जब तक मेरे जिस्म में जान बाकी है,
एक-एक हौसलों में उड़ान बाकी है।
वक़्त है बुरा तो क्या बदल जाएगा,
जीने के अंदाज में वो शान बाकी है।
ये अश्क क्या भिगोएगा मेरे दामन को,
इन होठों पे मेरे वो मुश्कान बाकी है।
मेरे नीयतों का यारों ये असर हुआ है,
हर एक के दिलों में वो पहचान बाकी है।
ये चंद ठोकरें हमें क्या रोक पायेगी “राज”
लेकर ही जाएंगे हिस्से का वो आसमान बाकी है।