मैं गीत बनु, तू संगीत बन जा,
मैं तेरा, तू मेरी मीत बन जा।
कर न सके कोई जुदा हमे,
आ चल मुहब्बत की
जीत बन जा।
तेरी जुदाई, उफ़ सह नहीं सकता,
हर लम्हा तुम्हें
देखूँ, मेरी दीद बन जा।
कहा दिल का मान, दुनिया न देख,
अपने मन का तू मीत
बन जा।
माना मंजिल मुहब्बत
की दूर है,
पाने को इसे
दीवाने दिल, तू जीद बन जा।
ये इश्क़ तो खुदा
की इबादत है,
पाना है खुदा, आ मुहब्बत की रीत बन जा।
कटता है सर तो कट
जाने दे “राज”,
झुकने न देंगे, एक दूजे की जीत बन जा