जब जुनूने इश्के हासिल देखता हूँ
मैं तुफानो में ही साहिल देखता हूँ
शक्लो सूरत से मुझे क्या वास्ता है
मैं तो इन्सानो का बस दिल देखता हूँ
खूब उसको अपने दिल में दी पनाहे
मेरे जज्बो का जो कातिल देखता हूँ
भूल जाता हूँ जहाँ की फिक्र को
जब कही मस्तो की महफ़िल देखता हूँ
बैठ जाता हूँ मैं सजदो में वही पे
जब कभी रज़्ज़ब का काबिल देखता हूँ
सैकड़ो रस्ते है सब अपनी जगा पे
मैं तो तुझमे अपनी मंज़िल देखता है
जिन्दगी की बाते है अमोल लेकिन
तेरे अशआरों में बिस्मिल देखता हूँ
अमोल