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जब तक मेरे जिस्म में जान बाकी है......

10 नवम्बर 2015

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जब तक मेरे जिस्म में जान बाकी है,

एक-एक हौसलों में उड़ान बाकी है।

 

वक़्त है बुरा तो क्या बदल जाएगा,

जीने के अंदाज में वो शान बाकी है।

 

ये अश्क क्या भिगोएगा मेरे दामन को,

इन होठों पे मेरे वो मुश्कान बाकी है।

 

मेरे नीयतों का यारों ये असर हुआ है,

हर एक के दिलों में वो पहचान बाकी है।

 

ये चंद ठोकरें हमें क्या रोक पायेगी राज

लेकर ही जाएंगे हिस्से का वो आसमान बाकी है।

राजेश श्रीवास्तवा की अन्य किताबें

10 नवम्बर 2015

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बेबस है, लाचार है, आज आदमी, आदमी से

10 नवम्बर 2015
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डरा-डरा सा रहताहै आदमी, आदमी से,क्या रिश्तानिभाएगा आदमी, आदमी से। उसके दिल में कुछहै, जुबां पे कुछ और,जानता सब है फिरभी अंजान है आदमी, आदमी से। कौन रोके ये अपहरण, हत्या, लूट, बलत्कार,बेबस है, लाचार है, आज आदमी, आदमी से। समाज को बदलने कीबातें यहाँ रोज होती है,करता है बस बातेंही, आदमी, आदमी से। हाथों

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मैं गीत बनु, तू संगीत बन जा

10 नवम्बर 2015
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मैं गीत बनु, तू संगीत बन जा,मैं तेरा, तू मेरी मीत बन जा। कर न सके कोई जुदा हमे,आ चल मुहब्बत कीजीत बन जा। तेरी जुदाई, उफ़ सह नहीं सकता,हर लम्हा तुम्हेंदेखूँ, मेरी दीद बन जा। कहा दिल का मान, दुनिया न देख,अपने मन का तू मीतबन जा। माना मंजिल मुहब्बतकी दूर है,पाने को इसेदीवाने दिल, तू जीद बन जा। ये इश्क़ तो

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जब तक मेरे जिस्म में जान बाकी है......

10 नवम्बर 2015
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जब तक मेरे जिस्म में जान बाकी है,एक-एक हौसलों में उड़ान बाकी है। वक़्त है बुरा तो क्या बदल जाएगा,जीने के अंदाज में वो शान बाकी है।  ये अश्क क्या भिगोएगा मेरे दामन को,इन होठों पे मेरे वो मुश्कान बाकी है। मेरे नीयतों का यारों ये असर हुआ है,हर एक के दिलों में वो पहचान बाकी है। ये चंद ठोकरें हमें क्या रोक

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सोच-समझ कर दिल को लगाया करो....

14 नवम्बर 2015
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दर्दे दिल तुमछूपाया करो,अश्क अपने यूँ नजाया करो। मुश्किल है रुठोंको मनाना यहाँ,वक़्त है रूठा तोउसे मनाया करो। मिलेगी सेज फूलोंकी तुम्हें मगर,पहले तेज़ धूप मेंबदन जलाया करो। यहाँ पल में बदलतेहैं रिश्ते  ऐ“राज”सोच-समझ कर दिल कोलगाया करो।

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घुल रही है जहर आज हवाओं में....

14 नवम्बर 2015
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घुल रही है जहर आजहवाओं में,कांटे ही कांटेहैं हर तरफ राहों में। मुल्क तो आज़ाद है, मगर अफसोस,महफूज नहीं हमअपने ही मकानों में। घिर गई खतरों में माँ-बहनों कीइज्ज़त यहाँ,सवालें ही सावलेंहैं आज देखो इनके आहों में। औरत की कोख कोमैला करने वालों,बेटा न देना, कहेंगी खुदा से माँ दुआओं में। खुद को बदलो, एक दिन व

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जियो ऐसे जैसे.....

16 नवम्बर 2015
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दोस्तों के साथ

19 नवम्बर 2015
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हम कहाँ कभी अकेले होते है,दोस्तों के साथ, दोस्ती में जीते हैं। गम भूल जाते हैं, दर्द कम हो जाता है,हाथों में हाथ थामे जबसाथ चलते हैं। वो मेरे दिल में है, मैं उसके धड़कन में,एक दूजे के साँसों में हमयूं ही रहते हैं। वक़्त हमें एकदूजे से क्या जुदा करेगा,छिन कर लम्हों कोहम सदियाँ जिया करते हैं। बचपन की

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जिंदगी को जीना सीख ले......

12 दिसम्बर 2015
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जाम हो या जहरजिंदगी मे पीना सीख लेदर्द को भुला करज़ख़्मों को सीना सीख ले।न तू किसी के जैसा, न तेरे जैसा कोई “राज”यकीन कर खुद पे, जिंदगी को जीना सीख ले।

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मैंने कहा पंछिओं से........

12 दिसम्बर 2015
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मैंने कहा पंछिओं से तुम गीत खुशी के गाओ,चेहरे से उसके तुम दुख के बादल हटाओ। फूलों से कहा, बिछ जाओ उसके राहों में,कांटे उसके जीवन से कहीं दूर ले जाओ। ऐ दीप तुमसे भी मेरा ये कहना है,उसके हर रात तो दिवाली की रात बना जाओ। खुशनसीबी तुमको भी वहाँ जाना होगा,उसके घर का पता मुझसे तुम लेते जाओ। मेरे ईश्वर तुम

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परो में अपनी ऊंची उड़ान रख लो.......

17 दिसम्बर 2015
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परो में अपनी ऊंची उड़ान रख लो,धरती ही नहीं पूरा आसमान रख लो। हक़ीक़त देखे ये जहाँ सारा,ख्वाबों में ऐसी पहचान रख लो। हर एक के दिलों पे तुम्हारा ही नाम हो,सदा के लिए होठों पे अपने मुस्कान रखलो। दूर है मंजिल तुम्हारी तो क्या गम है,अपनों के दुआओं का शान रख लो। रूठना मत मनाना हमें आता नहीं,प्यार से सजा ह

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अपनी जिंदगी के लिए. ...........

24 सितम्बर 2016
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मांगा है खुदा से तुम्हें, अपनी जिंदगी के लिए, बनाऊँगा अपना तुम्हें, अपनी जिंदगी के लिए। डूब कर प्यार में तुम्हारे हम दुनिया भुला देंगे, एक तुम्हें ही याद रखेंगे, अपनी जिंदगी के लिए। कल तक जो भी अपना था, वो सब तुम्हारा है, एक तुम्ही हो मेरी, अपनी जिंदगी के लिए। डरता हूँ

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दर्दे दिल तुम छुपाया करो. ........

24 सितम्बर 2016
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दर्दे दिल तुम छुपाया करोअश्क़ अपने यूँ न जाया करो मुश्किल है रूठों को मनाना यहाँ वक़्त है रूठा तो उसे मनाया करो मिलेगी सेज फूलों की तुम्हें मगर धुप में बदन अपना जलाया करो यहाँ पल में बदलते हैं रिश्ते सोच समझ कर दिल को लगाया करो

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मैं गीत बनु. ...

24 सितम्बर 2016
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मैं गीत बनु, तू संगीत बन जा, मैं तेरा, तू मेरी प्रीत बन जा। कर न सके कोई जुदा हमे, आ चल मुहब्बत की जीत बन जा। तेरी जुदाई, उफ़ सह नहीं सकता, हर लम्हा तुम्हें देखूँ, मेरी दीद बन जा। कहा दिल का मान, दुनिया न देख, अपने मन का तू मीत बन जा। माना मंजिल मुहब्बत की दूर है, पाने

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सुन ले ऐ पाकिस्तान. .....

29 अक्टूबर 2016
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मारने मारने की बात करता है, अरे ओ नादान,पहले जीना तो सिख ले ऐ पागल पाकिस्तान.नापाक इरादे हैं तेरे, नापाक हर एक हरकत है,अतीत से कुछ सिख, तेरा बच जायेगा वर्तमान.

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रंग बदल देंगे. ....

29 अक्टूबर 2016
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रंग बदल देंगे,हम ढंग बदल देंगे,पाकिस्तान तेरा रूप रंग बदल देंगे. वक़्त है अब भी सुधर जाओ, वरना, बाप हैं तुम्हारे, जीने का ढंग बदल देंगे.

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जिंदगी मुहाल हो जायेगा. ....

29 अक्टूबर 2016
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ख्वाब कश्मीर का छोड़ दे,वरना जिंदगी मुहाल हो जायेगा,तबाह हो जायेगा तू, खुद के लिए भी सवाल हो जायेगा. मत छेद हमारे सब्र को, अंदर शोले हैं चिंगारी भी,रोक न पायेगा फिर, एक-एक हिंदुस्तानी भूचाल हो जायेगा.

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