होती है । वो लम्हें जिनमें, न कोई बेरुखी होती है । वो लम्हें जिनमें सबके

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लड़के हैं वो तो •••••‌••

12 फरवरी 2022
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लड़के हैं वो तो, शैतान होते हैं । तुम लड़की हो, नजरअंदाज करो। क्यों ध्यान देती हो? कुछ कहते हैं एक कान से सुनो, दूसरे से निकाल दो। वो कुछ भी कहें, कभी पलटकर मत जवाब दो। लड़के हैं , बदमाश होते ही हैं ।

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जब वो साथ है •••••

8 मई 2022
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जब वो कहती है ना,सब ठीक हो जायेगा।चिंता नहीं करते।गलतियाँ इंसान से ही होती हैं,इतना सोचा नहीं करते।जब वो ऐसे समझाती है ना,तो लगता है इस निराशा में भी एक आस है ।क्या जरुरत है किसी और की,जब वो साथ है ।ग

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मैं खुद को बहुत पसंद हूँ

9 मई 2022
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मेरे गम को कभी पहचान नहीं पाओगे।मुझे देख लोगे हजारों दफा,कभी जान नहीं पाओगे।दर्द का गहरा समंदर है ।मुस्कान चेहरे पर है,सारा गम अन्दर है ।आँखों में अश्क़ नहीं आते अब,शायद थक चुके हैं ।जो मेरे अपने थे कभ

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मैं गुमनाम अच्छी हूँ

16 मई 2022
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यूँ मशहूर न करो,जमाने में मुझे।मैं गुमनाम अच्छी हूँ ।कोई जाने मुझे,इसकी ख्वाहिश कहाँ है?मैं खुद में ही गुम,बेनाम अच्छी हूँ ।अरमान नहीं हैं मेरे,झूठ बोलकर वाह-वाही लूटने के।बयाँ करके हकीकत,मैं बदनाम अच

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बचपन जिंदा आज भी है

17 मई 2022
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कोई डांट दे जरा सा,तो आँखों में आँसू आ जाते हैं।आज भी कई लोग हमें,आँखें दिखा कर डरा जाते हैं।आज भी जिद करने का मन करता है,मन एक जिद्दी परिंदा आज भी है।मेरे दिल के किसी कोने में,बचपन जिंदा आज भी है।आज

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उलझे रिश्ते

22 मई 2022
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सूत के धागों की तरह,उलझे होते हैं कुछ रिश्ते।जिन्हें न हम छोड़ सकते हैं,और न ही तोड़ सकते हैं ।उलझनें ही उलझनें,होती हैं सब तरफ।ये रिश्ते न आम होते हैं,और ना ही खास होते हैं ।ये अपने आप में ही,उलझा हुआ

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यादों की गुल्लक

30 मई 2022
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तलब-ऐ-दीदार

9 जुलाई 2022
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कोई कहता है समंदर ।कोई कहता है चाँद ।कोई कहता है,पहाड़ की चोटी है तू।सागर सी मेरी जिंदगी में,मोती है तू।तू बहुतों का इश्क़ है ।तेरे दीवाने लाखों में हैं ।दिल पर नाम लिखा है तेरा,तेरे ख्वाब आँखों में है

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कैसे??

12 जुलाई 2022
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मेरे सपने हर रोज,मेरे दरवाजे पर दस्तक देते हैं ।कहीं और दिल लगाएँ,तो लगाएँ कैसे??ये ख्वाहिशों का तूफान,थमने का नाम नहीं लेता।कुछ और सोचें,तो सोच पाएँ कैसे??जिम्मेदारियाँ रात भर सोने नहीं देतीं।कोई और

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न जाने किसकी नजर??

19 जुलाई 2022
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न जाने किसकी नजर,मेरे मुस्कुराते हुए चेहरे को लग गई ।जिंदगी अब गम की बरसात हो गई है ।दिन लगते हैं दहकते कोयले की तरह,बर्फ सी सर्द रात हो गई है ।जिन लोगों से बातें खत्म नहीं होती थीं,उनसे अब बात ही नही

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मेरा अपना क्या है??

16 अक्टूबर 2022
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गुरुर किस चीज़ का करुँ मैंमेरा अपना क्या है??सूरत माँ-बाप ने,संस्कार परिवार ने,ज्ञान गुरुओं ने दिया है ।मेरा अपना क्या है??समझ दुनिया ने,सबक जमाने ने,सहारा माँ ने दिया है ।मेरा अपना क्या है??हिम्मत कित

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