ख्वाब कश्मीर का छोड़ दे,वरना जिंदगी मुहाल हो जायेगा,
तबाह हो जायेगा तू, खुद के लिए भी सवाल हो जायेगा.
मत छेद हमारे सब्र को, अंदर शोले हैं चिंगारी भी,
रोक न पायेगा फिर, एक-एक हिंदुस्तानी भूचाल हो जायेगा.
29 अक्टूबर 2016
ख्वाब कश्मीर का छोड़ दे,वरना जिंदगी मुहाल हो जायेगा,
तबाह हो जायेगा तू, खुद के लिए भी सवाल हो जायेगा.
मत छेद हमारे सब्र को, अंदर शोले हैं चिंगारी भी,
रोक न पायेगा फिर, एक-एक हिंदुस्तानी भूचाल हो जायेगा.
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जो दिल को बहला जाती थी वो मीठी तकरार कहाँ है, कोई हमसे पूछ रहा है पहले जैसा प्यार कहाँ है......... वो दिन कब के बीत चुके जब "ना" के पीछे "हाँ" होती थी, इकरारों की खुशबू लाये ऐसा इंकार कहाँ है......D
जय हिन्द
29 अक्टूबर 2016