परो में अपनी ऊंची उड़ान रख लो,
धरती ही नहीं पूरा आसमान रख लो।
हक़ीक़त देखे ये जहाँ सारा,
ख्वाबों में ऐसी पहचान रख लो।
हर एक के दिलों पे तुम्हारा ही नाम हो,
सदा के लिए होठों पे अपने मुस्कान रख
लो।
दूर है मंजिल तुम्हारी तो क्या गम है,
अपनों के दुआओं का शान रख लो।
रूठना मत मनाना हमें आता नहीं,
प्यार से सजा है, मेरी दुनिया मेरा जहान रख लो।
तुम्ही हो मेरी, तुमसे ही रोशन
है मेरी दुनिया,
मेरा अपना रहा नहीं, ये दिल, ये धड़कन, ये जान रख लो।
राजेश श्रीवास्तव 'राज'